घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ ियों पर बेतà¥à¤•à¥€ रार
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Rajeev ChoudharyDate
04-Aug-2018Category
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04-Aug-2018Download PDF
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शरणारà¥à¤¥à¥€ वह होता है जो जरूरी कागजात लेकर किसी राषà¥à¤Ÿà¥à¤° से कà¥à¤› समय के लिठशरण मांगता है और घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ िया उसे कहा जाता जो चोरी से किसी राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की सीमा में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर जाये। शायद इसी अंतर को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करने के लिठअसम में नेशनल रजिसà¥à¤Ÿà¤° ऑफ सिटिजनà¥à¤¸ (à¤à¤¨à¤†à¤°à¤¸à¥€) का दूसरा और आखिरी डà¥à¤°à¤¾à¤«à¥à¤Ÿ पेश कर दिया गया है। इसके तहत 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों को वैध नागरिक मान लिया गया है। इस तरह से करीब 40 लाख लोग अवैध पाठगठहैं, जो अपनी नागरिकता के वैध दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ को साबित नहीं कर सके हैं। हालाà¤à¤•à¤¿ ;à¤à¤¨à¤†à¤°à¤¸à¥€à¤¦à¥à¤§ को लेकर अà¤à¥€ काफी असमंजस की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है लेकिन इस असमंजस को वही समठसकता है, जिसने बड़ी मेहनत से घर बनाया हो और घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ िये दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• हिंसा की अगà¥à¤¨à¤¿ की लपटों में सà¥à¤µà¤¾à¤¹ कर बैठा हो।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ का बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ से जà¥à¥œà¤¾ असम का दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ à¤à¤¾à¤— नागरिकता की इसी असमंजस की लहरों में तैर रहा है। à¤à¤²à¥‡ ही लोग इस à¤à¤¾à¤— से मानचितà¥à¤°à¥‹à¤‚, किताब के कà¥à¤› पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ और अखबार की सà¥à¤°à¥à¤–ियों से परिचित हो गये हों किनà¥à¤¤à¥ यह परिचय à¤à¥€ केवल असम राजà¥à¤¯ का नाम और उसकी राजधानी छोड़कर यादों के कोने में बहà¥à¤¤ देर नहीं टिकता। लेकिन à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ होने के नाते राजà¥à¤¯ से हम सबका à¤à¤• जà¥à¥œà¤¾à¤µ है, जो हमारी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ पहचान के साथ-साथ चलता रहता है। अगर वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के धरातल पर आकर सोचें तो यह साफ दिखता है कि à¤à¤¨à¤†à¤°à¤¸à¥€ का यह तरीका सही है। बाहरी घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ िया, मूल नागरिकों के संसाधनों से लेकर अधिकारों तक में सेंध लगाते हैं। इस बदलाव से सबसे अधिक परेशान मूल नागरिकों में गरीब और सबसे निचला तबका होता है जो दैनिक, मजदूरी पर अपनी जिंदगी गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¤à¤¾ है। इसके मन में पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को लेकर नफरत पनपने लगती है। तब सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासी यह अपेकà¥à¤·à¤¾ रखता है कि लोकतानà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤• तरीकों से राजनेता परेशानियों का समाधान करे।
इसी समाधान का हल तलाशने के लिठपिछले तीन सालों से सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ की निगरानी में नया राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ नागरिक रजिसà¥à¤Ÿà¤° ;à¤à¤¨à¤¸à¥€à¤†à¤°à¤¦à¥à¤§ बनाने की तैयारी चल रही थी। इससे पहले वाला नागरिक रजिसà¥à¤Ÿà¤° सनॠ1951 में बना था। इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के सहारे ही असम के मूल नागरिकों की पहचान की जानी है। बस यही मूल समसà¥à¤¯à¤¾ है असम हर जगह जैसी जगह नहीं है कि इसे सहन कर लिया जाà¤à¥¤ यह दो देशों के बीच मौजूद à¤à¥‚मि पर अपनी जिंदगी जीता है। इसलिठघà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ ियों को लेकर असम की राजनीति आजादी के बाद से ही उफनती रही है।
दूसरा असम में घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ ियों को वापस à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ के लिठयह अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ करीब 37 सालों से चल रहा है। सनॠ1971 में बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ के सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संघरà¥à¤· के दौरान वहां से पलायन कर लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤¾à¤— आठऔर यहीं बस गà¤à¥¤ इस कारण सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों और घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ ियों में कई बार हिंसक वारदातें हà¥à¤ˆà¤‚। असà¥à¤¸à¥€ के दशक से ही यहां घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ ियों को वापस à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ के आंदोलन हो रहे हैं। सबसे पहले घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ ियों को बाहर निकालने का आंदोलन 1979 में ऑल असम सà¥à¤Ÿà¥‚डेंट यूनियन और असम गण परिषद ने शà¥à¤°à¥‚ किया। यह आंदोलन हिंसक हà¥à¤† और करीब 6 साल तक चला। हिंसा में हजारों लोगों की मौत हà¥à¤ˆà¥¤ हिंसा को रोकने में 1985 में केंदà¥à¤° सरकार और आंदोलनकारियों के बीच समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ हà¥à¤†à¥¤ उस वकà¥à¤¤ ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ राजीव गांधी और सà¥à¤Ÿà¥‚डेंट यूनियन और असम गण परिषद के नेताओं में मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ तय हà¥à¤† कि 1951-71 से बीच आठलोगों को नागरिकता दी जाà¤à¤—ी और 1971 के बाद आठलोगों को वापस à¤à¥‡à¤œà¤¾ जाà¤à¤—ा। आखिरकार सरकार और आंदोलनकारियों में बात नहीं बनी और समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ फेल हो गया।
इसी कारण असम में सामाजिक और राजनीतिक तनाव बà¥à¤¤à¤¾ चला गया। इसके बाद 2005 में राजà¥à¤¯ और केंदà¥à¤° सरकार में (à¤à¤¨à¤†à¤°à¤¸à¥€) लिसà¥à¤Ÿ अपडेट करने के लिठसमà¤à¥Œà¤¤à¤¾ किया। धीमी रफà¥à¤¤à¤¾à¤° की वजह से मामला सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ तक पहà¥à¤‚चा। इस मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ जहां सà¥à¤¸à¥à¤¤ दिखी। वहीं, बीजेपी ने इस पर दांव खेल दिया और 2014 में à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ ने इसे चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनाया। मोदी ने चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को वापस à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ की बातें कहीं। इसके बाद 2015 में कोरà¥à¤Ÿ ने à¤à¤¨à¤†à¤°à¤¸à¥€ लिसà¥à¤Ÿ अपडेट करने का à¤à¥€ आदेश दे दिया जब 2016 में राजà¥à¤¯ में à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ की पहली सरकार बनी और अवैध रूप से रह रहे बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को वापस à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ फिर तेज हो गई।
असम में 1971 के पहले या बाद कितने बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ आठहैं, इसका हिसाब किसी के पास नहीं है। लेकिन हर कोई कह रहा है कि बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ जरूर आठहोंगे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस दौरान राजà¥à¤¯ में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की आबादी में इजाफा हà¥à¤† है। सनॠ1971 में असम में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® आबादी 24.56 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ थी, जो 2001 में बà¥à¤•à¤° 30.92 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ हो गई। इसी तरह राजà¥à¤¯ के मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बहà¥à¤² जिलों में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के बà¥à¤¤à¥‡ अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ पर चिंता वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ की जाती है। धà¥à¤¬à¥œà¥€ जिला बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ से सटा हà¥à¤† है और वहां नदी के रासà¥à¤¤à¥‡ बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ आना-जाना बिलà¥à¤•à¥à¤² आसान है। वहां की मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® आबादी का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ 1971 के 64.46 से बà¥à¤•à¤° 2001 में 74.29 हो गया। जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि इन 30 सालों में असम में यदि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ 129.5 फीसदी बà¥à¥€ है बस असम के संगठन इसी जनसंखà¥à¤¯à¤¾ वृदà¥à¤§à¤¿ को अवैध घà¥à¤¸à¤ªà¥ˆà¤ का अकाटà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ मानते हैं।
नागरिकता अधिनियम-1955 में संशोधन का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ है। इस संशोधन के à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ का संदेश यह है कि à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में हिनà¥à¤¦à¥‚, बौदà¥à¤§ और जैन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ से जà¥à¥œà¥‡ लोगों को छोड़कर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पड़ोसी देश से जà¥à¥œà¥‡ किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को à¤à¤¾à¤°à¤¤ की नागरिकता हासिल नहीं होगी। इसका सीधा अरà¥à¤¥ यह हà¥à¤† कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बहà¥à¤²à¤¤à¤¾ वाले पड़ोसी देश के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की नागरिकता के अधिकारी हो ही नहीं सकते। पहले चरण में à¤à¤¨à¤¸à¥€à¤†à¤° की सूची में शामिल होने से रह गठलोगों की सबसे बड़ी चिंता यह नागरिकता संशोधन बिल ही है। इस सूची में शामिल होने से असफल रहे लोग इस रजिसà¥à¤Ÿà¤° को डà¥à¤°à¤¾à¤«à¥à¤Ÿ मानकर à¤à¥‚लने की कोशिश à¤à¥€ करें तो à¤à¥€ नागरिकता अधिनियम में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ बदलाव की बात उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चैन से सोने नहीं देगी। à¤à¥€à¤¤à¤° ही à¤à¥€à¤¤à¤° दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ असम के मूलनिवासी, à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ और धारà¥à¤®à¤¿à¤• ताने-बाने में टूटने की सारी परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बन गई हैं। अब देखना यह होगा कि राजनीति इसे संà¤à¤¾à¤² पाती है या विपकà¥à¤·à¥€ नेताओं के गृहयà¥à¤¦à¥à¤§ जैसे बयानों से किसी बड़ी सà¥à¤¨à¤¾à¤®à¥€ को पैदा करती है।
-राजीव चौधरी
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