गोतà¥à¤° कà¥à¤¯à¤¾ होता है रणधीरों का ?
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Rajeev ChoudharyDate
16-Jul-2017Category
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HindiTotal Views
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07-Jul-2017Download PDF
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निसंदेह देश के सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š पद के लिठरामनाथ कोविंद à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡, योगà¥à¤¯ विनमà¥à¤° और मृदà¥à¤à¤¾à¤·à¥€ उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤° है कोई à¤à¥€ उनकी ईमानदारी और निषà¥à¤ ां पर सवाल नहीं उठा सकता. वो किसी विवाद में नहीं फंसे, उनके राजनीतिक जीवन में कोई दाग नहीं लगा. लेकिन विवाद यह है कि कà¥à¤¯à¤¾ “सतà¥à¤¤à¤° बरस बिताकर सीखी लोकतंतà¥à¤° ने बात, महामहिम में गà¥à¤£ मत ढूंढो, पूछो केवल जात?” राजनीति से लेकर आम जिंदगी तक में जातिवादी मानसिकता कितने गहरे पैठी है आप इससे अंदाजा लगा सकते है कि जैसे ही रामनाथ कोविंद का नाम राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ पद के उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤° के बतौर घोषित हà¥à¤†. सबसे पहले लोगों ने गूगल पर उनकी जाति सरà¥à¤š की. ठीक उसी तरह जैसे ओलमà¥à¤ªà¤¿à¤• पदक जीतने वाली à¤à¤¾à¤°à¤¤ की तीन बेटियों की जाति लोगों ने गूगल पर खोजी थी.
शायद राजनीति के अखाड़ों से लेकर मीडिया हॉउस तक किसी ने यह जानने कि कोशिश की हो कि रामनाथ कोविंद कौन हैं. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी जिंदगी में किस बूते कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ हासिल किया. किन संघरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से गà¥à¤œà¤°à¤•à¤° उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कामयाबी की सीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ चà¥à¥€. जानना चाहा तो बस इतना है कि वो किस जाति से आते हैं. ये कोई इतà¥à¤¤à¥‡à¤«à¤¾à¤• की बात नहीं है कि लोग सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उनकी जाति के बारे में जानना चाहते हैं. हमारी महान राजनीतिक परंपरा ने जातिवादी मानसिकता की जड़ें इतनी गहरे जमा दी हैं कि हम इसके आगे कà¥à¤› सोच ही नहीं पाते.
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ का पद देश का सरà¥à¤µà¥‹à¤š पद होता है. इसके लिठरामनाथ कोविंद जैसे इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ का चà¥à¤¨à¤¾ जाना à¤à¤• गौरव की बात है. पर दà¥à¤–द बात यह है महामहिम राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ देश का पà¥à¤°à¤¥à¤® नागरिक होता है और पà¥à¤°à¤¥à¤® नागरिक ही अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के बजाय अपनी जाति से जाना जाये तो हम किस मà¥à¤¹à¤‚ से जातिवाद मà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की बात कर सकते है. अपनी सिमित योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के चलते में बता दूठकि सविधान कहता है राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में राजनैतिक दलों की à¤à¥‚मिका का कोई उलà¥à¤²à¥‡à¤– नहीं है. देश का राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ बनने के लिठकिसी जाति धरà¥à¤® का à¤à¥€ कोई मानक सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ नहीं है. देश का कोई à¤à¥€ नागरिक जिसकी आयॠ35 वरà¥à¤· से अधिक हो, लोकसà¤à¤¾ का सदसà¥à¤¯ बनने की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो और केंदà¥à¤° और राजà¥à¤¯ की किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤°à¤£ में किसी लाठके पद पर ना बैठा हो. वो ही देश का राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ बन सकता किनà¥à¤¤à¥ यहाठपà¥à¤°à¤¥à¤® नागरिक के चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में ही सविंधान को à¤à¤• किसà¥à¤® से ठेंगा सा दिखाया जा रहा है.
अकà¥à¤¸à¤° जब राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ नजदीक आते है तो हमेशा सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ को मिलता है कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ किस दल का होगा, उसकी जाति-धरà¥à¤® कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° आदि पर सवाल खड़े होना शà¥à¤°à¥‚ हो जाते है. कà¥à¤¯à¤¾ देश का राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ किसी दल से जà¥à¤¡à¤¾ होना जरूरी हो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ मारà¥à¤— खोजा जाये कि देश का पà¥à¤°à¤¥à¤® नागरिक किसी दल जाति पंथ के बजाय इस देश की आतà¥à¤®à¤¾ से जà¥à¤¡à¤¾ हो. दूसरा जो राजनीति पहले पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• तरीके से जातीय बंधनों को तोड़ने की बातें करती है, वो उसी के सहारे जातिवादी पहचान पà¥à¤–à¥à¤¤à¤¾ करने की तमाम कोशिशें à¤à¥€ करती हैं. उसी का नतीजा है कि दलितों के उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के नाम पर इसकी जातीय राजनीति सिरà¥à¤« à¤à¤•à¤¾à¤§ चेहरों को आगे बà¥à¤¾à¤•à¤° दलितों को à¤à¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ करने की राजनीति करती है और इसमें सारी पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¤¾à¤—ीदार है.
संविधान विशेषजà¥à¤ž सà¥à¤à¤¾à¤· कशà¥à¤¯à¤ª कहते है कि जरूरी नहीं है कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ पद के लिठकोई राजनीतिक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ही चà¥à¤¨à¤¾ जाये बलà¥à¤•à¤¿ अचà¥à¤›à¤¾ तब हो जब देश के सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š पद के लिठकिसी राजनैतिक दल से जà¥à¤¡à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ न हो जैसे पूरà¥à¤µ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ अबà¥à¤¦à¥à¤² कलाम किसी राजनैतिक दल से कोई समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ न होने के बावजूद à¤à¥€ देश में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ के रूप में अपना कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² अचà¥à¤›à¥‡ से निरà¥à¤µà¤¹à¤¨ किया. इस कारण राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ और उपराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¥à¤¤à¤¿ इन दोनों पदों के लिठराजनीति से बाहर का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हो तो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बेहतर रहे. इन सबके बीच असल सवाल पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ का है. मूल बात ये है कि अगर किसी जाति विशेष के हितों की बात की जाती है तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ किस सà¥à¤¤à¤° और कितनी मातà¥à¤°à¤¾ में सतà¥à¤¤à¤¾ की हिसà¥à¤¸à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ मिलती है. जातीय गणित बिठाने की कोशिशों के बीच सरकार यह तक à¤à¥‚ल जाती है कि देश के संवेधानिक पदों की गरिमा को बचाठरखने के लिठयोगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का मानक शीरà¥à¤· पर रखना चाहिठन जातिगत गणित. जब राजनीति समानता, योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के आधार चà¥à¤¨à¤¾à¤µ करेगी निसंदेह तà¤à¥€ सामाजिक समरसता से à¤à¤°à¤¾ समाज खड़ा होगा.
सवाल किसी के पकà¥à¤· या विरोध का नहीं है बलà¥à¤•à¤¿ सवाल उपजा है 70 वरà¥à¤· की राजनीति, देश की शिकà¥à¤·à¤¾ और सामाजिक सोच की संकà¥à¤šà¤¿à¤¤ विचारधारा पर, सतà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥‚ॠदल ने जैसे ही रामनाथ कोविंद का नाम आगे किया तो विपकà¥à¤· ने à¤à¥€ मीरा कà¥à¤®à¤¾à¤° का नाम आगे कर ये दिखाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया हम à¤à¥€ दलितवादी है सतà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥‚ॠके दलित चेहरे के सामने हम अपना दलित चेहरा आगे लायेंगे. कà¥à¤² मिलाकर सवाल यह उपजते है कि कà¥à¤¯à¤¾ देश के महामहिम के पद के लिठकà¥à¤¯à¤¾ जाति ही असल मसला है.? दलित जाति के हैं इसलिठराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ बनने जा रहे हैं.? दलित जाति के हैं इसलिठविपकà¥à¤· का धडा विरोध तक नहीं कर पा रहा.? दलित जाति के हैं इसलिठउनके मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ में विपकà¥à¤· à¤à¥€ दलित उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤° लेकर आया.? यदि à¤à¤¸à¤¾ है तो कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤• दलित को पद देने से देश के समसà¥à¤¤ दलित समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ का à¤à¤²à¤¾ होगा.? कà¥à¤¯à¤¾ कोई à¤à¥€ सरकार कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ नहीं कर सकती कि यह दलितवाद का शोर थामकर इसमें राजनैतिक रोटी ना सेककर इस समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ की शिकà¥à¤·à¤¾, रोजगार, सामाजिक समानता पर जोर देकर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस दलितवाद से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दिला सके.? महाकवि दिनकर की कविता की à¤à¤• पंकà¥à¤¤à¤¿ है कि मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का, वीरों का धनà¥à¤· छोड़कर और गोतà¥à¤° कà¥à¤¯à¤¾ होता है रणधीरों का ? पाते हैं समà¥à¤®à¤¾à¤¨ तपोबल से à¤à¥‚तल पर शूर, “जाति-जाति” का शोर मचाते केवल कायर, कà¥à¤°à¥‚र!
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