‘शà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— में निवृतà¥à¤¤à¤¿ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯â€™
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Manmohan Kumar AryaDate
16-May-2017Category
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RajeevUpload Date
16-May-2017Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ कौन है और मनà¥à¤·à¥à¤¯ किसे कहते हैं? इन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ पर मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ नहीं जाता और जीवन पूरà¥à¤£ होकर मृतà¥à¤¯à¥ तक हो जाती है। बहà¥à¤¤ कम संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पर यदा कदा कà¥à¤› धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देते हैं। विवेकशील मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ की उपेकà¥à¤·à¤¾ नहीं करते। वह जानते हैं कि पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है तो उसका समà¥à¤šà¤¿à¤¤ उतà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ अवशà¥à¤¯ होगा। वह विचार करते हैं, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से शंका समाधान करते हैं तथा संबंधित विषय की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर उसका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर उसका समाधान पा ही जाते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ शबà¥à¤¦ में मनॠशबà¥à¤¦ का महतà¥à¤µ है जो संकेत कर रहा है कि मनन करने का गà¥à¤£ व पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होने के कारण ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहा जाता है। मनन का अरà¥à¤¥ है कि विवेचà¥à¤¯ विषय का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ पूरà¥à¤µà¤• चिनà¥à¤¤à¤¨ व सतà¥à¤¯ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ करना व उस सतà¥à¤¯ का पालन करना। अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का मनन किया होगा परनà¥à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ कौन है व इसकी सारगरà¥à¤à¤¿à¤¤ परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ हो सकती है?, वह ऋषि दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ ही यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है। वह लिखते हैं कि ‘मनà¥à¤·à¥à¤¯ उसी को कहना (अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ वही है) कि (जो) मननशील हो कर सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤®à¤µà¤¤à¥ (अपने) व अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– और हानि-लाठको समà¤à¥‡à¥¤ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ बलवानॠसे à¤à¥€ न डरे और धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ निरà¥à¤¬à¤² से à¤à¥€ डरता रहे। इतना ही नहीं किनà¥à¤¤à¥ अपने सरà¥à¤µ सामथà¥à¤°à¥à¤¯ से धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं कि चाहे वे महा अनाथ, निरà¥à¤¬à¤² और गà¥à¤£à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो, उन की रकà¥à¤·à¤¾, उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ और अधरà¥à¤®à¥€ चाहे चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ सनाथ, महाबलवानॠऔर गà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¨à¥ à¤à¥€ हो तथापि उस का नाश, अवनति और अपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ सदा किया करे अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जहां तक हो सके वहां तक अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बल की हानि और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बल की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ किया करे। इस काम में चाहे उस को (मनà¥à¤·à¥à¤¯ को) कितना ही दारूण दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो, चाहे पà¥à¤°à¤¾à¤£ à¤à¥€ à¤à¤²à¥‡ ही जावें परनà¥à¤¤à¥ इस मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤ªà¤¨à¤°à¥‚प धरà¥à¤® से पृथक कà¤à¥€ न होवे।’ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की इस परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ में ऋषि दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समसà¥à¤¤ वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का मंथन कर इसे पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया गया है, à¤à¤¸à¤¾ हमें पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ व हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ राम, कृषà¥à¤£ जी आदि सà¤à¥€ ऋषि मà¥à¤¨à¤¿ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¤¸à¥‡ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ थे। इसी कारण उनका यश आज तक संसार में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। इसके विपरीत जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर रहे लोग इसमें नà¥à¤¯à¥‚नाधिक आचरण करते हैं वह इस परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ की सीमा तक ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहे जाते हैं, पूरà¥à¤£ मनà¥à¤·à¥à¤¯ नहीं। इस परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ में मनà¥à¤·à¥à¤¯ कौन व किसे कहते हैं, पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का उतà¥à¤¤à¤° आ गया है।
बहà¥à¤¤ कम लोगों की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— में होती है जबकि पà¥à¤°à¥‡à¤¯ व सांसारिक मारà¥à¤—, धन व समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ जीवन में सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होती है। जहां पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होनी चाहिये वहां नहीं है ओर जहा नहीं होनी चाहिये, वहां पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होती है। यही मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में दà¥à¤ƒà¤– का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण है। शà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ सहित जीवातà¥à¤®à¤¾ को शà¥à¤¦à¥à¤§ व पवितà¥à¤° बनाने व उसे सदैव वैसा ही रखने को कहते हैं। जीवातà¥à¤®à¤¾ शà¥à¤¦à¥à¤§ और पवितà¥à¤° कैसे बनता है और ईशà¥à¤µà¤° को कैसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जाता है इसके लिठसरल à¤à¤¾à¤·à¤¾ में पà¥à¤¨à¤¾ हो तो सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ को पà¥à¤•à¤° जाना जा सकता है। योग दरà¥à¤¶à¤¨ को या इसके विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गये सरल सà¥à¤¬à¥‹à¤§ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ पà¥à¤•à¤° जीवातà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के साधनों को जाना व समà¤à¤¾ जा सकता है। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤•à¤° व वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर à¤à¥€ यह कारà¥à¤¯ किया जाता था। अब à¤à¥€ ऋषि दयाननà¥à¤¦ व उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गये वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤•à¤° व उसका मनन कर शà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— को जानकर व उस पर चलकर हम सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤œà¤¨ जीवन को उनà¥à¤¨à¤¤ व उसके उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ ‘धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤·’ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हंै। यदि à¤à¤¸à¤¾ नहीं करेंगे तो बार बार मनà¥à¤·à¥à¤¯, पशà¥, पकà¥à¤·à¥€ आदि नाना योनियों में जनà¥à¤® लेकर सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥‹à¤—ते हà¥à¤ à¤à¤Ÿà¤•à¤¨à¤¾ पड़ेगा। हमारा यह जनà¥à¤® à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— पर चलकर जनà¥à¤® व मरण से अवकाश पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤• अवसर है। हमें शà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— पर चलना था परनà¥à¤¤à¥ हमें इसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही नहीं मिला तो फिर उस पर चलने का तो पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ ही नहीं है। अतः इस महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विषय की उपेकà¥à¤·à¤¾ न कर इस पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना आवशà¥à¤¯à¤• है। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ कर उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ व उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के साधनों को जानना है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ का जीवन यदि पॠलेते है तो शà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रहसà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हो जाता है। संकà¥à¤·à¥‡à¤ª में शà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ को जानकर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व योग में मन लगाना, ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾à¤®à¤¯ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना, ईशà¥à¤µà¤° व वेद का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करना, समाज से अविदà¥à¤¯à¤¾ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ को हटाने में पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करना, जीवन लोà¤à¤°à¤¹à¤¿à¤¤, अपरिगà¥à¤°à¤¹à¥€, धैरà¥à¤¯à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤, सनà¥à¤¤à¥‹à¤· à¤à¤µà¤‚ दूसरों के दà¥à¤ƒà¤–ों को दूर करने के लिठकारà¥à¤¯à¤°à¤¤ रहने वाला हो।
पà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— किसे कहते हैं? पà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— का जीवन ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ वा सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ मे नà¥à¤¯à¥‚नता वाला तथा सांसारिक विषयों में अधिक जà¥à¥œà¤¾ हà¥à¤† होता है। इसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में अधिक रूचि रखता है व उसमें परिगà¥à¤°à¤¹, संगà¥à¤°à¤¹ की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿, à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–ों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आकरà¥à¤·à¤£ व उसमें रमण करने की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ होती है। जीवन महतà¥à¤µà¤¾à¤•à¤¾à¤‚कà¥à¤·à¤¾à¤“ं से à¤à¤°à¤¾ होता है जिसमें ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ व आतà¥à¤®à¤¾ को जानकर उसे सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ करने का à¤à¤¾à¤µ नà¥à¤¯à¥‚न होता है। आज कल पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ लोग इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर रहे हैं। à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सामगà¥à¤°à¥€ धन, à¤à¥‚मि, à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• साधन व सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सà¥à¤– ही उसमें धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ बन जाते हैं। यह पतन का मारà¥à¤— है। इनकी साधनों व सà¥à¤–ों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ व उनके à¤à¥‹à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ करà¥à¤®-फल के बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ में फंसता व जकड़ा चला जाता है। यह जनà¥à¤® सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– से यà¥à¤•à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ होता है तथा परजनà¥à¤® में इस जनà¥à¤® के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प जीवन मिलता है जहां सà¤à¥€ अवशिषà¥à¤Ÿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— करना होता है। यहां हम सà¥à¤– की à¤à¥€ कà¥à¤› चरà¥à¤šà¤¾ करना चाहते हैं। à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ जैसे धन, सà¥à¤– की सामगà¥à¤°à¥€ à¤à¥‹à¤œà¤¨, सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¤¸à¥à¤–, नेतà¥à¤° से सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का अवलोकन, करà¥à¤£à¥‹à¤‚ से मधà¥à¤° संगीत व गीतों का शà¥à¤°à¤µà¤£, कार, बंगला, बैंक बैलेंस व सà¥à¤– की इतर सà¤à¥€ सामगà¥à¤°à¥€ का à¤à¥‹à¤— à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–ों व पà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— के पथिकों वा मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का विषय व लकà¥à¤·à¥à¤¯ होता है। इनसे कà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• सà¥à¤– ही मिलता है। à¤à¥‹à¤— करने के कà¥à¤› ही समय बाद उसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ कम हो जाता है और मनà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤¨à¤ƒ उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करता है। सà¥à¤– à¤à¥‹à¤—ने से शरीर की शकà¥à¤¤à¤¿ का अपवà¥à¤¯à¤¯ à¤à¥€ होता है जिससे शरीर अलà¥à¤ª समय में रोगी व कमजोर हो जाता है और दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ का गà¥à¤°à¤¾à¤¸ बन जाता है। यह पà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— व जीवन पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय नहीं होता। इससे तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ में अहंकार की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होती है। वह दूसरे अलà¥à¤ª साधनों वालों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अहंमनà¥à¤¯ व उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ मानता है परनà¥à¤¤à¥ उसे यह à¤à¥à¤°à¤® रहता है कि यह कम जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व साधन वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही तो उसके सà¥à¤– की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के साधन व दाता हैं। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से कà¥à¤› कà¥à¤› पशà¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ व कà¥à¤› कà¥à¤› समान है जिसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ कोई बड़ा व महान न होकर केवल अपने व अपने परिवार के सà¥à¤– तक व अपने इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ सà¥à¤–ों तक ही सीमित रहता है और इसे करते हà¥à¤ वह करà¥à¤® फल बनà¥à¤§à¤¨ में फंसता चला जाता है। à¤à¤¸à¥‡ लोगों के जीवन में वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, यजà¥à¤ž, परोपकार, सदà¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में सहयोग, पीड़ितों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दया व करूणा के à¤à¤¾à¤µ नहीं होते। परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ धन व साधन बैंकों व अनà¥à¤¯à¤¤à¥à¤° पड़े रहते हैं और पीड़ित तरसते रहते हैं। कà¥à¤¯à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤¸à¥‡ लोगों को सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ सà¥à¤– दे सकता है? कदापि नहीं। शà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¤¾à¤µ अचà¥à¤›à¥‡ à¤à¤¾à¤µ होते हैं जिनका परिणाम ही जनà¥à¤® व जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤° में सà¥à¤– व उसमें उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤¤à¤° वृदà¥à¤§à¤¿ के रूप में मिलता है।
हमें शà¥à¤°à¥‡à¤¯ व पà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— वाले जीवनों में से से किसी à¤à¤• का चयन करना है। दोनों का सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ ही सामानà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठउतà¥à¤¤à¤® है। जिनमें इस संसार को जानकर वैरागà¥à¤¯ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाता है वह पà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— को अपनी उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में बाधक मान कर अधिकाधिक शà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— का ही अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करते हैं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, यजà¥à¤ž, वेदधरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°, परोपकार, वेद विदà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°, दà¥à¤–ियों व पीड़ितों की सेवा व उनसे सहयोग, देश व समाज सेवा में ही अपना जीवन खपा देते हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦, उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, पं. लेखराम जी, महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज जी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¯à¤ªà¤¤à¤¿ जी और सदगृहसà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में पं. विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤‚कार, आचारà¥à¤¯ डा. रामनाथ वेदालंकार, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी, पं. यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर मीमांसक आदि अनेकानेक उदाहरण हमारे सामने हैं। सà¤à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤¯ और पà¥à¤°à¥‡à¤¯ मारà¥à¤— के पथिकों को महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी का जीवन चरित और उनका यà¥à¤—ानà¥à¤¤à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ‘सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶’ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ अवशà¥à¤¯ करना चाहिये। इससे करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ में सहायता मिलेगी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी, पं. गà¥à¤°à¥à¤¦à¤¤à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¥à¥€ और पं. लेखराम जी आदि सà¤à¥€ महान आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं ने à¤à¤¸à¤¾ ही किया था। आज à¤à¥€ यह सà¤à¥€ याद किये जाते हैं। लेख की समापà¥à¤¤à¥€ से पूरà¥à¤µ हम यह कहना चाहते हैं कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ सबसे अधिक परमातà¥à¤®à¤¾ का ऋणी है। यह ऋण वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से परमातà¥à¤®à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर व उसकी वैदिक विधि से ही उपासना कर चà¥à¤•à¤¾à¤¯à¤¾ जा सकता है। यदि à¤à¤¸à¤¾ नहीं करेंगे तो हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहलाने लायक नहीं होंगे। अतः ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लिठवेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर व अपने मà¥à¤–à¥à¤¯ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, जनसेवा व परोपकार के लिठहमें अपने शà¥à¤°à¥‡à¤¯ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अवशà¥à¤¯ ही पालन करना चाहिये। इसी में हमारी, देश व समाज की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ है। यह à¤à¥€ लिख देते हैं कि सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ व धन इन दोंनों में अधिक सà¥à¤– सदà¥à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ को ही होता है। इसी के साथ लेख को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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