बट रही संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, बंट रहा देश
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Prakash AryaDate
13-Apr-2018Category
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बट रही संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, बंट रहा देश
बट रही संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, बंट रहा देश,
जाति समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ से बॠरहे कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥¤
मानव हो मानवता के बनो पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€
है वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬à¤•à¤® की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ हमारी।।
मानवता को नषà¥à¤Ÿ करता, जातिवाद
जाति, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में बांटकर,
कर रहे मानवता का अपमान।
उसके बेटे-बेटियों पर ये जà¥à¤²à¥à¤®,
करे कà¥à¤·à¤®à¤¾ नहीं à¤à¤—वान।।
परमातà¥à¤®à¤¾ ने इस संसार का व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की आव’यकता की चल-अचल वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया। उसने सूरà¥à¤¯, चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾, मेघ से गिरता पानी, नदी, तालाब, समà¥à¤¦à¥à¤°, यह पृथà¥à¤µà¥€, वृकà¥à¤· औषधि पशॠआदि समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठदिठउसने मनà¥à¤·à¥à¤¯-मनà¥à¤·à¥à¤¯ में कोई à¤à¥‡à¤¦ नहीं किया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमसब परमातà¥à¤®à¤¾ के ही पà¥à¤¤à¥à¤°-पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ हैं, हममें कोई à¤à¥‡à¤¦ नहीं। ये जाति à¤à¥‡à¤¦ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾à¤µà¤¶ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की देन है। परमातà¥à¤®à¤¾ ने किसी को ऊॅंचा-नींचा, अछूत या दलित नहीं बनाया, यह सब तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ की सोच के कारण है। जब मनà¥à¤·à¥à¤¯ की बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ में यह अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ का विचार नहीं आया था तब तक संसार में मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤• ही जाति थी।
‘‘दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का इकरामी आलम आम था।
पहले à¤à¤• कौम थी, इंसान जिसका नाम था।।’’
ये जातिवाद हमारी सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नहीं है। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° आज अनेक à¤à¤¸à¥€ कई मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ में आ हà¥à¤ˆ हैं, जिनका कोई ठोस आधार ही नहीं है। किनà¥à¤¤à¥ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मानने वालों की संखà¥à¤¯à¤¾ अचà¥à¤›à¥€ खासी हो हà¥à¤ˆ है, इसलिठउसे अब सामाजिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के रूप में माना जा रहा है। à¤à¤¸à¥‡ ही वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर जाति वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ हो हà¥à¤†à¥¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हà¥à¤†, कबसे हà¥à¤†, यह कहीं सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ नहीं है।
समाज में पहले वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी, जिसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ की पहचान उसके करà¥à¤® सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के आधार पर थी, उचित थी। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपनी योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯ या शूदà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता था।
आज न समाजवाद है, न राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ है न मानवीय दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ , इन सब पर à¤à¤¾à¤°à¥€ जातिवाद है। परिणाम हà¥à¤† खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदलता है की कहावत चरितारà¥à¤¥ हो रही है। जब जातिवाद को शसà¥à¤¤à¥à¤° बनाकर ही सबकà¥à¤› पाया जा सकता है तो दूसरा वरà¥à¤— जो अà¤à¥€ तक जातिवाद को महतà¥à¤µ नहीं देता रहा वह à¤à¥€ इसी ओर पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर जातिवाद को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ दे रहा है। जनà¥à¤® के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जाति वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में मनà¥à¤·à¥à¤¯ को बांटना समसà¥à¤¤ समाज के लिठà¤à¤• नासूर है। à¤à¤¸à¤¾ नासूर जिसकी आंच में समाज, संगठन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, राषà¥à¤Ÿà¥à¤° सà¤à¥€ बà¥à¤°à¥€ तरह à¤à¥à¤²à¤¸ रहे है।
जातिवाद और सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• विचारधारा के कारण यह देश वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक गà¥à¤²à¤¾à¤® रहा। सनातन धरà¥à¤® की जातियों में बटी शकà¥à¤¤à¤¿ ने विदेशी ताकतों को अवसर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया। जातिवाद के पाप के कारण हमने ही à¤à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ को तिरसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सनातन धरà¥à¤® से पृथक होने हेतॠविवश किया। जातिवाद के विष का ही पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ था, डॉ- à¤à¥€à¤®à¤°à¤¾à¤µ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° जैसे महान वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को बौदà¥à¤§ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना पड़ा। हृदय विदारक घटनाओं से जिसमें मोपला कांड जिससे सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को à¤à¤¾à¤°à¥€ कà¥à¤·à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ, उपेकà¥à¤·à¤¾ के कारण सनातन धरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने दूसरे समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ को अपना लिया। जातिवाद का ही दà¥à¤·à¥à¤ªà¤°à¤¿à¤£à¤¾à¤® कशà¥à¤®à¥€à¤° केरल, पूरà¥à¤µà¤¾à¤‚चल के कई राजà¥à¤¯ हैं जहॉं सनातन धरà¥à¤®à¥€ अपने ही देश में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के संकट हिंसा और अपमान से à¤à¤°à¥€ जिनà¥à¤¦à¤—ी जी रहे हैं। जाति व समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ का ही परिणाम पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨, बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ व कशà¥à¤®à¥€à¤° का तांडव है। इस जातिवाद, छà¥à¤†à¤›à¥‚त की मानसिकता ने ही अपनी शकà¥à¤¤à¤¿, संगठन देश को कमजोर कर दिया।
जनà¥à¤® से मनà¥à¤·à¥à¤¯ की जाति मानने का कहीं शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का कोई पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ नहीं है।
योगिराज शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने चार वरà¥à¤£ को करà¥à¤® के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° माना. संसार के शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तम विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ आचारà¥à¤¯ मनॠने जनà¥à¤® से जाति को नहीं माना है। करà¥à¤® के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त माना हà¥à¤† है। जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जायते शूदà¥à¤°à¤ƒ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¾à¤¦à¥ दà¥à¤µà¤¿à¤œ उचà¥à¤šà¤¯à¤¤à¥‡à¥¤ जनà¥à¤® से सà¤à¥€ शूदà¥à¤° हैं, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¤¯ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ बनते हैं। जनà¥à¤® से सà¤à¥€ शूदà¥à¤° अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ ही होते हैं। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बालपन में किसी को कोई जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं होता इसलि, सà¤à¥€ को शूदà¥à¤° कहा जाता है, परमातà¥à¤®à¤¾ ने हमे यह सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ दी है कि हम अपने जीवन को बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, वेशà¥à¤¯ या शूदà¥à¤° जो बनाना चाहे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बना सकते हैं। जनà¥à¤® से कोई बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ या वेशà¥à¤¯ पैदा नहीं होता। शूदà¥à¤° को किसी जाति से जोड़ना मूरà¥à¤–ता है।
पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय में वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ ही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में थी पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी की इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ होती है।
वरà¥à¤£à¤¶à¥à¤°à¤® निज-निज धरम निरत वेद पथ लोग।
चलहिं सदा पावहिं सà¥à¤–ई नहिं à¤à¤¯ सोक न रोग।।
जाति शबà¥à¤¦ का उपयोग पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता के लिठकिया जाता है, पहले यही किया जाता था। जैसे पंखों से उड़ने वाले समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की जाति पतंग विहंग जाति, जल में रहने वाले समसà¥à¤¤ जीवों की जलचर जाति, चैपा, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की पशॠजाति और मनà¥à¤·à¥à¤¯ के रूप में जनà¥à¤®à¥‡à¤‚ सà¤à¥€ की मानव जाति à¤à¤• ही कहलाà¤à¤—ी
हमारी सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ बनने का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ देती है। ‘‘मनà¥à¤°à¥à¤à¤µ जनà¥à¤¯à¤¾ दैवà¥à¤¯à¤®à¤ƒ जनम‘‘ पहले सà¥à¤µà¤¯à¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯ बनो और दूसरो को à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ बनाओ। किसी जाति का सदसà¥à¤¯ बनने का नहीं कहा।
हम जिन à¤à¤—वान राम को मानते हैं, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सबको गले लगाया। जिनके रातदिन गीतों में बसते हैं रघà¥à¤ªà¤¤à¤¿ राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम’’ पर उसे अपने जीवन में आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ नहीं करते।
लेखक - पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आरà¥à¤¯
मंतà¥à¤°à¥€ -सारà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤• आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾, दिलà¥à¤²à¥€
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