कà¥à¤¯à¤¾ ऋषियों की à¤à¤¾à¤·à¤¾ कठिन होती है?
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Naveen AryaDate
02-Jan-2018Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
02-Jan-2018Download PDF
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कà¥à¤¯à¤¾ ऋषियों की à¤à¤¾à¤·à¤¾ कठिन होती है?
हम सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का लकà¥à¤·à¥à¤¯ ( पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨) à¤à¤• ही है। हम सब à¤à¤• ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ हो कर समसà¥à¤¤ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं को करते हैं और वह है दà¥à¤ƒà¤– निवृतà¥à¤¤à¤¿ और सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿à¥¤ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° कहते हैं कि “तेन अनेन सरà¥à¤µà¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¨: सरà¥à¤µà¤¾à¤£à¤¿ करà¥à¤®à¤¾à¤£à¤¿ सरà¥à¤µà¤¾à¤¶à¥à¤š विदà¥à¤¯à¤¾ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¾” अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हम सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ उसी पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठततà¥à¤ªà¤° हैं, सà¤à¥€ करà¥à¤® उसी कि सिदà¥à¤§à¤¿ के लिठकिये जाते हैं और समसà¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤à¤ उसी à¤à¤• ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ से अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हैं। उसी को जनाना चाहते हैं। इसी को उपनिषदॠमें à¤à¥€ ऋषि ने कहा कि “सरà¥à¤µà¥‡ वेदा यतà¥à¤ªà¤¦à¤®à¤¾à¤®à¤¨à¤¨à¥à¤¤à¤¿......ओमॠइतà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¤à¥” । अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ समसà¥à¤¤ वेद-जà¥à¤žà¤¾à¤¨ उसी à¤à¤• ही पद ( पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने योगà¥à¤¯ ) को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करते हैं ।
वेद में विदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की हैं, उनमें से जो अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• विदà¥à¤¯à¤¾ है, ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ कृत बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥, उपनिषदà¥, वेदांग, उपांग आदि आरà¥à¤· गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं, उस पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ को सिदà¥à¤§ कराने में अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सहायक हैं और अनà¥à¤¯ आवानà¥à¤¤à¤° विषय वा गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ परोकà¥à¤· रूप में सहयोगी हैं । जो विदà¥à¤¯à¤¾, गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हमारे पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ को सिदà¥à¤§ करने में विशेष सहायक हैं वे सब शिकà¥à¤·à¤¾ से लेकर वेद परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। वेद को समà¤à¤¨à¥‡ के लिठही इन सबका विसà¥à¤¤à¤¾à¤° है। कà¥à¤› लोगों की à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है अथवा कà¥à¤› लोग à¤à¤¸à¥€ शंका करते हैं कि – ये ऋषिमà¥à¤¨à¤¿ कृत (आरà¥à¤· गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥) इतने जटिल कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ होते हैं ? ऋषियों ने इन गà¥à¤°à¤‚थों को इतना कठीन कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनाया ? उनकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ दà¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है ? तो महानà¥à¤à¤µ ! आईये ! इस विषय पर कà¥à¤› विचार करते हैं ।
सबसे पहले तो हमको यह समà¤à¤¨à¤¾ चाहिये कि कोई à¤à¥€ विषय, कोई à¤à¥€ कारà¥à¤¯ अथवा कोई à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ अपने आप में सरल वा कठीन नहीं होता। सरल और कठीन का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° अपेकà¥à¤·à¤¾ से होता है। अपनी अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾, जà¥à¤žà¤¾à¤¨, बल, सामरà¥à¤¥à¥à¤¯, और पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ की अपेकà¥à¤·à¤¾ से ही कà¥à¤› à¤à¥€ सरल व कठीन के रूप में परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ होता है। जैसे वैशेषिक दरà¥à¤¶à¤¨à¤•à¤¾à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अणॠऔर महतà¥, छोटा और बड़ा आदि का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ सापेकà¥à¤· होता है। अपने आप में कोई वसà¥à¤¤à¥ छोटी या बड़ी नहीं होती। हम पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वसà¥à¤¤à¥ के साथ अपेकà¥à¤·à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते हैं, जैसे कि à¤à¤• आà¤à¤µà¤²à¤¾ है, उसको हम छोटा या बड़ा नहीं कह सकते परनà¥à¤¤à¥ उसके सामने à¤à¤• बेल रख दें तो वह आà¤à¤µà¤²à¤¾ बेल की अपेकà¥à¤·à¤¾ से छोटा हो जायेगा और उसी आà¤à¤µà¤²à¤¾ के सामने तिल रख दें तो तिल की अपेकà¥à¤·à¤¾ से बड़ा कहलायेगा। ठीक à¤à¤¸à¥‡ ही किसी विषय, किसी कारà¥à¤¯ अथवा किसी जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सरलता वा कठिनता का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° अपने आप में नहीं होता ।
यदि किसी कारà¥à¤¯ के विषय में हमारा अनà¥à¤à¤µ नहीं है, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं है, योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ नहीं है, सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ नहीं है और यदि हम यथारà¥à¤¥ रूप में विधि पूरà¥à¤µà¤• पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ नहीं कर पा रहे हैं तो वह कारà¥à¤¯ हमारे लिठकठीन हो जायेगा, जैसे à¤à¤• बलवान सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ है, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® करता है, तो उसके लिठà¤à¤• हजार, दो हजार, अथवा पांच सौ दणà¥à¤¡ बैठक लगाना सरल है, परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ देखे जाते हैं जो सौ तो कà¥à¤¯à¤¾ बीस दणà¥à¤¡ à¤à¥€ नहीं लगा सकते। à¤à¤¸à¥‡ कमजोर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठपांच हजार दणà¥à¤¡ लगाना सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨à¤µà¤¤à¥ है, उसके लिठकठीन साधà¥à¤¯ है, वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सोचता है कि इतना कठीन वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® कैसे कर लेते हैं ? कोई सरल वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® नहीं है कà¥à¤¯à¤¾ ? वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® को लोगों ने इतना कठीन-कठीन कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बना दिया ? उसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में कà¥à¤› लोग à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ देखे जाते हैं जो दिन à¤à¤° दणà¥à¤¡ लगाने में समरà¥à¤¥ होते हैं। तो इससे यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि यह वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® करना कठीन और सरल वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ की अपेकà¥à¤·à¤¾ से है। ठीक à¤à¤¸à¥‡ ही जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में होता है। à¤à¤• सामानà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ है, उसको कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर चलाना नहीं आता लेकिन à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ उसी कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर का सॉफà¥à¤Ÿà¤µà¥‡à¤¯à¤° à¤à¥€ बना लेता है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾, सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ को बढाया है जिससे वह सब कारà¥à¤¯ उसको सरल लगता है ।
अब बात आती है हमारे आरà¥à¤· गà¥à¤°à¤‚थों की तो समà¤à¤¨à¥‡ की बात यह है कि –ऋषियों ने जो गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखे हैं वे सब पà¥à¤°à¤ªà¤‚च सरलता करने के लिठही था, वेद को हम सरल ढंग से समठसकें इसीलिठही इन सब गà¥à¤°à¤‚थों की रचना की। ये ऋषियों की हम सब पर कृपा दृषà¥à¤Ÿà¤¿ व उनकी विशेषता अथवा शैली ही है कि जन-सामानà¥à¤¯ के लिठउपकारारà¥à¤¥ सरल से सरल रूप में विषयों को उपसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर देते हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने à¤à¥€ अपने सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤‚थों को पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ लोक à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिंदी में लिख कर सरल बना दिया। आपको विदित हो कि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में हमारी बोल-चाल की à¤à¤¾à¤·à¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ ही हà¥à¤† करती थी। जब बोलचाल कि ही à¤à¤¾à¤·à¤¾ थी तो सामानà¥à¤¯ सà¥à¤¤à¤° का मजदूर à¤à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करता था। जैसे कि à¤à¤• किमà¥à¤µà¤¦à¤¨à¥à¤¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में आता है कि –à¤à¤• लकà¥à¤•à¥œ-हारा कà¥à¤› लकड़ियों को ढोकर ले जाते रहता है। उसको देख कर à¤à¤• राजकà¥à¤®à¤¾à¤° पूछ लेता है कि “à¤à¤µà¤¨à¥à¤¤à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤‚ तॠन बाधति” उसको सà¥à¤¨ कर वह लकà¥à¤•à¥œ हारा पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥à¤¤à¥à¤¤à¤° में कहता है कि, हे राजकà¥à¤®à¤¾à¤°! “à¤à¤¾à¤°à¤‚ तॠन बाधते परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤µà¤¤à¤ƒ बाधति à¤à¤µ मां बाधते” अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ आपने जो बाधते के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बाधति शबà¥à¤¦ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर दिया, वह शबà¥à¤¦ ही मà¥à¤à¥‡ बाधित कर रहा है, दà¥à¤ƒà¤– दे रहा है। इससे जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि सामानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤“ं को à¤à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का परिजà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता था। ठीक उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ऋषियों ने जो à¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखा, जिस à¤à¤¾à¤·à¤¾ शैली का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया वह उसी कालीन सरल à¤à¤¾à¤·à¤¾ ही थी। काल कà¥à¤°à¤® में à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठका परिवरà¥à¤¤à¤¨ और अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ की नà¥à¤¯à¥‚नता के कारण वही à¤à¤¾à¤·à¤¾ हमें कठीन पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है।
इस सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में निरà¥à¤•à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤° ने कहा है कि – साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ धरà¥à¤®à¤¿à¤£ ऋषयो बà¤à¥‚वà¥à¤ƒ, ते अवरेà¤à¥à¤¯à¥‹ असाकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¥ƒà¤¤ धरà¥à¤®à¤à¥à¤¯ उपदेशेन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥:। उपदेशाय गà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥‹ अवरे बिलà¥à¤®- गà¥à¤°à¤¹à¤£à¤¾à¤¯à¥‡à¤®à¤‚ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤‚ समामà¥à¤¨à¤¾à¤¸à¤¿à¤·à¥: वेदं च वेदांगानि च। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में ऋषि मà¥à¤¨à¤¿ लोग पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¥ƒà¤¤ धरà¥à¤® वाले पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हà¥à¤† करते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बाद वालों को जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· नहीं किया था, उनको उपदेश के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को सीधा सीधा पढाया करते थे। और वे लोग à¤à¥€ अरà¥à¤¥ सहित सब समठजाते थे। कालानà¥à¤¤à¤° में जब हमारी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ घटती गयी, और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने में वा मानसिक सà¥à¤¤à¤° में नà¥à¤¯à¥‚नता आती गयी तब उनको अनà¥à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹ वा गà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿ (खेद) होने से उन लोगों को सरल रूप में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कराने के लिà¤, आसानी से वेदारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लिठइन सà¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ से लेकर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ तक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की रचना की। इससे यह सिदà¥à¤§ होता है कि ऋषियों ने कठिनाई नहीं बलà¥à¤•à¤¿ सरलता बढाई है, हमारी अपेकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को देखते हà¥à¤à¥¤ और यदि ऋषियों ने सरल नहीं किया होता और हम सब की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ à¤à¤¸à¥€ ही नà¥à¤¯à¥‚न होती तो हमें कितनी बड़ी हानि उठानी पड़ती, हमारा मोकà¥à¤· का दà¥à¤µà¤¾à¤° अथवा उस पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ की सिदà¥à¤§à¤¿ का दà¥à¤µà¤¾à¤° पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ बंद हो जाता। ये तो उन उदारमना, परोपकारपà¥à¤°à¤¿à¤¯, दयालॠसà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤µà¤¾à¤²à¥‡ ऋषियों की कृपा ही है कि हमें इस सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª में आरà¥à¤· गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ उपलबà¥à¤§ हो रहे हैं । इससे अधिक और कितना सरल चाहिये ? अ,आ, आदि अकà¥à¤·à¤°-जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से तो पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकरके अनà¥à¤¤ तक बता दिया, और कà¥à¤¯à¤¾ लडà¥à¤¡à¥‚ बना कर मà¥à¤‚ह में à¤à¥€ रख देते ?
पैसे कमाने के लिठकितना कठीन परिशà¥à¤°à¤® करना पड़ता है, à¤à¤• दिन वा à¤à¤• पà¥à¤°à¤¹à¤° का पेट à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिठकितना कठीन परिशà¥à¤°à¤® करते हैं। हम जब अलà¥à¤ª कालिक सà¥à¤– के लिठइतना पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ कर सकते हैं तो जो 31 नील, 10 ख़रब, 40 अरब वरà¥à¤· तक का सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ सà¥à¤– (मोकà¥à¤·) है, वह जिन विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है उन विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को सीखने-पà¥à¤¨à¥‡ के लिठइतना पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं कर सकते ? वैसे à¤à¥€ जितना कठीन हम मानते वा कहते हैं वासà¥à¤¤à¤µ में उतना कठीन है à¤à¥€ नहीं, केवल समय लगाने की बात है । यदि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ थोडा सा à¤à¥€ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर ले और सामानà¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ले तो à¤à¥€ वह सरलता से ऋषियों के सà¤à¥€ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤°à¤‚थों को पॠकर समठसकता है । अतः उस परम पद की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठआईये हम सब समय पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करें, अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ बढायें, सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ बढायें, तपसà¥à¤¯à¤¾ करें, पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करें और वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के जीवन को सà¥à¤–-समृदà¥à¤§à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ करने के साथ-साथ उस अनà¥à¤¤à¤¿à¤® पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ मोकà¥à¤· की सिदà¥à¤§à¤¿ में à¤à¥€ सफलता को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करें।
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