उजड़ रही है हिनà¥à¤¦à¥€
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Rajeev ChoudharyDate
12-Sep-2017Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
12-Sep-2017Download PDF
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à¤à¤• समय था जब हिनà¥à¤¦à¥€ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ बोलने वालों में à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥€ दूरी हà¥à¤† करती थी, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ बोलने वाले हिनà¥à¤¦à¥€ बोलने वालों को खà¥à¤¦ की अपेकà¥à¤·à¤¾ कम जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ समà¤à¤¾ करते थे। आज कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ ही हाल हिनà¥à¤¦à¥€ और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के बीच खड़ा हो गया है। कà¥à¤› इस तरह कि अगर कोई अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ बोल रहा है तो पà¥à¤¾-लिखा विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ ही होगा। कà¥à¤› लोगों का कहना है कि शà¥à¤¦à¥à¤§ हिनà¥à¤¦à¥€ बोलना बहà¥à¤¤ कठिन है, सरल तो केवल अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ बोली जाती है। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ जितनी कठिन होती जाती है उतनी ही खूबसूरत होती जाती है, आदमी उतना ही जागृत व पà¥à¤¾-लिखा होता जाता है। आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥€à¤°à¤£ के इस दौर में या वैशà¥à¤µà¥€à¤•à¤°à¤£ के नाम पर जितनी अनदेखी और दà¥à¤°à¥à¤—ति हिनà¥à¤¦à¥€ व अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं की हà¥à¤ˆ है उतनी शायद ही किसी देश की à¤à¤¾à¤·à¤¾ की हà¥à¤ˆ हो। घर में अतिथि आये तो बचà¥à¤šà¤¾à¤‚ से कहते है बेटा अंकल को हलो बोलो और जब जाये तो बेटा बाय बोलो।
चौदह सितमà¥à¤¬à¤° समय आ गया है à¤à¤• और हिनà¥à¤¦à¥€ दिवस मनाने का, आज हिनà¥à¤¦à¥€ के नाम पर कई सारे पाखणà¥à¤¡ होंगे जैसेकि कई सारे सरकारी आयोजन हिनà¥à¤¦à¥€ में काम को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने वाली घोषणाà¤à¤ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ तरह के समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ होंगे हिनà¥à¤¦à¥€ की दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में घड़ियाली आà¤à¤¸à¥‚ बहाठजाà¤à¤à¤—े, हिनà¥à¤¦à¥€ में काम करने की à¤à¥‚ठी शपथें ली जाà¤à¤à¤—ी और पता नहीं कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ होगा। अगले दिन लोग सब कà¥à¤› à¤à¥‚ल कर लोग अपने-अपने काम में लग जाà¤à¤à¤—े और हिनà¥à¤¦à¥€ वहीं की वहीं ठà¥à¤•à¤°à¤¾à¤ˆ हà¥à¤ˆ रह जाà¤à¤—ी।
ये सिलसिला आजादी के बाद से निरंतर चलता चला आ रहा है और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥€ चलने की पूरी-पूरी संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ है वासà¥à¤¤à¤µ में हिनà¥à¤¦à¥€ तो केवल उन लोगों की कारà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ है जिनको या तो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ आती नहीं है या फिर कà¥à¤› पà¥à¥‡-लिखे लोग जिनको हिनà¥à¤¦à¥€ से कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही मोह है और à¤à¤¸à¥‡ लोगों को सिरफिरे पिछड़े या बेवकूफ की संजà¥à¤žà¤¾ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ कर दिया जाता है। सच तो यह है कि जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ के मोहपाश में बà¥à¤°à¥€ तरह से जकड़े हà¥à¤ हैं। आज सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में निजी पारिवारिक पतà¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° बà¥à¤¤à¤¾ जा रहा है काफी कà¥à¤› सरकारी व लगà¤à¤— पूरा गैर सरकारी काम अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में ही होता है, दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ आदि के बोरà¥à¤¡ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में होते हैं, होटलों रेसà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥‡à¤‚टों इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ के मेनू अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में ही होते हैं। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° नियम कानून या अनà¥à¤¯ काम की बातें किताबें इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में ही होते हैं, उपकरणों या यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने की विधि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में लिखी होती है, à¤à¤²à¥‡ ही उसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किसी अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से वंचित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को करना हो। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मानसिकता पर पूरी तरह से हावी हो गई है।
माना कि आज के यà¥à¤— में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ जरूरी है, कई सारे देश अपनी यà¥à¤µà¤¾ पीà¥à¥€ को अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सिखा रहे हैं पर इसका मतलब ये नहीं है कि उन देशों में वहाठकी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को ताक पर रख दिया गया है और à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ नहीं है कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमको दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के विकसित देशों की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में ले आया है। सिवाय सूचना पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी के हम किसी और कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आगे नहीं हैं और सूचना पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी की इस अंधी दौड़ की वजह से बाकी के पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का कà¥à¤¯à¤¾ हाल हो रहा है वह किसी से छà¥à¤ªà¤¾ नहीं है। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के लगà¤à¤— सारे मà¥à¤–à¥à¤¯ विकसित व विकासशील देशों में वहाठका काम उनकी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में ही होता है। यहाठतक कि कई सारी बहà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कंपनियाठअंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ के अलावा और à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को महतà¥à¤µ देती है। केवल हमारे यहाठही हमारी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में काम करने को हीन à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से देखा जाता है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के माधà¥à¤¯à¤® के विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ का आज जो हाल है वह किसी से छà¥à¤ªà¤¾ नहीं है। सरकारी व सामाजिक उपेकà¥à¤·à¤¾ के कारण ये सà¥à¤•à¥‚ल आज केवल उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठहैं जिनके पास या तो कोई और विकलà¥à¤ª नहीं है जैसे कि गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° या फिर आरà¥à¤¥à¤¿à¤• तंगी। इन सà¥à¤•à¥‚लों में न तो अचà¥à¤›à¥‡ अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• हैं न ही कोई सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤ तो फिर कैसे हम इन विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ के छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को कà¥à¤¶à¤² बनाने की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ कर सकते हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ आज खà¥à¤¦ को सà¥à¤šà¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी का राजा कहता है किनà¥à¤¤à¥ कहलाने के बाद à¤à¥€ हम हमारी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में काम करने वाले कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर विकसित नहीं कर पाठहैं। किसी पà¥à¥‡-लिखे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अपनी मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ की लिपि में लिखना तो आजकल शायद ही देखने को मिले। बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को हिनà¥à¤¦à¥€ की गिनती या वरà¥à¤£à¤®à¤¾à¤²à¤¾ का मालूम होना अपने आप में à¤à¤• चमतà¥à¤•à¤¾à¤° ही सि( होगा। कà¥à¤¯à¤¾ विडंबना है? कà¥à¤¯à¤¾ यही हमारी आजादी का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है? मानसिक रूप से तो हम अà¤à¥€ à¤à¥€ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¿à¤¯à¤¤ के गà¥à¤²à¤¾à¤® हैं।
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ सिरà¥à¤« à¤à¤¾à¤·à¤¾ का नहीं है पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ का, अपनी à¤à¤¾à¤·à¤¾ का, अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ से न सिरà¥à¤« हम समाज के à¤à¤• सबसे बड़े तबके को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से वंचित कर रहे हैं बलà¥à¤•à¤¿ हम समाज में लोगों के बीच आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सामाजिक व वैचारिक दूरी उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर रहे हैं, लोगों को उनकी à¤à¤¾à¤·à¤¾, उनकी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से विमà¥à¤– कर रहे हैं। लोगों के मन में उनकी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हीनता की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ पैदा कर रहे हैं जोकि सही नहीं है। समय है कि हम जागें व इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से उबरें व अपनी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को सà¥à¤¦à¥ƒà¥ बनाà¤à¤ व उनको राज की à¤à¤¾à¤·à¤¾, शिकà¥à¤·à¤¾ की à¤à¤¾à¤·à¤¾, काम की à¤à¤¾à¤·à¤¾ व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° की à¤à¤¾à¤·à¤¾ बनाà¤à¤ फिर हम हिनà¥à¤¦à¥€ दिवस की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ में नहीं रहेंगे।
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