अरसे बाद à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ बिल
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Rajeev ChoudharyDate
23-Feb-2017Category
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23-Feb-2017Download PDF
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जितना खरà¥à¤šà¤¾ आमतौर पर घरों में किटी पारà¥à¤Ÿà¥€ या जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ जैसे छोटे-मोटे आयोजनों पर होता है उतने में ï¿
अकà¥à¤¸à¤° जब à¤à¥€ शादी में कम खरà¥à¤šà¥‡ और बिना किसी बड़े तामà¤à¤¾à¤® के बात होती है तो आरà¥à¤¯ समाज का नाम जरà¥à¤° आता है। कारण जितना खरà¥à¤šà¤¾ आमतौर पर घरों में किटी पारà¥à¤Ÿà¥€ या जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ जैसे छोटे-मोटे आयोजनों पर होता है उतने में आरà¥à¤¯ समाज मंदिर में वैदिक रीति अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वैवाहिक जोड़े शादी जैसे पवितà¥à¤° बंधन में बंध जाते हैं। सब जानते हैं कि आज शादी समारोह में à¤à¤• पवितà¥à¤° बंधन की रसà¥à¤® से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अनà¥à¤¯ शान शौकत का जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दिखावा हो रहा है। हवन मंतà¥à¤°à¥‹à¤šà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ और सात फेरों से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नृतà¥à¤¯-गीत और शराब आदि में लोग मशगूल रहते हैं। इससे किसी को कà¥à¤¯à¤¾ दिकà¥à¤•à¤¤ हो रही है, यह कोई नहीं सोचता?
जलà¥à¤¦ ही शादी-विवाह में फिजूलखरà¥à¤šà¥€ रोकने, मेहमानों की संखà¥à¤¯à¤¾ सीमित करने और समारोह के दौरान परोसे जाने वाले वà¥à¤¯à¤‚जनों को सीमित करने के मकसद वाला à¤à¤• निजी विधेयक लोकसà¤à¤¾ में पेश किया जाà¤à¤—ा। लोकसà¤à¤¾ के आगामी सतà¥à¤° में विवाह ;अनिवारà¥à¤¯ पंजीकरण और फिजूलखरà¥à¤š रोकथामदà¥à¤§ विधेयक, 2016 à¤à¤• निजी विधेयक के रूप में पेश किया जाà¤à¤—ा। लोकसà¤à¤¾ में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ सांसद रंजीता रंजन यह निजी विधेयक पेश करेंगी, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई परिवार विवाह के दौरान 5 लाख रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ से अधिक राशि खरà¥à¤š करता है, तब उसे गरीब परिवार की लड़कियों के विवाह में इसकी 10 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ राशि का योगदान करना होगा।
इस विधेयक का मकसद विवाह में फिजूलखरà¥à¤šà¥€ रोकना और सादगी को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ देना है। शादी दो लोगों का पवितà¥à¤° बंधन होता है और à¤à¤¸à¥‡ में सादगी को महतà¥à¤µ दिया जाना चाहिà¤, लेकिन दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से इन दिनों शादी विवाह में दिखावा और फिजूलखरà¥à¤šà¥€ बॠगई है। जिस कारण शादी à¤à¤• बंधन कम और à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िता जैसा नजर आने लगा है। हालांकि समाज का à¤à¤• बड़ा हिसà¥à¤¸à¤¾ चाहता है कि शादियों का खरà¥à¤š उनकी हैसियत के अंदर रहे। वे शादियों के खरà¥à¤š को सामाजिक तौर पर शान दिखाने की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िता से अलग रखना चाहते हैं। शायद यह बिल यही दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है कि हमारी शादी जैसी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤à¤‚ तो मजबूत रहे बस शादियों के खरà¥à¤š को सीमाओं में बांधने की कोशिश हो।
अकà¥à¤¸à¤° देखने में आता है कि वैवाहिक समारोह में जहाठडीजे, कानफोडू संगीत या अनà¥à¤¯ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤•à¤²à¤¾à¤ªà¥‹à¤‚ में कोई समय अवधि निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ नहीं होती कई बार तो यह शोर-शराबा पूरी रात चलता रहता है वहीं अकà¥à¤¸à¤° लोग इस बात की चिंता वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करते दिख जाते हैं कि पंडित à¤à¤¸à¤¾ हो जो यह रसà¥à¤® कम से कम समय में पूरी कर दे। जबकि विवाह का असली मकसद मंतà¥à¤°à¥‹à¤šà¤¾à¤°à¤£ के साथ दो आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं को à¤à¤• पवितà¥à¤° बंधन में पिरोने का कारà¥à¤¯ होता है मसलन सिरà¥à¤« फेरों में ही जलà¥à¤¦à¤¬à¤¾à¤œà¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
हमारे मन में अकà¥à¤¸à¤° यह सवाल आता है कि आखिर हमारे देश में खास से लेकर आम घर-परिवारों में शादियों या दूसरे समारोहों में इतने पैसे की बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ होती है? आप इसका आंतरिक अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करके देखें तो पाà¤à¤‚गे कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के हर समाज में अपनी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ से अधिक पैसे शादी पर खरà¥à¤š करने की मनोपà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ काम करती है। इसके कई कारण होते हैं। अपने दैनिक जीवन में सीमित संसाधनों से अपना काम चलाने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठशादी सिरà¥à¤« à¤à¤• सामाजिक समारोह न होकर यह दिखाने का अवसर बनकर रह गया कि उसने पिछले 25-30 सालों में कà¥à¤¯à¤¾ किया? आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर कितनी पायदान इस बीच वह चॠचà¥à¤•à¤¾ है यह दिखाने के लिठबेहद खरà¥à¤šà¥€à¤²à¥€ शादी à¤à¤µà¤‚ à¤à¤µà¥à¤¯ मकान दिखाना शेष रह गया। हमेशा इस तरà¥à¤• की चोट पर à¤à¥€ लोग खरà¥à¤š करते दिख जाते हैं कि शादी à¤à¤¸à¥€ हो जो लोग सालों तक याद रखे या फिर जिसका खाया है उसका उधार चà¥à¤•à¤¾à¤¨à¤¾ है। हालाà¤à¤•à¤¿ पंडाल से बाहर आने पर किसी को याद नहीं रहता कि शादी कितनी महंगी और उसमे कितनी à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ थी।
पिछले दिनों देश में दो शादियों ने सबका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अपनी ओर आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया। à¤à¤• तो अमीर उदà¥à¤¯à¥‹à¤—पति और पूरà¥à¤µ मंतà¥à¤°à¥€ जी. जनारà¥à¤¦à¤¨ रेडà¥à¤¡à¥€ की बेटी बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥€ की शादी में 500 करोड़ रà¥à¤ªà¤ खरà¥à¤š और दूसरा सूरत में à¤à¤• शादी में दूलà¥à¤¹à¤¾-दà¥à¤²à¥à¤¹à¤¨ के परिजनों ने बारात में आठमेहमानों को केवल à¤à¤• कप चाय पिलाकर विदाई दी। इस शादी पर केवल 500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का खरà¥à¤š आया। यदि इस तरह का कम खरà¥à¤šà¥‡ का चलन समाज में बॠजाये तो कनà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥‚रà¥à¤£ हतà¥à¤¯à¤¾ से लेकर दहेज तक à¤à¤• साथ कई विसंगतियों पर लगाम लग जाà¤à¤—ी।
हम विवाह समारोह के खिलाफ नहीं हैं पर इसके खरà¥à¤š में दिखावे का समरà¥à¤¥à¤¨ नहीं करते जिनके पास अकूत धन है, उनके लिठकोई परेशानी नहीं होती। लेकिन इसी तरह के दिखावे का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ कम पैसे वालों के à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¥€ à¤à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• à¤à¥‚ख पैदा करता है। इसके बाद होता यही है कि आमतौर पर कम आमदनी वाले लोग à¤à¥€ शादी या पारिवारिक समारोहों में करà¥à¤œ लेकर सामाजिक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा à¤à¤µà¤‚ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की खà¥à¤·à¥€ के नाम पर खरà¥à¤š करते हैं। कई बार इस तरह के पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ की चाह में लोग करà¥à¤œ के बोठतले दब जाते हैं। यह कहां की समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है? कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जिनà¥à¤¦à¤—ी के किसी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सफल होकर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ धन कमाà¤, इसमें किसी को कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¤à¤°à¤¾à¤œ होगा! लेकिन विवाह पंडाल के बाहर वधॠपकà¥à¤· की तरफ से खड़ी की गयी चमचमाती गाड़ी दिखावे की मानसिकता के सिवा अलावा कà¥à¤› नहीं। इसी कारण आज उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¦ की चकाचौंध में किसी à¤à¥€ रासà¥à¤¤à¥‡ विलासिता की चीजें हासिल करने की ललक ने यà¥à¤µà¤•à¥‹à¤‚ को लालची बना दिया है। अफसोस कि इस नठदौर के नौजवान à¤à¥€ दहेज लेने-देने में कोई शरà¥à¤® महसूस नहीं करते। अब इस पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ के आने से हो सकता है दिखावे के इस तरह के आयोजनों पर कà¥à¤› लगाम लगे! संसद को चाहिठइस तरह के विधेयक को धà¥à¤µà¤¨à¤¿à¤®à¤¤ से पारित करें कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि विवाह बेहद सादगी गरिमापूरà¥à¤£ करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ की à¤à¤• डगर बने न कि किसी शोर शराबा और फूहड़ता से à¤à¤°à¤¾ आयोजन।
राजीव चौधरी
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