दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को वामपंथ ने कà¥à¤¯à¤¾ दिया
Author
Rajeev ChoudharyDate
21-Nov-2018Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
722Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
21-Nov-2018Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- साईं बाबा से जीशान बाबा तक कà¥à¤¯à¤¾ है पूरा माजरा?
- शरियत कानून आधा-अधूरा लागू कयों
- तिबà¥à¤¬à¤¤ अब विशà¥à¤µ का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनना चाहिà¤
- कà¥à¤¯à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में बोलती है..?
तेलà¥à¤—ू à¤à¤¾à¤·à¤¾ के कवि और वामपंथी लेखक वरवर पेंडà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾ राव को पà¥à¤£à¥‡ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने हिरासत में ले लिया है। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ का कहना है कि वरवर राव के खिलाफ संदिगà¥à¤§ पतà¥à¤°, ईमेलà¥à¤¸ और दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ मिले जिसमें इनका माओवादियों से संबंध होने के सबूत हैं। जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हो इस साल जनवरी में महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के à¤à¥€à¤®à¤¾-कोरेगांव में हà¥à¤ˆ हिंसा के मामले में पांच वामपंथी कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° किया गया था जिनमें से à¤à¤• वरवर राव à¤à¥€ थे।
31 दिसंबर 2017 को जब à¤à¥€à¤®à¤¾ कोरेगांव यà¥à¤¦à¥à¤§ की 200वीं सालगिरह थी, तब à¤à¥€à¤®à¤¾ कोरेगांव शौरà¥à¤¯ दिन पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ के बैनर तले कई संगठनों ने मिलकर à¤à¤• रैली आयोजित की थी, जिसका नाम यलगार परिषद रखा गया था। शनिवार वाड़ा के मैदान पर हà¥à¤ˆ इस रैली में लोकतंतà¥à¤°, संविधान और देश बचाने की बात कही गई थी। पूरे देश में यह लहर इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° चलाई गयी थी कि दलितों पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° हो रहे है, लोकतनà¥à¤¤à¥à¤° खतà¥à¤® हो चà¥à¤•à¤¾ है, संविधान तबाह और देश में असहनशीलता के बोलबाले के साथ देश का अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ डर के साये में जी रहा है। इस आवाज को मà¥à¤–र करने में वामपंथी दल और इनके कलमकार सबसे आगे रहे थे।
जबकि असल में à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› नहीं था à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• सौ तीस करोड़ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ की आबादी का देश है। यहाठबहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¥‡ धरà¥à¤®, पंथ, समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ जातियां और उपजातियां निवास करती है। इतने à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤°à¤•à¤® जनसमà¥à¤¦à¤¾à¤¯ वाले देश में किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की कोई घटना न हो इससे सहमत नहीं हà¥à¤† जा सकता है। मैं इस बात से à¤à¥€ कदापि सहमत नहीं हूठकि धारà¥à¤®à¤¿à¤• दà¥à¤µà¥‡à¤· या जातीय à¤à¤—ड़ा यहाठबिलà¥à¤•à¥à¤² à¤à¥€ नहीं है। पर दो लोगों या परिवारों के à¤à¤—डे को जातीय रंग देकर पूरे देश में नफरत के तौर पर परोसकर जातीय हिंसा का नाम देना कहाठतक जायज है?
आज à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° के बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ वामपंथी देश में किसी à¤à¥€ घटना पर लोकतंतà¥à¤° की समापà¥à¤¤à¤¿ और संविधान की बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦à¥€ की बात करते हैं पर जहाà¤-जहाठविशà¥à¤µ में वामपंथियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लोकतंतà¥à¤° और संविधान बंदी बनाया गया वहां-वहां ये मौन होते दिख जायेंगे। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूर न जाकर अपने पड़ोसी देश चीन में ही देख लीजिये à¤à¤• समय लाखों लोगों ने अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£ देकर चीन में राजशाही को हटाकर ही वामपनà¥à¤¥à¥€ शासन चà¥à¤¨à¤¾ था लेकिन, कà¥à¤¯à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अनà¥à¤¦à¤¾à¤œà¤¾ रहा होगा कि, वामपनà¥à¤¥ की नियति राजशाही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ तानाशाही है। आज वहां हमेशा के लिठराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ के तौर पर शी जिनपिंग को चà¥à¤¨ लिया गया है। किनà¥à¤¤à¥ इसके खिलाफ विशà¥à¤µ à¤à¤° के वामपंथी लेखक मौन है जबकि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के संदरà¥à¤ में देखें तो सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥‚ रूप से चल रही à¤à¤• लोकतानà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤• और जनता को जवाबदेह सरकार के खिलाफ हर रोज ये लोग लोकतंतà¥à¤° और संविधान को खतà¥à¤® करने के अनरà¥à¤—ल आरोप जड़ते रहते है। इसलिठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में वामपनà¥à¤¥ की अवधारणा को ठीक से समà¤à¥‡ जाने की जरूरत जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हो गई है।
पिछले दिनों केरल के इडà¥à¤•à¥à¤•à¥€ जिले में सीपीà¤à¤® की बैठक के बाहर उतà¥à¤¤à¤° कोरिया के तानाशाह किम जोंग के पोसà¥à¤Ÿà¤° देखने को मिले थे। इस à¤à¤• उदहारण से आप समठसकते है कि कà¥à¤¯à¤¾ विशà¥à¤µ में कोई लोकतंतà¥à¤° समरà¥à¤¥à¤• नेता या दल à¤à¤• तानाशाह को अपना हीरो मानेगी? इससे साफ पता चलता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के लिठलोकतंतà¥à¤° का मतलब जनता के जरिठचà¥à¤¨à¥€ सरकार का राज होता है जबकि, वामपनà¥à¤¥à¥€, विचारधारा में लोकतंतà¥à¤° का मतलब उसी विचार के तानशाह शासकों को सतà¥à¤¤à¤¾ चलाना होता है।
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में कोई à¤à¥€ नई विचाधारा जब आगे बढती है तो उसके साथ जनà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का जà¥à¤µà¤¾à¤° होता है à¤à¤• समय à¤à¤¸à¤¾ ही हाल मारà¥à¤•à¥à¤¸ के इन दतà¥à¤¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ था। रूस, चीन कà¥à¤¯à¥‚बा और à¤à¤¾à¤°à¤¤ समेत अनेक देशों में इस विचारधारा का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° हà¥à¤†, सतà¥à¤¤à¤¾ और सिहांसन बदले à¤à¤• à¤à¥€à¤·à¤£ रकà¥à¤¤à¤ªà¤¾à¤¤ के बाद अनेकों देशों में वामपंथी सरकारें बनी, पर वामपंथी बस मारà¥à¤•à¥à¤¸, लेनिन, माओ, सà¥à¤Ÿà¤¾à¤²à¤¿à¤¨ और à¤à¤‚जेलà¥à¤¸ के विचारों की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा में डूबे रहे। पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल में कई दशक राज किया पर कà¥à¤¯à¤¾ बदल पाठकिसी के पास कोई आंकड़ा नहीं है। आज जब मारà¥à¤•à¥à¤¸, लेनिन, माओ की पà¥à¤°à¤¸à¤‚शा का असर लोगों पर नहीं होता दिख रहा है तो अचानक से इन लोगों को सतà¥à¤¤à¤¾ में पैर जमाने के लिठआंबेडकर साहब की याद आ गयी और देश में किसी à¤à¥€ हिंसा को जातीय रंग देकर आंबेडकर के सहारे सतà¥à¤¤à¤¾ की सीढी चढने की जà¥à¤—त में लग गये। आखिर इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का जवाब कौन देगा कि इन मारà¥à¤•à¥à¤¸ और माओं की संतानों को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ अंबेडकर को अपने आदरà¥à¤¶ के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने में कई दशक कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लग गà¤?
सब जानते हैं सोवियत संघ की जनवादी कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति ने रूस से जारकालीन तानाशाही का अंत किया था किनà¥à¤¤à¥ उस तानाशाही के अंत के बाद रूस में कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† था? कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के बाद सतà¥à¤¤à¤¾ को कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ नेताओं ने शिकंजे में लेकर दमन किया। इतिहास कहता है कि अकेले तीन दशकों तक सà¥à¤Ÿà¤¾à¤²à¤¿à¤¨ की सतà¥à¤¤à¤¾ के दौरान ही लाखों लोगों को बंदी बना कर साइबेरिया के कठोर ‘शà¥à¤°à¤®à¤¶à¤¿à¤µà¤¿à¤°à¥‹à¤‚’ में सड़ाया गया। आखिर कà¥à¤› तो कारण रहा होगा कि इस विचारधारा के पकà¥à¤·à¤§à¤° वामपंथियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पूरà¥à¤µà¥€ जरà¥à¤®à¤¨à¥€ में बनायी गयी बरà¥à¤²à¤¿à¤¨ दीवार को 1989 में जनता ने धकà¥à¤•à¥‡ मार कर गिरा दिया जिसके बाद अनेक देशों ने इस कथित समाजवाद को कूड़ेदान की नियति पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर दी।
कà¤à¥€ सामाजिक-नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ और समानता के नाम सतà¥à¤¤à¤¾ का रस पीने वाले इन लोगों के पास आज सिरà¥à¤« कà¥à¤› पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚, अखबारों और सà¥à¤•à¥‚ल कालेज की राजनितिक हार जीत के अलावा कà¥à¤› नहीं बचा. हर à¤à¤• मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ के बाद जंतर-मंतर, पर धरने पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨, डरावने नारे और मीडिया सà¥à¤Ÿà¥‚डियो में बैठकर दलित और अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• राग गाने तक ही ये विचारधारा सिमट गयी है। जो à¤à¤• बार फिर लेखक वरवर की गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ के बाद देखने को मिल सकता है किनà¥à¤¤à¥ अब वामपंथियों को धरने पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ नहीं बलà¥à¤•à¤¿ आतà¥à¤®à¤¾à¤µà¤²à¥‹à¤•à¤¨ करना चाहिठकि वामपंथ की विचारधारा ने दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को कà¥à¤¯à¤¾ दिया। हो सकता हैं इन लोगों की नजर में वरवर राव अचà¥à¤›à¤¾ लिखते हों, जीने और लिखने के लिठलेखक को पैसा à¤à¥€ चाहिठलेकिन किसी à¤à¥€ सूरत में उसे पैसा कमाने के लिठजीना और लिखना नहीं चाहिà¤à¥¤
ALL COMMENTS (0)