आदरà¥à¤¶ गà¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ और आदरà¥à¤¶ शिषà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦
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Manmohan Kumar AryaDate
19-Apr-2018Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
19-Apr-2018Download PDF
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आदरà¥à¤¶ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ आदरà¥à¤¶ माता, पिता और आचारà¥à¤¯ करते हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने लिखा है कि वह सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ होती है जिसके माता, पिता और आचारà¥à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• होते हैं। धारà¥à¤®à¤¿à¤• होने का अरà¥à¤¥ है कि जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वेद व वेद परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ थे कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धारà¥à¤®à¤¿à¤• माता-पिता मिले। उनके जनà¥à¤® व उसके बाद माता-पिता ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धारà¥à¤®à¤¿à¤• संसà¥à¤•à¤¾à¤° दिये। पिता करà¥à¤·à¤¨à¤œà¥€ तिवारी पौराणिक बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ थे अतः वह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पौराणिक कृतà¥à¤¯ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा आदि करने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करते थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी की आयॠका चौहहवां वरà¥à¤· था। शिवरातà¥à¤°à¤¿ के परà¥à¤µ पर पिता ने अपने पà¥à¤¤à¥à¤° को शिव जी की पौराणिक कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शिवरातà¥à¤°à¤¿ का वà¥à¤°à¤¤ रखने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया। कथा के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से बालक मूलशंकर वा सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ वà¥à¤°à¤¤ उपवास रखने को सहमत हो गये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वà¥à¤°à¤¤ रखा परनà¥à¤¤à¥ रातà¥à¤°à¤¿ को शिव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में जागरण करते हà¥à¤ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में बिलों से कà¥à¤› चूहे बाहर निकले और शिव की पिणà¥à¤¡à¥€ के निकट आकर उस पर à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चà¥à¤¾à¤¯à¥‡ गये अनà¥à¤¨ आदि पदारà¥à¤¥à¥‹ को खाने लगे। यह देखकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ का बाल मन आहत हà¥à¤†à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विचार आया कि शिव तो सरà¥à¤µ शकà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ हैं। वह à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हो दे रहे हैं। वह अपने ऊपर से उन चूहों को à¤à¤—ा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं रहे हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के शरीर पर मकà¥à¤–ी या मचà¥à¤›à¤° à¤à¥€ बैठे तो वह उसे उड़ाकर à¤à¤—ा देता है। शिव तो मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ से कहीं अधिक शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हैं फिर वह असमरà¥à¤¥à¤¤à¤¾ का परिचय कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दे रहे हैं। वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ यह है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ में जो थोड़ी बहà¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿ है वह à¤à¥€ परमातà¥à¤®à¤¾à¤°à¥‚पी शिव की ही दी हà¥à¤ˆ होती है। इस घटना से मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा पर उनका विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ जाता रहा। पिता व मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ कोई उनकी शंका व जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ को दूर न कर सका। इसके बाद घर पर बहिन व चाचा की मृतà¥à¤¯à¥ से उनको वैरागà¥à¤¯ हो गया। माता-पिता को जब इन बातों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हà¥à¤† तो वह उनका विवाह करने लगे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ की विचार शकà¥à¤¤à¤¿ असाधारण थी। वह बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ में बनà¥à¤§à¤¨à¤¾ नहीं चाहते थे। यदि वह बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ में फसते तो वह ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° और मोकà¥à¤· के साधनों का पालन न कर पाते। अतः सचà¥à¤šà¥‡ शिव की खोज व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ जिससे जनà¥à¤® मरण के बनà¥à¤§à¤¨ कटते हैं व मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है, उस अमृततà¥à¤µ की खोज व पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठवह अपने जीवन के बाईसवें वरà¥à¤· में अपने माता-पिता व à¤à¤¾à¤ˆ बनà¥à¤§à¥à¤“ं को छोड़ कर चले गये थे।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने ईशà¥à¤µà¤° विषयक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व उसकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के साधनों की खोज व साधना को अपने जीवन मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ बनाया और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर जाकर धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से अपने मनोरथ को पूरà¥à¤£ करने की चरà¥à¤šà¤¾ की और उनसे जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व साधना विषयक निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ मिल सकते थ,े उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जाना व सीखा। उनका यह कà¥à¤°à¤® वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक चलता रहा। वह उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ घूम घूम पर साधकों, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व योगियों की खोज करते रहे और जहां जो गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ व शासà¥à¤¤à¥à¤° मिलता था उसका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते थे। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ आदि का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पिता के घर पर रहकर ही किया था। अतः उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ मिलने पर à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤¨à¥‡ व समà¤à¤¨à¥‡ में कोई कठिनाई नहीं होती थी। यदि कहीं कà¥à¤› शंका व à¤à¥à¤°à¤® होता था तो वह विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की शरण में जाकर उसका निवारण कर लेते होंगे, à¤à¤¸à¤¾ अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अनेक योगियों व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की संगति की और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने सहित योग साधनों का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ किया। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ उनको पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ उनको अपने à¤à¤• संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ गà¥à¤°à¥ से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤† था कि मथà¥à¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤·à¥ दणà¥à¤¡à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ उनको विदà¥à¤¯à¤¾ दान देकर उनकी सà¤à¥€ शंकाओं का निवारण करा सकते है और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° सहित मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठउचित मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ कर सकते हैं। अतः सनॠ1857 की देश को आजाद करने की पà¥à¤°à¤¥à¤® कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के बाद देश में कà¥à¤› शानà¥à¤¤à¤¿ होने पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ मथà¥à¤°à¤¾ पहà¥à¤‚चे और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी से अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कराने की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। यह सनॠ1860 का वरà¥à¤· था। इस समय सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी की आयॠलगà¤à¤— 35 वरà¥à¤· थी। इस आयॠमें à¤à¥€ à¤à¤• बालक की à¤à¤¾à¤‚ति उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ जी की सेवा करते हà¥à¤ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ की आरà¥à¤· वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€-महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व निरà¥à¤•à¥à¤¤ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की विलà¥à¤ªà¥à¤¤ अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€-महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ को पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ करने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी को ही है। यदि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी को गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ जी न मिले होते तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जीवन में देश व समाज उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के जो कारà¥à¤¯ किये वह समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ न किये जा सकते। देश उनके किये योगदान से वंचित रहता। इस कारण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को उचà¥à¤š कोटि का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ योगà¥à¤¯à¤¤à¤® वेदाचारà¥à¤¯ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बनाने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी को ही है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में गà¥à¤°à¥‚ विरजाननà¥à¤¦ जी का योगदान निरà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¦ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ का अधिकांश समय अपने गà¥à¤°à¥ के सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में ही वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ होता था अतः वह पà¥à¤¾à¤ˆ से बचे समय में अनेक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं व उनसे संबंधित शंकाओं व जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤“ं का समाधान करते कराते थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को समà¤à¤•à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ à¤à¥€ आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ थे और वह मन ही मन देश व धरà¥à¤® की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के अपने सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ को पूरा होता अनà¥à¤à¤µ करने लगे थे। लगà¤à¤— तीन वरà¥à¤· में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ पूरा हो गया। गà¥à¤°à¥ दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ का अवसर आया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ गà¥à¤°à¥à¤œà¥€ की पà¥à¤°à¤¿à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ लौंग लेकर उनके समीप पहà¥à¤‚चे और उसे गà¥à¤°à¥‚ जी को à¤à¥‡à¤‚ट की। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ जी को देश की दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ व वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पतन व उसके कारणों का पूरà¥à¤£ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था। वह सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ से इस विषय में पूरà¥à¤µ चरà¥à¤šà¤¾ कर चà¥à¤•à¥‡ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को अपनी पीड़ा से परिचित कराया और कहा कि वह चाहते हैं कि गà¥à¤°à¥ दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ में वह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वचन दें कि वह वेद, वैदिक धरà¥à¤® व आरà¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° करेंगे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने अपने गà¥à¤°à¥ को वचन दिया और वहां से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर गये। उसके बाद का उनका जीवन चिनà¥à¤¤à¤¨ मनन कर वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° की योजना बनाने व उसे कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• रूप देने में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ हà¥à¤†à¥¤
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने कà¥à¤› समय आगरा में निवास कर अपनी धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° योजना को अनà¥à¤¤à¤¿à¤® रूप दिया और आगरा में पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ व वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ आदि à¤à¥€ दिये। उसके बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देश à¤à¤° में घूम कर वेद व धरà¥à¤® विषयक अनेक पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ व वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिये। उनके पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ में विदà¥à¤¯à¤¾ व अविदà¥à¤¯à¤¾ का समगà¥à¤°à¤¤à¤¾ से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ किया जाता था। वह मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, अवतारवाद, मृतक शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, छूआछूत, सामाजिक असमानता आदि का खणà¥à¤¡à¤¨ करते थे और इसके साथ ही सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· दोनों की समानता के पकà¥à¤·à¤§à¤° थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सबको समान व निःशà¥à¤²à¥à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ दिये जाने का समरà¥à¤¥à¤¨ किया। गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ के à¤à¥€ वह समरà¥à¤¥à¤• थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने समाज में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ का विरोध किया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धरà¥à¤® के मूल गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वेदों के विरà¥à¤¦à¥à¤§ सिदà¥à¤§ किया। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का अधिकार नहीं था। हमारे सà¤à¥€ व अधिकांश पौराणिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ वेदों के यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प व मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को à¤à¥‚ल चà¥à¤•à¥‡ थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ 26/2 मनà¥à¤¤à¥à¤° को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर सबका वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने का अधिकार सिदà¥à¤§ किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¤à¤¾à¤“ं वा वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के बनà¥à¤§à¥ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ आते थे और उनसे किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ व à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ नहीं किया जाता था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के समय में वेद व उनके यथारà¥à¤¥ अरà¥à¤¥ लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो चà¥à¤•à¥‡ थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने वेदों की मूल संहिताओं की खोज की व उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की परीकà¥à¤·à¤¾ की और उसके बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 16 नवमà¥à¤¬à¤°, सनॠ1869 को काशी के पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ से मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा के वेद विहित होने पर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ किया। मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा के पकà¥à¤·à¤§à¤° पौराणिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा को वेद विहित सिदà¥à¤§ नहीं कर सके। आज à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यही है कि मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा वेद विहित न होकर वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ है। वेद ईशà¥à¤µà¤° के निराकार व सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं। वेद अवतारवाद के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के à¤à¥€ विरà¥à¤¦à¥à¤§ है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वेदों से ईशà¥à¤µà¤° के अवतार लेने का समरà¥à¤¥à¤¨ नहीं होता।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के विचारोतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¨à¤•à¤° कà¥à¤¯à¤¾ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ और कà¥à¤¯à¤¾ साधारण जन सà¤à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करने लगे और अपनी मूतिरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को नदियों में पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करने लगे। इससे कà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होकर अनेक पौराणिकों ने उनके विरà¥à¤¦à¥à¤§ षडयनà¥à¤¤à¥à¤° किये और उनके पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ पर आघात किये। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि लगà¤à¤— 18 बार सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी को विष देकर मारने का षडयनà¥à¤¤à¥à¤° किया गया। मई, 1883 में जोधपà¥à¤° पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ में à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विष ही दिया गया था जिसके कारण 30 अकà¥à¤¤à¥‚बर, सनॠ1883 को अजमेर उनका देहावसान हà¥à¤†à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿, पंचमहायजà¥à¤žà¤µà¤¿à¤§à¤¿, गोकरूणानिधि, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤à¤¾à¤¨à¥ सहित वेदों पर संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ व हिनà¥à¤¦à¥€ में à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ किया है। यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ पर उनका à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पूरà¥à¤£ हà¥à¤† और वह सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° सà¥à¤²à¤ है। ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ पर वह आंशिक, लगà¤à¤— आधे à¤à¤¾à¤— का, à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ ही कर पाये थे। शेष à¤à¤¾à¤— सहित सामवेद व अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ उनके शिषà¥à¤¯ अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने पूरà¥à¤£ किया। यदि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को कà¥à¤› वरà¥à¤· का समय और मिलता तो वह चारों वेदों का पूरà¥à¤£ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ कर जाते। इसे हम मानव जाति का हतà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ही मानते हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के कारण देश में चहà¥à¤‚ओर जागृति व जनजागरण हà¥à¤†à¥¤ देश को आजादी का सूतà¥à¤°, मनà¥à¤¤à¥à¤° व विचार देने वाले à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ही थे। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के अषà¥à¤Ÿà¤® समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ को सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ उतà¥à¤¤à¤® बताया है और विदेशी राजà¥à¤¯ को माता-पिता के समान कृपा, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व दया से यà¥à¤•à¥à¤¤ होने पर à¤à¥€ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में हेय बताया है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने 10 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 1875 को मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी। आज पूरे विशà¥à¤µ में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की शाखायें विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं और करोड़ों लोग वेद व सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ वेद धरà¥à¤® के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का पालन करते हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° सहित पंच महायजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का पालन à¤à¥€ अपने दैननà¥à¤¦à¤¿à¤¨ जीवन में करते हैं। सà¤à¥€ आरà¥à¤¯ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व वेद आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ à¤à¥€ करते हैं। इससे अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश हà¥à¤† है। सà¤à¥€ मतों में अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। इसका पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व दिगà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में कराया है। इसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ लोगों को सतà¥à¤¯ को जानने में सहायता करने सहित सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने के लिठकिया गया है।
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² के बाद सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ पहले à¤à¤¸à¥‡ गà¥à¤°à¥ हà¥à¤ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° सहित सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ वैदिक धरà¥à¤® व आरà¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को विशà¥à¤µ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– व à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° धरà¥à¤® बनाने व पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ करने कराने का सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ देखा था। वेद ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है व सब सतà¥à¤¯à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤“ं का पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है। वेद अविदà¥à¤¯à¤¾ से रहित हैं और पूरà¥à¤£ धरà¥à¤® गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं जिनमें सà¤à¥€ सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का बीज रूप में समावेश है। इसके विपरीत सà¤à¥€ मतों व पनà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में अविदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ अनेकानेक बातें, किसà¥à¤¸à¥‡ कहानियां व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं जिससे देश व विशà¥à¤µ में अशानà¥à¤¤à¤¿ व लड़ाई à¤à¤—ड़े होने के साथ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की लौकिक व पारलौकिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ à¤à¥€ बाधित होती है। गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ जी ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जैसा योगà¥à¤¯à¤¤à¤® शिषà¥à¤¯ तैयार किया। उनके समान आदरà¥à¤¶ शिषà¥à¤¯ उनसे पूरà¥à¤µ व पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं हà¥à¤†à¥¤ हां, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी के अनेक शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने उनके अनà¥à¤°à¥‚प जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने के पà¥à¤°à¤œà¥‹à¤° पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किये हैं। उन सबके जीवन à¤à¥€ आदरà¥à¤¶ ही हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ और उनके गà¥à¤°à¥ के जीवन पर दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डालने पर गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ अपूरà¥à¤µ आदरà¥à¤¶ गà¥à¤°à¥ सिदà¥à¤§ होते हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने अपने गà¥à¤°à¥‚ के सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨à¥‹à¤‚ को साकार करने के लिठअपने जीवन का à¤à¤• à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किया और देश को सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— पर आगे बà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जिस पर चलकर देश का अननà¥à¤¤ उपकार हà¥à¤†à¥¤ इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ आदरà¥à¤¶ शिषà¥à¤¯ हैं। हम आदरà¥à¤¶ गà¥à¤°à¥ विरजाननà¥à¤¦ जी और उनके व देश के सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ आदरà¥à¤¶ शिषà¥à¤¯ के रूप में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ को हृदय से नमन करते हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी आदरà¥à¤¶ शिषà¥à¤¯ होने के साथ विशà¥à¤µ के सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® गà¥à¤°à¥‚ के आसन पर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित है। हम अपने अनà¥à¤à¤µ से यह à¤à¥€ निवेदन करते हैं कि विशà¥à¤µ का अनà¥à¤¤à¤¿à¤® वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से पूरà¥à¤£ धरà¥à¤® वेद ही होगा। हमें इस लकà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठसतत पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहना है। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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