कà¥à¤°à¤¾à¤¨ और हदीस ही सबसे बड़ा सविंधान कैसे?
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Rajeev ChoudharyDate
13-Oct-2016Category
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HindiTotal Views
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Sandeep AryaUpload Date
13-Oct-2016Download PDF
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तीन तलाक पर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिला
2008 में पेरिस में शरीयत के कानूनों को कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ करने के जो अलग-अलग à¥à¤‚ग और रूप हैं, उन पर इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में खà¥à¤²à¤•à¤° बहस हà¥à¤ˆ थी. इस बात पर à¤à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ हà¥à¤ˆ कि अनेक à¤à¤¸à¥‡ कानून हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसà¥à¤²à¤¾à¤® मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ देता है लेकिन आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ नहीं, जैसे गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ कानून में वैध है. लेकिन बाहरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ और कानून इसे अवैध मानते है. वाशिंगटन के जारà¥à¤œ टाउन विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ इतिहास के पà¥à¤°à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• जान वà¥à¤² का मत था कि आज की मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में शरीयत का मतलब विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में सतà¥à¤¤à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने से है, कठोर दंड दिठजाने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से नहीं. यदि à¤à¤¸à¤¾ होता तो पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के मामले में चोरी, बलातà¥à¤•à¤¾à¤°, हतà¥à¤¯à¤¾ जैसे जघनà¥à¤¯ अपराधो में शरियत का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं दिया जाता? शरीयत के कानून के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कोई मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ अपना धरà¥à¤® नहीं बदल सकता और कोई गैर मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® हो जाने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पà¥à¤¨à¤°à¥‚ अपने धरà¥à¤® में नहीं लौट सकता. कà¥à¤¯à¤¾ यह à¤à¥€ किसी के धारà¥à¤®à¤¿à¤• चिंतन और उसकी किसी आलोकिक शकà¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ लगाव या मानसिक शांति जैसी सोच पर गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ जैसा तो नहीं? अधिकांश मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® देशों में शरीयत निकाह, तलाक, विरासत और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की देखà¤à¤¾à¤² जैसे निजी मामलों तक ही मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ हो गई है। सबसे अधिक बहस महिलाओं के अधिकारों पर होती है जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शरीयत के नाम पर अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ संकीरà¥à¤£ दायरे में मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ कर दिया गया है। महिलाओं को यदि समान अधिकार नहीं दिया जाता है तो आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में आधी जनसंखà¥à¤¯à¤¾ के साथ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ होगा। कà¥à¤¯à¤¾ कोई आधà¥à¤¨à¤¿à¤• समाज का देश यह पसंद करेगा?
जहाठतीन तलाक पर सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ, केंदà¥à¤° और मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® मौलाना आमने सामने है तो वही मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज में à¤à¥€ इस मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® मौलाना, इसà¥à¤²à¤¾à¤® का नव वैचारिक वरà¥à¤—, और तलाक से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ चाहने वाली मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाठà¤à¥€ मैदान में डटे खड़े है. मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाà¤à¤‚ तो यहाठतक मà¥à¤–र है कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ महिला आयोग की à¤à¤• सदसà¥à¤¯à¤¾ किसी धारà¥à¤®à¤¿à¤• नेता और मौलवी से सलाह ले रही है. हम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान के यà¥à¤— में रह रहे हैं, न कि औरंगजेब के काल में. जमीअत उलेमा हिंद के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· ने इस मामले में अपनी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करते हà¥à¤ कहा कि तीन तलाक और विवाह के संबंध में सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ में केंदà¥à¤° सरकार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की गई राय असà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ है और जमीअत उलमा हिंद इसकी न केवल सखà¥à¤¤ निंदा करता है बलà¥à¤•à¤¿ इसका पà¥à¤°à¤œà¥‹à¤° विरोध à¤à¥€ करेगा. जमीअत उलेमा हिंद के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· ने कहा कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठकà¥à¤°à¤¾à¤¨ और हदीस ही सबसे बड़ा संविधान है और धारà¥à¤®à¤¿à¤• मामलों में वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ ही पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक है जिसमें कयामत तक कोई संशोधन संà¤à¤µ नहीं और सामाजिक सà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के नाम पर वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में कोई परिवरà¥à¤¤à¤¨ नहीं किया जा सकता. उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय है कि मोदी सरकार की ओर से सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ में पेश इस हलफनामे में कहा गया है कि “परà¥à¤¸à¤¨à¤² ला के आधार पर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं के संवैधानिक अधिकार नहीं छीने जा सकते और इस धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤· देश में तीन तलाक के लिठकोई जगह नहीं है.”
देखा जाये तो 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• देश में कà¥à¤² 3.72 लाख à¤à¤¿à¤–ारी हैं. जिसमें से 25 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ à¤à¤¿à¤–ारी मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® हैं. जबकि 72.2 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ à¤à¤¿à¤–ारी हिंदू हैं. आंकड़ो के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• देश के कà¥à¤² à¤à¤¿à¤–ारियों में महिलाà¤à¤‚ कम हैं जबकि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤¿à¤–ारियों में महिलाओं की संखà¥à¤¯à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है. जिसका सबसे बड़ा कारण मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के अनà¥à¤¦à¤° जारी मौखिक रूप से तीन तलाक माना गया है. लेखिका जाकिया सोमन का कहना है कि वरà¥à¤· 2014 में शरई अदालतों में जो 235 मामले आठउनमें से 80 फीसदी मौखिक तीन तलाक के थे. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मौखिक तीन तलाक का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ न केवल पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ महिलाओं पर ही पड़ता है बलà¥à¤•à¤¿ परिवार के बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ बà¥à¤°à¥€ तरह पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होते हैं. कई बार तो मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं को उमà¥à¤° के उस दौर में अलग फैंक दिया जाता है जहाठउसे रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के सहारे की सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जरूरत होती है. यह à¤à¥€ देखा गया है कि राजनीति और धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥à¤“ं के गठजोड़ के चलते मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं के नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ की बात उठाना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² रहा है. à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश में इसी गठजोड़ के कारण अब तक मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाà¤à¤‚ तीन तलाक, हलाला, बहà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€à¤¤à¥à¤µ, कम उमà¥à¤° में शादी जैसी कठिन समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को à¤à¥‡à¤² रही हैं, जबकि यह सà¤à¥€ कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤à¤‚ कà¥à¤°à¤¾à¤¨ की रोशनी में सही नहीं हैं. कà¥à¤°à¤¾à¤¨ में तीन तलाक का जिकà¥à¤° नहीं है. फिर à¤à¥€ हमारे समाज में तीन तलाक का चलन है. समाज में हलाला जैसी बरà¥à¤¬à¤°à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ और अमानवीय पà¥à¤°à¤¥à¤¾ का चलन चलता है और हमारे काजी और धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥ चà¥à¤ª रहते हैं.
कोई à¤à¥€ ससà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾ हमेशा समाज को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करती है, समाज की पीढियां हमेशा से कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं के मकड़जाल में फंसी चली आ रही है. जो कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾ जितनी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ हो उसे हम इतना ही मूलà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ समठलेते है और उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ à¤à¤¾à¤µ जगाकर उसे बचाने की दà¥à¤¹à¤¾à¤ˆ देने लगते है. जबकि में समà¤à¤¤à¤¾ हूठहमें हर 50 या 100 साल बाद अपनी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ कर उसमें समयानà¥à¤•à¥‚ल परिवरà¥à¤¤à¤¨ कर लेना चाहिà¤. जन माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ या जन विचारधारा में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं का जिकà¥à¤° à¤à¤• विशेष छवि के रूप में ही आता है. दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से यह à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ महिला की छवि दिखलाता है, जिसकी कोई आवाज नहीं है या कोई अपनी पहचान नहीं है. जाहिर है, इसके चलते इन महिलाओं के मसलों à¤à¤µà¤‚ अधिकारों के बारे में बात करने का तो सवाल ही नहीं उठता. फिर à¤à¤• तरफ सरकार की ओर से अवहेलना या बेरूखी और दूसरी तरफ समाज के अंदर नाइंसाफी और दमन. यानी 1400 साल पहले दिठगठकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ हक तो नहीं मिले और दूसरी तरफ आजादी के 70 साल बाद लोकतंतà¥à¤° में à¤à¥€ कोई विशेष सहà¤à¤¾à¤—िता नहीं मिली. मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं की खराब सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के लिठसरकार और मजहबी रहनà¥à¤®à¤¾ दोनों ही बराबरी के जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° हैं. यह कोई अनजाना खà¥à¤²à¤¾à¤¸à¤¾ नहीं रह गया है. खà¥à¤¦ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज के पà¥à¤°à¤—तिशील तबकों से यह बात अनछिपी नहीं रह गई है.
आज मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज में बहà¥à¤¤ सारे नव विचारक उठखड़े हà¥à¤ है. जिनमें वो अपने अधिकार, अपनी कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤‚ह और अपनी सामाजिक सहà¤à¤¾à¤—िता मांग रहे है किनà¥à¤¤à¥ कमाल देखिये वो अपने ये अधिकार किसी सरकार या सेना से नहीं बलà¥à¤•à¤¿ अपने धरà¥à¤® गà¥à¤°à¥à¤“ं से मांग रहे है दरअसल, इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• उदारपंथ का चोला ओà¥à¤¨à¥‡ वाले कई लोगों की तरह, मौलाना और मà¥à¤«à¥à¤¤à¥€, काजी कà¥à¤°à¤¾à¤¨ के दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ को लेकर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ फिकà¥à¤°à¤®à¤‚द रहते हैं. न कि पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं की सोच को लेकर. उनके सामाजिक जीवन को लेकर à¤à¤¸à¥‡ लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान का à¤à¥€ खà¥à¤¯à¤¾à¤² नहीं करते जो आरà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤²-14 के तहत नागरिकों के साथ बराबरी के मौलिक अधिकार और आरà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤²-15 के तहत à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के खिलाफ मौलिक अधिकार की बात करती हैं. इस संदरà¥à¤ में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विचारक फरहा फैज पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक हो जाती हैं. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ से अपील की है कि सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ को मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® रूà¥à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से बचाने के लिठ(आल इंडिया मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® परà¥à¤¸à¤¨à¤² बोरà¥à¤¡) और (à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिला आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨) जैसे संगठनों पर बैन लगाà¤. कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इन रूà¥à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सोच, इनकी विचारधार जमात-उद-दावा के हाफिज मोहमà¥à¤®à¤¦ सईद जैसे लोगों से मेल खाती है. बेखोफ हिमà¥à¤®à¤¤ के साथ फैज मदरसा में दी जाने वाली शिकà¥à¤·à¤¾ में बदलाव की बात करती हैं और ये à¤à¥€ कहती हैं कि (à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिला आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨) दरअसल (आल इंडिया मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® परà¥à¤¸à¤¨à¤² बोरà¥à¤¡) की कठपà¥à¤¤à¤²à¥€ है. दोनों संगठन शरिया के हिमायती हैं. इस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को à¤à¤¸à¥‡ ही चलते रहने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिà¤. à¤à¤¾à¤°à¤¤ में केवल à¤à¤• संविधान होना चाहिठऔर जज à¤à¥€ जो उसी संविधान के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° काम करें. यानी à¤à¤¾à¤°à¤¤ के नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के बराबर चलने वाली à¤à¤• और वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ धरà¥à¤® के नाम पर तो बिलकà¥à¤² बंद होनी चाहिà¤! ताकि समाज के हर à¤à¤• तबके की महिला निडर होकर अपनी पीड़ा बयान कर सकें
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