ना मौत रà¥à¤•à¥‡à¤—ी ना राजनीति
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Rajeev ChoudharyDate
08-Sep-2017Category
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08-Sep-2017Download PDF
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तमिलनाडॠके अरियलूर जिले में 17 साल की लड़की à¤à¤¸. अनीता की आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ ने राजनीतिक शकà¥à¤² लेना शà¥à¤°à¥‚ ही किया था कि कनà¥à¤¨à¥œ à¤à¤¾à¤·à¤¾ की “लंकेश पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾” की समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• और लेखक गौरी लंकेश की हतà¥à¤¯à¤¾ ने उसे à¤à¥à¤²à¤¾ दिया। नेताओं को अनीता की जाति टटोलनी पड़ती इस कारण बिना मेहनत के ही जानी पहचानी गौरी लंकेश को ही मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनाना उचित समà¤à¤¾, मà¥à¤à¥‡ पहली बार जानकर आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ हà¥à¤† कि पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ पारà¥à¤Ÿà¥€, धरà¥à¤®, मजहब और जातियों में बंधे होते हैं। जहाठपूरे देश के बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को गौरी की हतà¥à¤¯à¤¾ ने हिलाया वहीं मà¥à¤à¥‡ इस खबर ने हिला दिया कि बीजेपी विरोधी लेखक गौरी लंकेश की हतà¥à¤¯à¤¾!
à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि मेरे अनà¥à¤¦à¤° गौरी के लिठकोई सहानà¥à¤à¥‚ति या संवेदना नहीं है, मानवता के नाते मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤– हà¥à¤† लेकिन मेरा दà¥à¤ƒà¤– उस समय अनाथ सा हो गया जब मैंने पà¥à¤°à¥‡à¤¸ कà¥à¤²à¤¬ में वह पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° और नेता देखे जो सिरà¥à¤« अखलाक, पहलॠखान और याकूब मेनन की मौत पर मातम मनाते दिखे थे। गौरी लिख रही थी! मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की ओर से, à¤à¤¾à¤°à¤¤ से à¤à¥€ खदेड़े जा रहे बरà¥à¤®à¤¾ के रोहिंगà¥à¤¯à¤¾ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की ओर से, नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की ओर से और कशà¥à¤®à¥€à¤° की आजादी के दीवानों की तरफ से।
गौरी की मौत पर दिलà¥à¤²à¥€ के बड़े शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ में शोक सà¤à¤¾ आयोजित की गयी उसी जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ में जहाठसेना के जवानों की शाहदत का जशà¥à¤¨ मनाने की पिछले दिनों खबर सबने सà¥à¤¨à¥€ थी। गौरी कनà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ को अपना बेटा मानती थी। उमर खालिद का हाल पूछती थी। वह करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• की राजनीति में अपनी पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ से à¤à¤• अलख जगाना चाह रही थी। मà¥à¤à¥‡ नहीं पता उसकी मौत किसके काम आà¤à¤—ी शायद उनके ही काम आये जिनके काम दाà¤à¥‹à¤²à¤•à¤°, गोविनà¥à¤¦ पानसरे, à¤à¤®à¤à¤® कलबà¥à¤°à¥à¤—ी, अकलाख, इशरत जहाठकी आई थी।
à¤à¤¸à¤¾ नहीं है देश में ये सिरà¥à¤« तीन या चार पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° या लेखक मारे गये। नहीं, अकेले बिहार ही में हिनà¥à¤¦à¥€ दैनिक के पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बà¥à¤°à¤œà¤•à¤¿à¤¶à¥‹à¤° बà¥à¤°à¤œà¥‡à¤¶ की बदमाशों ने गोली मार कर हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी। इससे पूरà¥à¤µ à¤à¥€ सीवान में दैनिक हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° राजदेव रंजन और सासाराम में धरà¥à¤®à¥‡à¤‚दà¥à¤° सिंह की हतà¥à¤¯à¤¾ की जा चà¥à¤•à¥€ है। पिछली सरकार में उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में à¤à¤• पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° को कथित रूप से जलाकर मार डालने के आरोप में पिछड़ा वरà¥à¤— कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ मंतà¥à¤°à¥€ के खिलाफ मामला दरà¥à¤œ हà¥à¤† था। कहा जाता है कि कथित रूप से फेसबà¥à¤• पर मंतà¥à¤°à¥€ के खिलाफ लिखने के कारण पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जगेंदà¥à¤° सिंह को जान गवानी पड़ी थी। लेकिन इन सबका दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ रहा कि इनके लिठपà¥à¤°à¥‡à¤¸ कà¥à¤²à¤¬ में कोई शोक सà¤à¤¾ आयोजित नहीं की गयी और न ही राजकीय समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ इनक गौरी की तरह अनà¥à¤¤à¤¿à¤® संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥¤ ‘‘वरà¥à¤· 1992 के बाद से à¤à¤¾à¤°à¤¤ में 27 à¤à¤¸à¥‡ मामले दरà¥à¤œ हà¥à¤ हैं जब पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का उनके काम के सिलसिले में कतà¥à¤² किया गया। लेकिन किसी à¤à¤• à¤à¥€ मामले में आरोपियों को सजा नहीं हो सकी है।’’
आज गौरी के अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का रà¥à¤§à¤¾à¤°à¥à¤®à¤• राजनेताओं को पहले ही पता चल गया। कहा जा रहा है कि गौरी हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के विरोध में लिखती थी तो उसकी हतà¥à¤¯à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं ने ही की है। दà¥à¤ƒà¤– का विषय है नबी के कारà¥à¤Ÿà¥‚न बनाने के आरोप में फà¥à¤°à¤¾à¤‚स में मारे गये शारà¥à¤²à¥€ हाबà¥à¤¦à¥‹ के दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को मारने वालों का मजहब अà¤à¥€ तक पता नहीं चला, हम जिसे सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ समठरहे हैं, वह दरअसल à¤à¤• मजहबी सूजन का शिकार जिसà¥à¤® है।
मैंने सà¥à¤¨à¤¾ था दà¥à¤ƒà¤– सà¥à¤– सबका साà¤à¤¾ होता है लेकिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤¸à¤¾ नहीं है जब पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° राजनितिक दलों से, लेखक मजहबों से, कानून संवेदना से और नेता वोटों के लालच में बंधे हों तो वहां आम इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ को सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥€ बंटा सा नजर आता है। मसलन लेखक अरà¥à¤£ आनंद कहते है कि नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के काम करने की विशिषà¥à¤Ÿ शैली का यह हिसà¥à¤¸à¤¾ है कि तेजी से दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करो और छोटे-छोटे आयोजन जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जगह पर करो। खासकर मीडिया में à¤à¤• वरà¥à¤— उनका घोर समरà¥à¤¥à¤• है। इस बार à¤à¥€ गौरी लंकेश की हतà¥à¤¯à¤¾ के बाद कमोबेश सà¤à¥€ जगह वामपंथियों और नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ के समरà¥à¤¥à¤•à¥‹à¤‚ ने विरोध पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ की अगà¥à¤†à¤ˆ की। दिलà¥à¤²à¥€ के पà¥à¤°à¥‡à¤¸ कà¥à¤²à¤¬ ऑफ इंडिया में जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ विरोधी नारे लगाने वाले कनà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤° पहà¥à¤‚च गà¤à¥¤ बताइà¤! पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° संगठनों के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ तेरे टà¥à¤•à¥œà¥‡ होंगे’ का नारा देने वाले कनà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤° का कà¥à¤¯à¤¾ काम! फिर डी. राजा, सीताराम येचà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ पहà¥à¤‚चे। इन सà¤à¥€ ने माइक पकड़कर à¤à¤¾à¤·à¤£ à¤à¥€ दिà¤à¥¤ कà¥à¤› अवसरवादी ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ के कारण पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° संगठनों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की हतà¥à¤¯à¤¾ के विरोध में आयोजित शोक सà¤à¤¾ राजनीति का अखाड़ा बन गई और अब इस आंदोलन को फिर असहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ पड़ चà¥à¤•à¥‡ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ से फिर से जोड़ने की कोशिश जारी है।
इस पूरे पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ में जो सबसे शरà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤• सच सामने आया है वह यही है कि शहरी नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦à¥€ गौरी लंकेश की हतà¥à¤¯à¤¾ की आड़ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर निराधार आरोप लगाकर निशाना साध रहे हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गौरी लंकेश की हतà¥à¤¯à¤¾ से कोई दà¥à¤– नहीं हà¥à¤†à¥¤ उनके लिठयह हतà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤• सà¥à¤…वसर बन गया है, अपने वैचारिक विरोधियों से हिसाब-किताब बराबर करने का। मीडिया व राजनीतिजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का à¤à¤• वरà¥à¤— à¤à¥€ अपनी चिॠके कारण इस कà¥à¤ªà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में शामिल हो गया है। यह दà¥à¤–द है लेकिन लगता है कि सतà¥à¤¤à¤¾ से बाहर रहने का दंश इतना तीखा है कि लाशों की राजनीति अब होती ही रहेगी।
राजीव चौधरी
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