मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बहनों के अधिकार का हनन ?
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Rajeev ChoudharyDate
16-Mar-2017Category
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HindiTotal Views
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Sandeep AryaUpload Date
16-Mar-2017Download PDF
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उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के बाद à¤à¤• बार फिर यह सवाल गूंज उठा है कि कà¥à¤¯à¤¾ तीन तलाक पर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं को 6 शताबà¥à¤¦à¥€ के धारà¥à¤®à¤¿à¤• कानूनों से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ मिल पायेगा? उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ मिल जायेगा? कà¥à¤¯à¤¾ वो 21 वीं सदी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° समाज में अपनी बराबरी की दावेदारी पेश करेगी? तीन तलाक के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर 24 अकà¥à¤¤à¥‚बर को उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के महोबा में पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ नरेंदà¥à¤° मोदी पहली बार मà¥à¤–र हà¥à¤ थे.उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रूप से कहा था कि तीन तलाक को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिà¤. साथ ही सांपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• आधार पर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं के साथ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ नहीं होना चाहिà¤. इस तरह मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिला सशकà¥à¤¤à¥€à¤•à¤°à¤£ के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ ने पहली बार इतनी गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से उठाया था. जिसका पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤«à¤² à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में जीत के रूप में सबको देखने को मिला.
à¤à¤²à¥‡ लोग इस मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को राजनैतिक चशà¥à¤®à¥‡ से देखने का परà¥à¤¯à¤¤à¥à¤¨ कर रहे हो लेकिन असल में यह मामला सीधा सामाजिक à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं से जà¥à¤¡à¤¾ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारे समाज में विवाह या निकाह कोई राजनेतिक रसà¥à¤® नहीं है तो फिर तलाक के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ राजनितिक रंग में रंगा जाये? हाठइसे में मजहबी अधिकार के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में जरà¥à¤° माना जा सकता है पर सवाल यह है कि मजहब से यह अधिकार दिलाये कौन? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मजहबी रहनà¥à¤®à¤¾ ही इस आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सामाजिक आजादी में सबसे बड़ी बाधा के रूप में खड़े दिखाई दे रहे है. जबकि कोई à¤à¥€ मजहब धरà¥à¤® और उससे संबधित धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ समाज के लिठनये रासà¥à¤¤à¥‡ बनाने का कारà¥à¤¯ करते है न की बंद फाटक की तरह रासà¥à¤¤à¥‡ बंद. यदि देखा जाये तो निसंदेह आज ‘इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ शरीयत’ के चोले में à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¥à¤·à¤µà¤¾à¤¦à¥€ विचारधारा पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है जिसके कारण महिला अधिकार का हनन जारी है. इस विचारधारा में महिलाओं को मानवीय अधिकारों से वंचित रखा गया है.
हर धरà¥à¤® की महिलाओं को पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के समान अधिकार पाने में सदियां लग गईं. लेकिन पूरà¥à¤£ लैंगिक इंसाफ पाने के लिठइसà¥à¤²à¤¾à¤® में अब तक संघरà¥à¤· जारी है. इस वैशà¥à¤µà¤¿à¤• संघरà¥à¤· में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ कई मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ और कà¥à¤°à¤¾à¤¨ के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज में महिला सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ की राह में सब से बड़ी बाधा धारà¥à¤®à¤¿à¤• उपदेशों की कटà¥à¤Ÿà¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ है. आज हम 21 वीं सदी में जी रहे है यदि आज वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ को देखे तो अनà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिला पà¥à¤°à¥à¤· वरà¥à¤— से बहà¥à¤¤ पीछे दिखाई दे रही है. कà¥à¤¯à¤¾ मजहब और इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का राग मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं के लिठà¤à¤• चारदीवारी का कारà¥à¤¯ कर रहा है? इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ समाज के अनà¥à¤¦à¤° जितने धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ मौलाना, इमाम या मौलवी है वो नà¥à¤¯à¥‚ज चैनल की बहस में हमेशा कà¥à¤°à¤¾à¤¨ का हवाला देकर कहते है कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® में पà¥à¤°à¥à¤· और महिलाओं को समान अधिकार हैं. महिलाà¤à¤‚ अपने सामाजिक सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ और धरà¥à¤® से संबंधित दायितà¥à¤µà¥‹à¤‚, दोनों दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से बराबर हैं. लेकिन इसके बाद जो सामाजिक जीवन में अमानवीय à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ नजर आता है उसके खिलाफ कोई आवाज नहीं निकलती. यदि किसी कारण कोई आवाज़ निकलती à¤à¥€ है तो उस पर इस निंदा या मजहब की अवमानना का दोष मà¥à¤•à¤° चà¥à¤ª करा दिया जाता है.
हालाà¤à¤•à¤¿ अब इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• समाज के अनà¥à¤¦à¤° से ही तलाक जैसी पà¥à¤°à¤¥à¤¾ के खिलाफ आवाज आना शà¥à¤°à¥‚ हो गयी है à¤à¤• पà¥à¤¾ लिखा वरà¥à¤— खà¥à¤¦ सामने आकर इस बात को रख रहा है कि à¤à¤• बार में तीन तलाक का तरीका आज के समय में अपà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक ही नहीं, खà¥à¤¦ कà¥à¤°à¤¾à¤¨ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के विपरीत à¤à¥€ है. कà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤µà¥‡à¤¶ से बचने के लिठतीन तलाक के बीच समय का थोड़ा-थोड़ा अंतराल जरूर होना चाहिà¤.यह à¤à¥€ देखना होगा कि जब निकाह विवाह लड़के और लड़की दोनों की रजामंदी से होता है, तो तलाक का अधिकार सिरà¥à¤« पà¥à¤°à¥à¤· को ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दिया जाता है? उसमें सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की रजामंदी या कम से कम उसके साथ विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ संवाद à¤à¥€ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ तौर पर शामिल किया जाना चाहिà¤. जब निकाह दोनों के परिवारों की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में होता है तो तलाक à¤à¤•à¤¾à¤‚त में कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
चà¥à¤¨à¤¾à¤µ के बाद उठे इस विवाद में à¤à¤• बार फिर मीडिया की मेजे बहस के लिठसजती दिखाई दे रही है लेकिन दलील रखने वाले चेहरों में कोई बदलाव नहीं है. तरà¥à¤• और दलील और सवाल का अंदाज वही है तो मौलानाओं की वही 6 शताबà¥à¤¦à¥€ की तकरीरे उनका गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ में आकर तीन तलाक को इसà¥à¤²à¤¾à¤® के लिठपवितà¥à¤° बताना इस बात की और इशारा करता है कि यह मामले का अंत नहीं बलà¥à¤•à¤¿ शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¤à¤° है. हालाà¤à¤•à¤¿ बहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¥‡ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• देशों में तीन तलाक पर कानूनन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध है लेकिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ का इसà¥à¤²à¤¾à¤® अà¤à¥€ à¤à¥€ इस पà¥à¤°à¤¥à¤¾ को उसी रूप में चाहता है जिस तरह इसका उदय हà¥à¤† था.
मामला केवल मà¥à¥žà¥à¤¤à¥€, मौलाना तक सिमित नही अपितॠदेश में देवबंदी विचारधारा का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दारà¥à¤² उलूम देवबंद ने खà¥à¤¦ कà¥à¤› समय पहले यह फतवा जारी किया था कि नौकरीपेशा औरत की कमाई शरीअत की नजर में “नाजायज और हराम” है. देवबंद के उलमा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¸à¥€ जगहों पर औरतों का काम करना इसà¥à¤²à¤¾à¤® के खिलाफ है जहां औरत और मरà¥à¤¦ à¤à¤• साथ काम करते हों. à¤à¤¸à¥‡ हालात में यदि इस मामले को देखे तो इसà¥à¤²à¤¾à¤® का à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¤¾ बेहतर शिकà¥à¤·à¤¾ और रोजगार के परिणाम सà¥à¤µà¤°à¥‚प महिला सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ के सामाजिक ढांचे को बदलने की कोशिश तो कर रहा है लेकिन कà¥à¤°à¤¾à¤¨ में बताई गई लैंगिक समानता के सà¥à¤¤à¤° तक पहà¥à¤‚चने में जो चीज बाधा है वो है ‘शरीअत’ के नाम पर फैलाई जाने वाली पà¥à¤°à¥à¤·à¤µà¤¾à¤¦ पर आधारित इसà¥à¤²à¤¾à¤® की मनमानी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾.
यह बात à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने योगà¥à¤¯ है कि महिला अधिकार के हनन को केवल मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ से जोड़ कर नहीं देखा जाà¤. ततà¥à¤•à¤¾à¤² तलाक’ के साथ-साथ कनà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥à¤°à¥‚ण हतà¥à¤¯à¤¾ की à¤à¥€ कड़ी निंदा की जाà¤. इस तरह देश में महिला अधिकारों के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को à¤à¤• नया आयाम दिया जा सकता है और राजनीति के मौजूदा दà¥à¤·à¥à¤šà¤•à¥à¤° से ऊपर उठाया जा सकता है. जिस तरह पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के आदिवासी इलाकों में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बद से बदतर होती जा रही है. à¤à¤¸à¤¾ लगता है à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤® के नाम पर रà¥à¥à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¥€ और पतनशील विचारधारा का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ तेजी से काम करने लगा है. महिला को घर की चारदीवारी तक सीमित रखने का रिवाज जिंदा है. वहीं, दूसरी ओर महिला सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ के खिलाफ à¤à¤¸à¥‡ फतवे à¤à¥€ सामने आ रहे हैं वकà¥à¤¤ के साथ चलते हà¥à¤ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ थोड़ी संवेदनशीलता दिखाà¤à¤‚ और कà¥à¤°à¤¾à¤¨ की रौशनी में ही अगर तीन तलाक की वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ में संशोधन की पहल करें तो उनके इस कदम से मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ जीवन का à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ और आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ ही नहीं पैदा होगा बलà¥à¤•à¤¿ देश-दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में à¤à¤• सकारातà¥à¤®à¤• संदेश à¤à¥€ जाà¤à¤—ा.
राजीव चौधरी
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