सफलता के बाधक ततà¥à¤µ
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Naveen AryaDate
01-Sep-2018Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
01-Sep-2018Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में सà¤à¥€ चाहते हैं कि अपना कà¥à¤› निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ लकà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लें अथवा अपनी सफलता को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लें । इस लकà¥à¤·à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में अथवा सफलता को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ या पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ à¤à¥€ हमें सफलता नहीं मिल पाती । इस सफलता और हमारे पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ के मधà¥à¤¯ में कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के विघà¥à¤¨ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो जाते हैं अतः हमारा यह विशेष करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि सफलता के बीच में वà¥à¤¯à¤µà¤§à¤¾à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने वाले विघà¥à¤¨à¥‹à¤‚ को पहचानें, समà¤à¥‡à¤‚ और उनको पहले अपने मारà¥à¤— से हटाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करें फिर सफलता अपने आप हमारी कदम चूमेगी ।
जिन कारणों से पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ हम सफलता को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने में असमरà¥à¤¥ हो जाते हैं, उन वà¥à¤¯à¤µà¤§à¤¾à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• विघà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• विघà¥à¤¨ है किसी कारà¥à¤¯ में 'मन का न लगना' । जिसको कि सामानà¥à¤¯ रूप से 'जी चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾' à¤à¥€ कहा जाता है । इसको योगदरà¥à¤¶à¤¨ में शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° "सà¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¥" शबà¥à¤¦ से कहा गया है । योगशासà¥à¤¤à¥à¤° के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° ने इसकी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ कहा कि "सà¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤•à¤°à¥à¤®à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¾ चितà¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯" अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ चितà¥à¤¤ की अकरà¥à¤®à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¾ को ही सà¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¨ कहते हैं ।
हम जो कà¥à¤› à¤à¥€ करà¥à¤® करते हैं वह तीनों साधनों के माधà¥à¤¯à¤® से ही करते हैं, वे साधन हैं - शरीर वाणी और मन । कोई à¤à¥€ करà¥à¤® सà¥à¤¥à¥‚ल रूप में शरीर के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये जाने से पहले मन से ही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होता है । यदि किसी कारà¥à¤¯ को करने की इचà¥à¤›à¤¾ मन से ही न हो तो उस कारà¥à¤¯ को à¤à¤²à¤¾ शरीर से हम कैसे कर सकते हैं । यह सà¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¨ à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ विघà¥à¤¨ है जिसमें हमारे मन में या चितà¥à¤¤ में ही आलसà¥à¤¯ होता है, कारà¥à¤¯ करने की इचà¥à¤›à¤¾ ही उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नहीं होती । वैसे à¤à¥€ हम मन से ही सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• कारà¥à¤¯ करते हैं, असंखà¥à¤¯ कारà¥à¤¯ करते हैं । किसी à¤à¥€ कारà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤• योजना मन से ही बनती है । यदि मन में ही इचà¥à¤›à¤¾ न हो तो फिर सà¥à¤¥à¥‚ल कारà¥à¤¯ कैसे हो सकते हैं ?
पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ यह देखा जाता है कि जब कोई कारà¥à¤¯ कठिन लगे तो उस कारà¥à¤¯ से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बचना चाहता है । विदà¥à¤¯à¤¾ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के समय जो विषय समठमें नहीं आता अथवा उसको समà¤à¤¨à¥‡ में अधिक बल लगाना पड़ता है, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ लगानी पड़ती है, अधिक मेहनत करना पड़ता है, रटना पड़ता है, उस विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ रूप कारà¥à¤¯ से वह विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ उस समय जी चà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ है और कोई दूसरा हेतॠवा कारण बताकर उस कारà¥à¤¯ को टालना चाहता है । à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में वह विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ कà¤à¥€ à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में सफल नहीं हो सकता ।
यह à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ विघà¥à¤¨ है जिसके होने से जीवन में और अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के दà¥à¤ƒà¤– कà¥à¤²à¥‡à¤¶, समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚, उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाती हैं । इस अकरà¥à¤®à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के कारण समाज में अनेक लोग आलसà¥à¤¯ आदि से यà¥à¤•à¥à¤¤ होकर जीवन को नषà¥à¤Ÿ करते रहते हैं । इसी अकरà¥à¤®à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के कारण हमारे देश में à¤à¤¿à¤–ारियों की संखà¥à¤¯à¤¾ बॠगयी है । कà¥à¤› लोग साधà¥à¤“ं का वेश धारण कर हाथ पर हाथ बांधे बैठे रहते हैं । यदि देश के सà¤à¥€ साधू-संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ तथा à¤à¤¿à¤–ारी लोग à¤à¥€ आलसà¥à¤¯-पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ छोड़कर अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करते तो हम कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं कर सकते कि आज हमारे देश की कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ होती, समगà¥à¤° विशà¥à¤µ में सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤—तिशील देश कहलाता ।
यह à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ दोष है, à¤à¤¸à¤¾ विघà¥à¤¨ है जिससे कि न केवल लौकिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में ही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ असफल होता है बलà¥à¤•à¤¿ इसके रहते अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कà¤à¥€ सफल नहीं हो सकता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में तो इससे à¤à¥€ अधिक मानसिक कारà¥à¤¯ या आतंरिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करना पड़ता है । मन को पूरà¥à¤£ रूप से नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ में रखते हà¥à¤ सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के लौकिक विचारों को रोकना होता है । यहाठतक कि लौकिक विचारों को मन में à¤à¥€ आने नहीं देना होता है और जो अपना धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ विषय है केवल उसी का ही चिनà¥à¤¤à¤¨, मनन करना होता है, उसके अतिरिकà¥à¤¤ कोई à¤à¥€ विषय मन के अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ नहीं होना चाहिठ। इसी को योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ कहते हैं ।
हमारे मन में बहà¥à¤¤ अधिक सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ रहता है । यदि हम अपने इस मानसिक सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ का सही रूप में उपयोग करते हैं तो कठिन से कठिन कारà¥à¤¯ à¤à¥€ सरलता से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाता है । वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° "यसà¥à¤®à¤¿à¤¨à¥ ऋचः साम यजà¥à¤‚षी तनà¥à¤®à¥‡ मनः शिवसंकलà¥à¤ªà¤®à¤¸à¥à¤¤à¥" जिस मन के अनà¥à¤¦à¤° चारों वेद सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं वह मेरा मन कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ संकलà¥à¤ª वाला होवे । यदि हम अचà¥à¤›à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से मानसिक पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करें तो चारों वेदों के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ तक कर सकते हैं और जीवन का जो अंतिम लकà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ है, उसको à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करके जीवन को सफल बना सकते हैं । परनà¥à¤¤à¥ इन सब लकà¥à¤·à¥à¤¯-पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठ"सà¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¨ नामक मानसिक अकरà¥à¤®à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¾" को तà¥à¤¯à¤¾à¤—ना होगा जो की सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ में अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ घातक है ।
लेख - आचारà¥à¤¯ नवीन केवली
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