शरियत के बदले सिरà¥à¤« खंडहर मिले
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Rajeev ChoudharyDate
18-Jul-2017Category
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सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ को लेकर हर किसी का अपना-अपना अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ और चाहत होती है। कई सदी पहले मà¥à¤–र हà¥à¤ˆ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की आवाज आज 21वीं सदी में à¤à¥€ देखने को मिल रही है। à¤à¤¸à¥‡ में सवाल ये उपजता है कि 3 साल चली जंग के बाद इराकी शहर मौसà¥à¤² आई. à¤à¤¸. यानि इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ के आतंकियों से आजाद हो गया है तो अब मजहबी मानसिकता से कशà¥à¤®à¥€à¤° आजाद कब होगा? हाल के सालों में सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ और शरियत के नाम पर फैलते इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ आतंकवाद को समà¤à¤¨à¥‡ और समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठकई शबà¥à¤¦ चल पड़े हैं जिनमें शामिल हैं- कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थी इसà¥à¤²à¤¾à¤®, इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ आतंकवाद, सलाफी-वहाबी इसà¥à¤²à¤¾à¤®, या चरमपंथी इसà¥à¤²à¤¾à¤® और तो और राजनैतिक तौर पर सही बने रहने के लिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° राजनीतिक इसà¥à¤²à¤¾à¤® का सहारा लिया जाता है। उदहारण के लिठजैसे à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आजम खान, ओवेसी बंधू और कशà¥à¤®à¥€à¤° में अलगाववादी नेता जो राजनीतिक इसà¥à¤²à¤¾à¤® की पैरवी करते आसानी से दिख जाते हैं। लेकिन यह सब सतà¥à¤¤à¤¾ पर काबिज होने की पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ का हिसà¥à¤¸à¤¾ है।
समय-समय पर à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ और पंथों में नवजागरण का काल आया उदाहरण सà¥à¤µà¤°à¥‚प हिनà¥à¤¦à¥‚ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦, राजा राममोहन राय की अगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ में 19वीं सदी में राजनैतिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का उदय हà¥à¤† धरà¥à¤® के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा जैसी अतारà¥à¤•à¤¿à¤¤ आसà¥à¤¥à¤¾ पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद ने पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उठाà¤à¥¤ चिंतन à¤à¤µà¤‚ दरà¥à¤¶à¤¨ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में परालौकिक चीजों को हाशिये पर डालकर इहलौकिकता की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा हà¥à¤¯à¥€à¥¤ ईशà¥à¤µà¤° के साथ-साथ मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ केंदà¥à¤° में आया। इन सब चीजों से नवजागरण का वातावरण तैयार हà¥à¤† था और उकà¥à¤¤ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ ने उस नवजागरण को हाथों हाथ लिया। चूà¤à¤•à¤¿ अब मधà¥à¤¯ à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ से लेकर अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾, यूरोप और à¤à¤¾à¤°à¤¤ तक पहले सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ धारà¥à¤®à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं में इसà¥à¤²à¤¾à¤® की उमà¥à¤° कम है तो यहाठइसà¥à¤²à¤¾à¤® में नवजागरण में अà¤à¥€ समय लगेगा कारण इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• यà¥à¤µà¤¾ पूरà¥à¤£ रूप से अà¤à¥€ इसके लिठतैयार नहीं है। जिस कारण अà¤à¥€ à¤à¥€ कà¥à¤› लोग चरमपंथ को à¤à¥€ मजहब का हिसà¥à¤¸à¤¾ समà¤à¥‡ बैठे हैं।
बहराल इराक में इराकी सेना की कारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¹à¥€ लगà¤à¤— पूरà¥à¤£ हà¥à¤ˆ पर शरियत यानि कि पूरà¥à¤£ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ शासन के लिठबंधक मौसà¥à¤² शहर सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° तो हो गया लेकिन वहां सिरà¥à¤« लाशें और खंडहर दिखाई पड़ते हैं। पूरà¥à¤£ शरियत के नाम पर जिस तरह वहां मानवता को रौंदा गया à¤à¤• बार कथित इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को उसे जी à¤à¤°à¤•à¤° देख लेना चाहिठऔर इससे सीख लेनी चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यही हालात à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में कशà¥à¤®à¥€à¤° के बनने वाले हैं। शरियत की मांग करने वाले चाहते हैं कि सरकार के सà¤à¥€ तंतà¥à¤° इसà¥à¤²à¤¾à¤® के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• चलने चाहिà¤, इसका मतलब है कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ ही नहीं करता जिसमें गैर मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ शकà¥à¤¤à¤¿ या सतà¥à¤¤à¤¾ में साà¤à¥€à¤¦à¤¾à¤° बन सकें। शायद इस कारण à¤à¥€ बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ लोकतानà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤• à¥à¤¾à¤‚चे का विरोध करते दिख जाते हैं। पता नहीं यह समसà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मान ली गयी है।
यदि काल गणना के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इसà¥à¤²à¤¾à¤® को समय में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ करें तो हकीकत कà¥à¤› और ही निकलकर आà¤à¤—ी। पैगमà¥à¤¬à¤° के बाद पहले खलीफा अबॠबकर को छोड़ कर, उसके बाद आठसà¤à¥€ तीन खलीफा और शियाओं के 12 इमाम, सब की हतà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤ˆ थी। कहते हैं कि खà¥à¤¦ पैगंबर मोहमà¥à¤®à¤¦ ने 27 जंगों में हिसà¥à¤¸à¤¾ लिया था। इसà¥à¤²à¤¾à¤® के शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ दौर में à¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ जैसे जिहादी गà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का जनà¥à¤® हà¥à¤† था, मिसाल के तौर पर जब पहले खलीफा अबॠबकर ने तलवार उठाई थी और जकात ;टैकà¥à¤¸à¤¦à¥à¤§ न देने वाले मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के खिलाफ जिहाद की धमकी दी थी। इस काल के बाद यदि मधà¥à¤¯ काल की बात करें तो इसà¥à¤²à¤¾à¤® की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं को लेकर टकराव हà¥à¤† जिसमें अरबी पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¦à¥à¤µà¥€à¤ª में अलग-अलग मà¥à¤²à¥à¤•à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ लिठसंघरà¥à¤· हà¥à¤†à¥¤ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• राजà¥à¤¯ बने उसके बाद आज सीधे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ परिदृशà¥à¤¯ में आयें तो आप देखेंगे कि मातà¥à¤° इंसानी नाम चेहरे और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बदले हैं वरना हिंसा का रूप धारà¥à¤®à¤¿à¤• मांग और कृकृतà¥à¤¯ बाकि सब सामान है।
कशà¥à¤®à¥€à¤° के संदरà¥à¤ में अपनी बात रखने के लिठउपरोकà¥à¤¤ उदाहरण अनिवारà¥à¤¯ से बन जाते हैं और à¤à¤• कहावत à¤à¥€ है कि जब हम देखेंगे नहीं तो सीखेंगे कहाठसे? आज जो लोग कशà¥à¤®à¥€à¤° के लोकतंतà¥à¤° को नकारकर शरियत कानून या आजादी की बात कर रहे हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अतीत के इतिहास से काफी कà¥à¤› सीख लेना चाहिà¤à¥¤ जो लोग अरब के अमीर इसà¥à¤²à¤¾à¤® का उदहारण देते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ समठलेना आवशà¥à¤¯à¤• होगा कि कà¥à¤› अरब देश इस कारण अमीर नहीं है कि वहां कोई इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• कानून है बलà¥à¤•à¤¿ उसका कारण पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• गैस और तेल जैसे खनिज पदारà¥à¤¥ हैं। जबकि कशà¥à¤®à¥€à¤° जैसे राजà¥à¤¯ में à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› नहीं है वहां की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•à¥‹à¤‚ को आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करती हैं न कि मजहबी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦à¥‡à¤‚ और इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• रीति-रिवाज! जो अलगावादी नेता आज कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ अवाम को पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से जà¥à¥œà¤¨à¥‡ की सलाह दे रहे हैं आखिर उनका आधार कà¥à¤¯à¤¾ है? कà¥à¤¯à¤¾ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में सिनà¥à¤§à¥€, बलूची, कचà¥à¤›à¥€ खà¥à¤¶ हैं? तो कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ कैसे किस लिहाज से उनसे जà¥à¥œ पायेगा? दूसरा यदि आज कशà¥à¤®à¥€à¤° में हिनà¥à¤¦à¥‚ बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• होता तो कà¥à¤¯à¤¾ वह à¤à¤¾à¤°à¤¤ से दूर जाने की सोचता?
इस कारण विवाद फिर वही घूमकर आà¤à¤—ा। मातà¥à¤° मजहबी कानूनों से कोई देश खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² नहीं हो सकताऋ उदहारण के लिठसीरिया, सूडान, लीबिया, इराक, नाइजीरिया, अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ और खà¥à¤¦ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में कितनी खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ है? कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ इस बात पर à¤à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ करे। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना जरूरी à¤à¥€ है कि दà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ वाली सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनी कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® शांतिपूरà¥à¤£ है और शांतिपूरà¥à¤£ नहीं à¤à¥€ है? इसलिठइसके यह à¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना आवशà¥à¤¯à¤• होगा कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® में मजहबी आतंक और उसकी मांगे असामानà¥à¤¯ रूप से विषैली और ताकतवर है जो इसे अनà¥à¤¯ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ से अलग ही नहीं करती वरन नफरत से देखने की और à¤à¥€ इंगित करती है। आज इसà¥à¤²à¤¾à¤® को आजादी नहीं नवजागरण चाहिठइसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• यà¥à¤µà¤¾à¤“ं को आगे बà¥à¤•à¤° सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ समà¤à¤¨à¥€ होगी। इससे निपटने की जरूरत है लेकिन इससे निपटने के लिठहमें पहले इसे इसके असली नाम से बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ होगा। कब तक अपनी बेतà¥à¤•à¥€ मांगों को जायज ठहराने के लिठकà¥à¤°à¤¾à¤¨ की आयतों और हदीसों ;पैंगबर की बातें और उनके कामदà¥à¤§ का हवाला देते रहेंगे। सà¤à¥€ आतंकी गà¥à¤Ÿ लोकतंतà¥à¤° को खारिज करते हैं। शरियत के नाम पर मानसिक गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ की ओर धकेलते हैं इसके बाद यदि कà¥à¤› मिलता है तो शरियत के बदले सिरà¥à¤« खंडहर जिसका नवीन उदाहरण इराक का मोसà¥à¤² शहर है। जो हम सबके सामने अपनी पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ का हवाला देकर आंसू बहा रहा है।
----राजीव चौधरी
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