गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ से शिकà¥à¤·à¤¾, सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का लेखन और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ ऋषि दयाननà¥à¤¦ जीवन के पà¥à¤°ï
Author
Manmohan Kumar AryaDate
06-Sep-2017Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
06-Sep-2017Download PDF
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ऋषि दयाननà¥à¤¦ के जीवन à¤à¤µà¤‚ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का देश व विशà¥à¤µ में समà¥à¤šà¤¿à¤¤ व यथारà¥à¤¥ मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन नहीं हà¥à¤† है। इसका पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण लोगों की सतà¥à¤¯ जानने के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उपेकà¥à¤·à¤¾, सà¥à¤µ-सà¥à¤µ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ आदर à¤à¤¾à¤µ और à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–ों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ आदि पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होते हैं। यदि देश व विशà¥à¤µ के लोगों में सतà¥à¤¯ के जानने की तीवà¥à¤° लालसा व इचà¥à¤›à¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ होती और सà¥à¤µ-सà¥à¤µ मतों का आगà¥à¤°à¤¹ न होता, वह सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ और सतà¥à¤¯ के तà¥à¤¯à¤¾à¤— की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होते तो आज संसार में ऋषि दयाननà¥à¤¦ को संसार में अब तक हà¥à¤ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ में सबसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया जाता। हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि à¤à¤• पौराणिक और अलà¥à¤ªà¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ व अशिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ परिवार में जनà¥à¤® लेकर à¤à¥€ हम आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ से जà¥à¥œ सके और ऋषि दयाननà¥à¤¦ के जीवन व साहितà¥à¤¯ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हम इस संसार और मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन को उसके यथारà¥à¤¥ सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प में जान सके। आज हमने इन विषयों की à¤à¤• आरà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° से à¤à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ की और दोनों में ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ विषयक जो चरà¥à¤šà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हà¥à¤ˆ उसमें यही निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· सामने आया कि हम आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ अनà¥à¤¯ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हैं कि जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ सहित संसार और ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के साधनों à¤à¤µà¤‚ साथ ही यजà¥à¤ž, योग, परोपकार, शाकाहारी जीवन, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर दया व उनकी रकà¥à¤·à¤¾ आदि का तथà¥à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। हमने यह à¤à¥€ अनà¥à¤à¤µ किया कि हमारी जो वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है, वह à¤à¤¸à¥€ कदापि न होती यदि हम ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ से न जà¥à¥œà¤¤à¥‡à¥¤
ऋषि दयाननà¥à¤¦ का यह महतà¥à¤µ किस कारण से है? इस पर विचार करें तो इसका कारण ऋषि दयाननà¥à¤¦ को इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सà¤à¥€ विषयों का सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨, देश व समाज के हित में उनका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व उनकी विशà¥à¤µ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ थी। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद और ऋषि दयाननà¥à¤¦ से पूरà¥à¤µ अनेक महापà¥à¤°à¥à¤· हà¥à¤, वह विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ थे और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° à¤à¥€ किया परनà¥à¤¤à¥ वह ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ तथा संसार विषयक उस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हो सके जो ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था व उसका देश देशानà¥à¤¤à¤° में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया। ऋषि दयाननà¥à¤¦ को यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अपने योग व बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ के बल सहित गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की शिकà¥à¤·à¤¾ व वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, अनà¥à¤¸à¤‚धान व सतà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† जो महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के कà¥à¤› काल बाद हà¥à¤ ऋषि जैमिनी के अतिरिकà¥à¤¤ किसी अनà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हà¥à¤† था। ऋषि जैमिनी जी ने à¤à¥€ मीमांसा दरà¥à¤¶à¤¨ का पà¥à¤°à¤£à¤¯à¤¨ तो किया परनà¥à¤¤à¥ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वेदों के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° का वह कारà¥à¤¯ नहीं किया, तब समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ इसकी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं थी, जो ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने किया जिसके कारण आज हमारे पास वेद, उपनिषद, दरà¥à¤¶à¤¨, मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿, रामायण व महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ आदि अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के हिनà¥à¤¦à¥€ में सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ जिस काल में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ वह घोर अविदà¥à¤¯à¤¾ का काल होने के साथ उन दिनों हमारा देश अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के पराधीन था। इससे पूरà¥à¤µ à¤à¥€ देश मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® शासकों का परतनà¥à¤¤à¥à¤° रहा जिनके काल में à¤à¤¾à¤°à¤¤ को अपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ नषà¥à¤Ÿ करना पड़ा। धनà¥à¤¯ हैं हमारे वह पूरà¥à¤µà¤œ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बाबर और औरंगजेब आदि कà¥à¤°à¥‚र शासकों के काल में à¤à¥€ अपने धरà¥à¤® और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखा। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने शिवरातà¥à¤°à¤¿ के वà¥à¤°à¤¤, अपनी बहिन व चाचा की मृतà¥à¤¯à¥ के कारण उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ वैरागà¥à¤¯ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर अपने माता-पिता व घर छोड़कर ईशà¥à¤µà¤° व सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का अनà¥à¤¸à¤‚धान व खोज की। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लगà¤à¤— 16 वरà¥à¤· इस कारà¥à¤¯ में लगाये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के सचà¥à¤šà¥‡ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जानकर गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦, मथà¥à¤°à¤¾ के परामरà¥à¤¶ वा आजà¥à¤žà¤¾ सहित अपनी निज इचà¥à¤›à¤¾ से à¤à¥€ संसार से अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश कर वेदों के रूप में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का जन-जन में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ व आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ आरमà¥à¤ किया। सतà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मिथà¥à¤¯à¤¾ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, अवतारवाद, जनà¥à¤®à¤¾ जातिवà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, मृतक शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§, मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का खणà¥à¤¡à¤¨ किया व विरोधियों से शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ किये। इसका परिणाम यह हà¥à¤† कि देश व विशà¥à¤µ में वैचारिक कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का जनà¥à¤® हà¥à¤† और सà¤à¥€ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को अपनी अपनी कमियों व खामियों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ हà¥à¤† अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ वह शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ की चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर ऋषि दयाननà¥à¤¦ की चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का उतà¥à¤¤à¤° देते। उतà¥à¤¤à¤° नहीं दिया व न दे सके, यह इस बात को बताने के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है कि उनके पास ऋषि दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ से पूछे गये पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ व आकà¥à¤·à¥‡à¤ªà¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° थे ही नहीं। आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ है कि आज à¤à¥€ वह सà¤à¥€ व उसके बाद à¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ मत-मतानà¥à¤¤à¤° पहले से à¤à¥€ अधिक अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के साथ समाज में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित हैं व फल-फूल रहे हैं।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ का पहला पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारà¥à¤¯ तो उनका गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ जी से आरà¥à¤· शिकà¥à¤·à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना था जिससे वह वेदों के यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प सहित वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के यथारà¥à¤¥ अरà¥à¤¥ जान सके। यदि यह न हà¥à¤† होता तो फिर ऋषि दयाननà¥à¤¦, दयाननà¥à¤¦ व सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ही रहते जैसे कि आज अनेकानेक साधॠसंनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ हैं। कोई उनको जानता à¤à¥€ न। गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ जी की शिकà¥à¤·à¤¾ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संसार के सà¤à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से अलग किया जिसका कारण उनकी पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का आधार वेद सहित सतà¥à¤¯ व तरà¥à¤• पर आधारित होने के साथ उनका सृषà¥à¤Ÿà¤¿ कà¥à¤°à¤® के अनà¥à¤•à¥‚ल होना à¤à¥€ है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ के जीवन का दूसरा पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारà¥à¤¯ हमें उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सतà¥à¤¯ के रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ करने वाला विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§, विशà¥à¤µ साहितà¥à¤¯ में अनà¥à¤ªà¤®à¥‡à¤¯, न à¤à¥‚तो न à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ‘सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶’ का पà¥à¤°à¤£à¤¯à¤¨ है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ ने हमें सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ की पहचान बताई। मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में कà¥à¤¯à¤¾ असतà¥à¤¯ है औरे कà¥à¤¯à¤¾ सतà¥à¤¯, यह à¤à¥€ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से ही जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हो सकता है व हà¥à¤† है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ से ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के मूल सà¥à¤µà¤°à¥‚प के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सहित मूल पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की विकृति इस संसार का यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ होता है। समाज वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ कैसी हो, इसकी चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤ ऋषि दयाननà¥à¤¦ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के परिवेश व जनà¥à¤® की महतà¥à¤¤à¤¾ को महतà¥à¤µ न देते हà¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ, उसके चरितà¥à¤° व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ तथा उसकी सà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾ आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को महतà¥à¤µ देते हैं और सबके लिठवेदों पर आधारित पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ से रहित समान शिकà¥à¤·à¤¾ व अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ को महतà¥à¤µ व पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ देते हैं।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ और आरà¥à¤¯à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ को अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ से अधिक महतà¥à¤µ देते हैं जो कि उचित ही है। गोरकà¥à¤·à¤¾ का महतà¥à¤µ बताते हैं। उससे होने वाले आरà¥à¤¥à¤¿à¤• व सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ विषयक लाà¤à¥‹à¤‚ की चरà¥à¤šà¤¾ करते हैं और गोहतà¥à¤¯à¤¾ व गोमांसाहार को पाप व अमानवीय बताकर उसका निषेध करते हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी विचारों की सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ के पकà¥à¤·à¤§à¤° थे परनà¥à¤¤à¥ आजकल की तरह देश विरोधी बातें करने को वैचारिक सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ न मानकर इसे दणà¥à¤¡à¤¨à¥€à¤¯ अपराध मानते थे, à¤à¤¸à¤¾ उनके साहितà¥à¤¯ को पà¥à¤•à¤° विदित होता है। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ को पà¥à¤•à¤° हिनà¥à¤¦à¥‚ व आरà¥à¤¯ वैदिक धरà¥à¤® की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता से परिचित हो जाते हैं और वह ईसाई व मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ व इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की गतिविधियों में फंसने से बच जाते हैं। इसके विपरीत आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ वेदों व वैदिक धरà¥à¤® की सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर दूसरे मतों के निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· लोगों को वैदिक धरà¥à¤® के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने में à¤à¥€ सफल हो जाते हैं। यही कारण है कि आज किसी मत के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ में वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं पर आकà¥à¤·à¥‡à¤ª करने का न साहस है और न योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¥¤ वह जो करते हैं वह सब परदे के पीछे छà¥à¤ª कर करते हैं। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ सचà¥à¤šà¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन जीने का लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है और ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ सहित संसार को जानकर ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लकà¥à¤·à¥à¤¯ व उसके साधनों को à¤à¥€ जानकर ईशà¥à¤µà¤° को सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾, यजà¥à¤ž, वेद व सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करके पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लेता है। वह मांसाहार, नशा, अंडे, मछली, तले व फासà¥à¤Ÿ फूड आदि तामसिक पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सेवन से बचता है और औरों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ व अलà¥à¤ª वà¥à¤¯à¤¯ में सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ का जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करता है। à¤à¤¸à¥€ बहà¥à¤¤ सी बातें हैं जिनका उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया जा सकता है। पाठक सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का पाठकर इन बातों की सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ की परीकà¥à¤·à¤¾ कर सकते हैं।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ के जीवन का तीसरा महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारà¥à¤¯ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने 10 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², सनॠ1875 को मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ के गिरिगांव मोहलà¥à¤²à¥‡ के काकड़वाडी में पà¥à¤°à¤¥à¤® आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी। आरà¥à¤¯ समाज के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯, नियम व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ संसार में अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ व सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ हैं। यदि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ न हà¥à¤† होता तो वैदिक धरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का संगठन न बनता। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ से आज तक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने संगठित होकर जो कारà¥à¤¯ किये हैं, वह à¤à¥€ न होते और हमें आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ से जà¥à¥œà¤¨à¥‡ के कारण जो अकथनीय लाठहà¥à¤ हैं, वह हमें व हमारे दूसरे बनà¥à¤§à¥à¤“ं को à¤à¥€ न होते। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हो जाने पर ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को साधन उपलबà¥à¤§ कराये। वह देश à¤à¤° मे पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ घूमें और इसके साथ ही समय समय पर पंचमहायजà¥à¤žà¤µà¤¿à¤§à¤¿, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका सहित वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, गोकरूणाविधि, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤à¤¾à¤¨à¥, आतà¥à¤®à¤¾à¤•à¤¥à¤¾ आदि का लोखन व परोपकारिणी सà¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ आदि कारà¥à¤¯ किये, यह कारà¥à¤¯ à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के परिणाम से हà¥à¤à¥¤ ऋषि दयाननà¥à¤¦ की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त संगठित होकर वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व अनेकानेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लेखन सहित वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का जो महनीय कारà¥à¤¯ किया वह à¤à¥€ न होता। अतः आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ ऋषि दयाननà¥à¤¦ का à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारà¥à¤¯ है जो इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® समय अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤²à¤¯ तक अपने असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखते हà¥à¤ असतà¥à¤¯ का खणà¥à¤¡à¤¨ और सतà¥à¤¯ का मणà¥à¤¡à¤¨ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करता रहेगा। इसी में संसार, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° का हित व कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ जà¥à¥œà¤¾ हà¥à¤† है।
देश की आजादी का समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ व अधिकांश शà¥à¤°à¥‡à¤¯ à¤à¥€ ऋषि दयाननà¥à¤¦ व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के सतà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° को ही जाता है। परतनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ के काल में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने ही देश में डीà¤à¤µà¥€ सà¥à¤•à¥‚ल व कालेजों सहित गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² खोलकर शिकà¥à¤·à¤¾ जगत में कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ की थी। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने ही देश को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤œà¥€ कृषà¥à¤£ वरà¥à¤®à¤¾, महातà¥à¤®à¤¾ हंसराज, लाला लाजपतराय, रामपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤², à¤à¤¾à¤ˆ परमाननà¥à¤¦, महादेव गोविनà¥à¤¦ रानाडे, शहीद à¤à¤—तसिंह सहित अनेक देशà¤à¤•à¥à¤¤, धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के शीरà¥à¤· विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व योदà¥à¤§à¤¾ दिये। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का ही सà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤£à¤¾à¤® है कि आज देश सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ की बातों को पूरा पूरा न मानने के कारण ही आज देश में अनेक गमà¥à¤à¥€à¤° समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं। यदि ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी की सà¤à¥€ बातों को देशवासियों ने मान लिया होता तो आज देश की मà¥à¤–à¥à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ न होती। वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से शूनà¥à¤¯ पठित लोग जब देश संबंधी राजनैतिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से निरà¥à¤£à¤¯ करते हैं तो उसमें अनेक खामियां होती है और वह गलत à¤à¥€ हो जाते हैं। आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व वैदिक जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने की है जिससे हम अचà¥à¤›à¥‡ नागरिक बनकर देश को सशकà¥à¤¤ व मजबूत कर सकें और देश के सà¤à¥€ आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• व बाहà¥à¤¯ शतà¥à¤°à¥à¤“ं पर विजय पा सकें। इसके लिठदेशवासियों में दृण इचà¥à¤›à¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ का होना आवशà¥à¤¯à¤• है जो सतà¥à¤¯ व नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पर आधारित हो। इसी के साथ इस लेख को विराम देते हैं। इति ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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