कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कमजोर हो रहे इंसानी रिशà¥à¤¤à¥‡?
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Rajeev ChoudharyDate
12-Jul-2017Category
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12-Jul-2017Download PDF
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à¤à¤²à¥‡ ही तेजी से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ समय ने हाथों में आईफोन दिठहो लेकिन उनà¥à¤¹à¥€ हाथों से रिशà¥à¤¤à¥‡ छीन लिठहै इस à¤à¥‚मंडलीकरण और उपà¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¦ का सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ असर इंसानी रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर पड़ा है. इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ बदले हà¥à¤ हालात का सबसे बड़ा दंश à¤à¥‡à¤² रहे हैं हमारे बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आज के इस आधà¥à¤¨à¤¿à¤• समाज में कई तरह की परेशानियों को à¤à¥‡à¤²à¤¨à¤¾ पड़ रहा है. दिलà¥à¤²à¥€ के à¤à¤œà¤¨à¤ªà¥à¤°à¤¾ के इलाके की रहने वाली सतà¥à¤¯à¤µà¤¤à¥€ की उमà¥à¤° à¤à¥€ अब उनपर हावी होने लगी है और उनका शरीर कमजोर होता चला जा रहा है. सतà¥à¤¯à¤µà¤¤à¥€ अपनी पहचान गà¥à¤ªà¥à¤¤ रखती है उसे डर है कि कहीं उनके चार बेटे उनपर हाथ ना उठा दें. जिलà¥à¤²à¤¤ की जिनà¥à¤¦à¤—ी से तंग आकर सतà¥à¤¯à¤µà¤¤à¥€ ने à¤à¤• वृदà¥à¤§à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® में पनाह ली है. à¤à¤¸à¥€ ना जाने कितने बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— आज बसेरे ढूंढ रहे बसेरे à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के अपनतà¥à¤µ के. बड़े शहरों की अगर बात की जाठतो सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ बताते है कि बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों के साथ दà¥à¤°à¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के मामलों में दिलà¥à¤²à¥€ के हालात बेहतर नहीं हैं.
à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• अनà¥à¤¯ महिला बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— कांता की उमà¥à¤° अब 75 साल के लगà¤à¤— होने वाली है. उनकी आà¤à¤–ें कमजोर हो गईं हैं और शरीर à¤à¥€. à¤à¤¸à¥‡ में जब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ घर पर ही देखà¤à¤¾à¤² की जरूरत है, तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जà¥à¤²à¥à¤® का शिकार होना पड़ रहा है. यह जà¥à¤²à¥à¤® कोई और नहीं बलà¥à¤•à¤¿ वो लोग कर रहे हैं जिनसे उनका खून का रिशà¥à¤¤à¤¾ है. तंग आकर कांता ने à¤à¥€ पास के ही à¤à¤• वृदà¥à¤§à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® में सहारा लिया है. वो अब अपना वकà¥à¤¤ à¤à¤œà¤¨ गाकर या टीवी पर पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ सà¥à¤¨à¤•à¤° बिताती हैं. देवीराम हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर के आसपास आसानी से दिख जाता है. चेहरे पर पड़ी à¤à¥à¤°à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, आà¤à¤–ों में अजीब से खामोशी लिठवो कहता है कि मà¥à¤à¤ªà¤° यह सबकà¥à¤› तब आ पड़ा है जब मैं कà¥à¤› à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ के लायक ही नहीं बचा हूà¤. अब मेरी आà¤à¤–ों से दिखता नहीं. दांत टूट गठहैं. शरीर कमजोर हो गया है. à¤à¤¸à¥‡ में मà¥à¤à¥‡ घर से निकाल दिया गया. मैं कहाठजाऊं. बस दिल की à¤à¤• ही तमनà¥à¤¨à¤¾ है कि मेरा बेटा किसी दिन मà¥à¤à¤¸à¥‡ बोले “पापा तू कैसा है? तूने खाना खाया या नहीं?”
इस तरह की पीड़ा समेटे अकेले राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ की सड़कों और वरà¥à¤¦à¥à¤§ आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में आपको जा जाने कितने लोग मिल जायेंगे जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अब इंसानी रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की बात सिरà¥à¤« à¤à¤• मजाक लगती है. वो à¤à¤²à¥‡ ही खà¥à¤² कर कà¥à¤› नहीं बताते लेकिन अनà¥à¤¦à¤° अनà¥à¤¦à¤° ही घà¥à¤Ÿ घà¥à¤Ÿà¤•à¤° जीने पर मजबूर हैं. वो लोग ख़à¥à¤¶à¤•à¤¼à¤¿à¤¸à¥à¤®à¤¤ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कहीं किसी का सहारा मिल सका है. मगर जिन लोगों को यह सहारा नहीं मिला उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ “बस बहà¥à¤¤ हो गया” कहने की जरूरत है, वो लोग बड़ी तकलीफदेह जिनà¥à¤¦à¤—ी गà¥à¤œà¤¾à¤° रहे हैं. इनमें से कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ हैं जो अपने ही बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के यहाठनौकरों की तरह रहने को मजबूर हैं. शिकायत करें à¤à¥€ तो किसकी? इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तो अपनों ने सताया है. वो अपने जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इनकी कोख से जनà¥à¤® लिया है. इसलिठइनकी तकलीफ बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है जो शायद कोई दूसरा महसूस ना कर सके. हांलाकि बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों की अनदेखी करने वाली औलादों के ख़िलाफ सरकार ने वरà¥à¤· 2012 में सीनियर सिटिजन à¤à¤•à¥à¤Ÿ 2007 को नठसिरे से लागू किया जिसके तहत 60 वरà¥à¤· से ऊपर के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को “सीनियर सिटिजन” माना है. इस à¤à¤•à¥à¤Ÿ में सजा का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ रखा गया पर जà¥à¤²à¥à¤® सहने के बावजूद बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के ख़िलाफ शिकायत दरà¥à¤œ कराना नहीं चाहते. इस à¤à¤•à¥à¤Ÿ के पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° औलादों को अपने माठपिता को आरà¥à¤¥à¤¿à¤‚क सहायता देनी होती है.
मानव समाज में à¤à¤¸à¤¾ कोई रिशà¥à¤¤à¤¾ नहीं होता जिसमे तकरार और छोटी-मोटी बातें नहीं होती है. लेकिन वहीं छोटी-छोटी बातें जब बड़े तकरार का रूप ले लेती हैं तब आप चाहे जिंदगी में कितने ही आगे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना बॠजाà¤à¤‚. लेकिन कहीं ना कहीं दिल के कोने में à¤à¤• याद हमेशा बसती रहेगी, जो हमेशा आपसे कहेगी की à¤à¤• मौका उस रिशà¥à¤¤à¥‡ को बचाने के लिठजो दिया जा सकता था. जीवन में कà¤à¥€-न-कà¤à¥€ वह घड़ी आती है, जब कई माता-पिता खà¥à¤¦ की देखà¤à¤¾à¤² करने के काबिल नहीं रहते और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मदद की जरूरत पड़ती है. यहाठतक कि कई बार तो वे अपने दिल में नाराजगी à¤à¥€ पालने लगते हैं. और-तो-और, कà¤à¥€-कà¤à¥€ बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— माठया पिता ठेस पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡à¤µà¤¾à¤²à¥€ बातें कह देते हैं. पर कà¥à¤¯à¤¾ हम सिरà¥à¤« इस बात से उनसे किनारा करें कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ आया या हमें ठेस पहà¥à¤‚ची?
बचपन में हम कई बार रà¥à¤ ते है माता-पिता हमें मनाते ही नहीं वरन हमारी जिद à¤à¥€ पूरी करते है इसी तरह कà¥à¤› अनबन à¤à¥€ हो तो हमें दोबारा उनकी तरफ की तरफ कदम बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ चाहिà¤. à¤à¤¸à¥‡ में अगर आपसे कà¥à¤› गलती हà¥à¤ˆ है तो उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ में कोई हरà¥à¤œ नहीं है. माता-पिता है जितना जलà¥à¤¦à¥€ गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ होते है उतना ही जलà¥à¤¦à¥€ माफ à¤à¥€ करते है. ये उमà¥à¤° à¤à¤• पड़ाव होता है जिसमें à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• रूप से सहारे की सबसे बड़ी जरूरत होती है.
कई बार अपने पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ माता-पिता को ढलती उमà¥à¤° में होनेवाली तकलीफें à¤à¥‡à¤²à¤¤à¥‡ देखकर हमें बहà¥à¤¤ दà¥à¤– होता है. उनका खयाल रखनेवाले कई बचà¥à¤šà¥‡ यह देखकर कà¤à¥€-कà¤à¥€ उदास हो जाते हैं, परेशान हो जाते हैं, खà¥à¤¦ को दोषी महसूस करने लगते हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चिंता होती है, रह-रहकर गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ आता है, à¤à¤²à¥‡ ही आप अपने बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— माता-पिता से दूर रहते हों, फिर à¤à¥€ आपको तय करना चाहिठकि माता-पिता को रोजाना किस तरह की देखà¤à¤¾à¤² की जरूरत है. अगर आपका घर उनके घर के पास नहीं है तो सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में कम से कम à¤à¤• बार उनसे बात जरà¥à¤° करें. “हालाà¤à¤•à¤¿ उमà¥à¤° ढलने से होनेवाली समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के बारे में बातचीत करना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² हो सकता है, लेकिन जब परिवार के सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯ मिलकर चरà¥à¤šà¤¾ करते हैं और पहले से अचà¥à¤›à¥€ योजना बनाते हैं, बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों की सेहत उनके रहन सहन से जà¥à¥œà¥‡ फैसले लेते है है, तब वे सही चà¥à¤¨à¤¾à¤µ करने के लिठऔर à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€ तरह तैयार होते हैं. हमें इस बात को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना चाहिठकि कà¤à¥€-न-कà¤à¥€ हमें बà¥à¥à¤¾à¤ªà¥‡ में आनेवाली तकलीफों का सामना करना ही पड़ेगा. इसलिठयह बेहद जरूरी है कि à¤à¤• परिवार के तौर पर हम इनका सामना करने के लिठतैयारी करें. इन जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पूरा करते समय आप तरह-तरह की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं से गà¥à¤œà¤°à¥‡à¤‚. बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों से बà¥à¤°à¤¾ वरà¥à¤¤à¤¾à¤µ करते वकà¥à¤¤ à¤à¤• बार जरà¥à¤° सोचें कि कल हम à¤à¥€ बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— होंगे तो कà¥à¤¯à¤¾ इस वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° के लिठहम तैयार होंगे?
-----राजीव चौधरी
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