“सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥, सà¥à¤–ी व दीरà¥à¤˜ जीवन का आधार सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ व इसके मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का अरà¥à¤¥ सहित चिनà¥à¤¤à¤¨â€
Author
Manmohan Kumar AryaDate
23-Nov-2018Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
205Total Comments
0Uploader
Vikas KumarUpload Date
23-Nov-2018Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन परमातà¥à¤®à¤¾ से हम सबको अपनी आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिये मिला है। आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ का साधन सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ सहित उसके अनà¥à¤°à¥‚प आचरण करना है। ईशà¥à¤µà¤° के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, चिनà¥à¤¤à¤¨, उपासना को सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ कहा जाता है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ का अरà¥à¤¥ है ईशà¥à¤µà¤° का à¤à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤‚ति धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करना है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के लिये यह आवशà¥à¤¯à¤• है कि हम ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ सहित इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जानें। ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमें सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤—पूरà¥à¤µà¤• à¤à¥‹à¤— करने की शिकà¥à¤·à¤¾ देता है और मनà¥à¤·à¥à¤¯ में वैरागà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤µ को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करता है। विवेकपूरà¥à¤µà¤• विचार करने पर मनà¥à¤·à¥à¤¯ यह अनà¥à¤à¤µ करता है कि जीवन का परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ समय ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ के चिनà¥à¤¤à¤¨, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, विचार, वेदों व ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° आदि में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ होना चाहिये। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने वेद और समसà¥à¤¤ वैदिक साहितà¥à¤¯ का गहन अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया था। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¤à¥€ विषयों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था और इसके साथ वह करà¥à¤® फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को à¤à¥€ à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जानते थे। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपने किये शà¥à¤ व अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल अवशà¥à¤¯ à¤à¥‹à¤—ना पड़ता है। इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ से यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ यदि अशà¥à¤ या पाप करà¥à¤® करेगा तो ईशà¥à¤µà¤° उसे उन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का दणà¥à¤¡ अवशà¥à¤¯ देगा।
ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• à¤à¤µà¤‚ सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ होने से सà¤à¥€ जीवों के सà¤à¥€ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का साकà¥à¤·à¥€ व दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ है। वह किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ के किसी करà¥à¤® को कदापि à¤à¥‚लता नहीं है। यही कारण है कि हमारे ऋषि व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ अपना जीवन ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की साधना, वेदों के शिकà¥à¤·à¤£ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° तथा यजà¥à¤žà¤¾à¤¦à¤¿ सदà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते थे। वेदों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व चिनà¥à¤¤à¤¨-मनन से à¤à¥€ यही सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ कर ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ व यजà¥à¤žà¤¾à¤¦à¤¿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करना है। इससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ की वृदà¥à¤§à¤¿ तथा पूरà¥à¤µ किये करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों का à¤à¥‹à¤— कर दà¥à¤·à¥à¤Ÿ-करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के बनà¥à¤§à¤¨ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर अपने जीवन को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व उतà¥à¤¤à¤® बना सकता है। à¤à¤¸à¤¾ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® व मरण के कà¥à¤²à¥‡à¤¶ व दà¥à¤ƒà¤–ों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में अगà¥à¤°à¤¸à¤° होता है। जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को सà¥à¤– देने, उनका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करने व उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जनà¥à¤®-मरण से छà¥à¤Ÿà¤¾à¤•à¤° मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिये ही ईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया था। ऋषि दयाननà¥à¤¦ वेदों के मनà¥à¤¤à¥à¤°-दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ ऋषि व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ईशà¥à¤µà¤° व वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· कर वेदों को ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• घोषित किया है। वेदों का अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ à¤à¥€ वेदों के पदों, पदारà¥à¤¥, à¤à¤¾à¤·à¤¾ तथा मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में निहित जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को जानकर यह अनà¥à¤à¤µ करता है कि यह मानवीय जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न होकर ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही है। इसी कारण पूरà¥à¤µ ऋषियों व ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने वेदों का पà¥à¤¨à¤¾ व पà¥à¤¾à¤¨à¤¾ तथा सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ व सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾ सब आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° का परम धरà¥à¤® अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अनिवारà¥à¤¯ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ माना है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने वेद à¤à¤µà¤‚ ऋषियों के साहितà¥à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° की उपासना को सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ मानकर पंचमहायजà¥à¤ž विधि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया है और उसमें ईशà¥à¤µà¤° के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व चिनà¥à¤¤à¤¨ सहित उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना हेतॠ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾’ को पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया है। उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤° चिनà¥à¤¤à¤¨ व सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ आदि करने से मनपà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ के मल व दोष अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£, दà¥à¤µà¥à¤¯à¤°à¥à¤¸à¤¨ à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤ƒà¤– दूर हो जाते हैं और इनका सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ लेते हैं जिनसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवन शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ , सफल व उतà¥à¤¤à¤® बनता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ की जो विधि लिखी है वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से यà¥à¤•à¥à¤¤ कराने के साथ ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ कराती है à¤à¤µà¤‚ साथ ही ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करते हà¥à¤ जीवन के लिये सबसे अधिक महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पदारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ शरीर, à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯, सà¥à¤–, बल, यश, दीघारà¥à¤¯à¥ आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कराती है। यह पदारà¥à¤¥ हम संसार में धन का वà¥à¤¯à¤¯ करके पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं कर सकते। इससे यह सिदà¥à¤§ होता है कि धन का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨, ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ आदि करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯, वेद आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के बहà¥à¤¤ बाद में आता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ का लकà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤–ों की पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ निवृतà¥à¤¤à¤¿ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤– ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤-करà¥à¤® आदि के करने से ही दूर होते हैं। अतः मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤•à¥‚ल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ आदि के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करते हà¥à¤ ईशà¥à¤µà¤° की उपासना व यजà¥à¤ž आदि करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से विरत नहीं होना चाहिये।
इस लेख में हम सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के उपसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ के à¤à¤• मनà¥à¤¤à¥à¤° का उलà¥à¤²à¥‡à¤– कर उसमें निहित उदातà¥à¤¤ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ईशà¥à¤µà¤°-सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासना को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं। इस मनà¥à¤¤à¥à¤° में ईशà¥à¤µà¤° से जो वसà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤‚ मांगी गई हैं वही मनà¥à¤·à¥à¤¯ की सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हैं। मनà¥à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ 36/4 है जो कि निमà¥à¤¨ हैः
तचà¥à¤šà¤•à¥à¤·à¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µà¤¹à¤¿à¤¤à¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤›à¥à¤•à¥à¤°à¤®à¥à¤šà¥à¤šà¤°à¤¤à¥à¥¤
पशà¥à¤¯à¥‡à¤® शरदः शतं जीवेम शरदः शतं
शà¥à¤°à¥ƒà¤£à¥à¤¯à¤¾à¤® शरदः शतं पà¥à¤°à¤¬à¥à¤°à¤µà¤¾à¤® शरदः शतमदीनाः
सà¥à¤¯à¤¾à¤® शरदः शतं à¤à¥‚यशà¥à¤š शरदः शतातà¥à¥¤à¥¤
इस मनà¥à¤¤à¥à¤° में कहा गया है कि बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° सबका दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ है। वह धारà¥à¤®à¤¿à¤• विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का परम हितकारक है। ईशà¥à¤µà¤° समसà¥à¤¤ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के पूरà¥à¤µ, पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ और मधà¥à¤¯ में सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प से वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ रहता है। वह सब जगतॠकी रचना वा उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने वाला है। उसी बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® को हम 100 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक देखें। उस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® की कृपा से हम 100 वरà¥à¤· तक जीवित रहें। उस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® की वेदवाणी को हम ऋषियों व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से 100 वरà¥à¤· तक सà¥à¤¨à¥‡à¤‚। उसी बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® के वेद वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प का हम अनà¥à¤¯ लोगों को उपदेश करें। वह बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® हम पर कृपा करें जिससे हम किसी के अधीन न होकर पूरी आयॠपरà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° रहें। उस परमेशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ और कृपा से हम सौ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के उपरानà¥à¤¤ à¤à¥€ उसकी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को देखें, जीवित रहें, वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व शà¥à¤°à¤µà¤£ करें, दूसरों को सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° रहें। मनà¥à¤¤à¥à¤° का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ है कि रोगरहित सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ शरीर, दृॠइनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯, शà¥à¤¦à¥à¤§ मन और आननà¥à¤¦ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हमारा आतà¥à¤®à¤¾ सदा रहे। à¤à¤• परमेशà¥à¤µà¤° ही सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का उपासà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž व सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° को छोड़कर दूसरे की उपासना करता है वह पशॠके समान होके सब दिन दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥‹à¤—ता रहता है। इसलिये ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¥‡à¤® में मगà¥à¤¨ होकर और अपने आतà¥à¤®à¤¾ व मन को परमेशà¥à¤µà¤° में लगाकर परमेशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ और पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ सदा करनी चाहिये।
यह वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° व वेदों के अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° मानवीय रचनायें नहीं हैं अपितॠईशà¥à¤µà¤° का नितà¥à¤¯ व नाशरहित जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है जो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में ईशà¥à¤µà¤° ने चार ऋषियों के अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ में अपने सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤°à¥‚प से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करके पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया था। उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मनà¥à¤¤à¥à¤° में परमातà¥à¤®à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को मनà¥à¤¤à¥à¤° के à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को दृषà¥à¤Ÿà¤¿ की शकà¥à¤¤à¤¿, शà¥à¤°à¤µà¤£ शकà¥à¤¤à¤¿, वाकॠशकà¥à¤¤à¤¿, गनà¥à¤§ गà¥à¤°à¤¹à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ व सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ शकà¥à¤¤à¤¿ आदि ईशà¥à¤µà¤° से ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। इसके लिये ईशà¥à¤µà¤° का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करने व उससे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करने से वह हमारे शरीर सहित इन सà¤à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को 100 वरà¥à¤· व अधिक समय तक हमारे शरीर में बनाये रखे, यह पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ हमें करनी चाहिये। इसके लिये हमें सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ अपने मन को पवितà¥à¤° रखकर उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ मनà¥à¤¤à¥à¤° का अरà¥à¤¥ सहित à¤à¤• व अनेक बार उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ करना है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को उसके शरीर में यह शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जनà¥à¤® के समय से परमातà¥à¤®à¤¾ से ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ हैं और वही इनको सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रखने के साथ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हमारी लमà¥à¤¬à¥€ आयॠतक निरà¥à¤¦à¥‹à¤· रख सकता है। अतः हमें वेदानà¥à¤•à¥‚ल जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते हà¥à¤ ईशà¥à¤µà¤° से शरीर, आरोगà¥à¤¯ व 100 वरà¥à¤· की आयॠमांगनी चाहिये। ईशà¥à¤µà¤° हमारी पातà¥à¤°à¤¤à¤¾ को जानते हैं। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¤• पिता अपने योगà¥à¤¯ व पातà¥à¤° पà¥à¤¤à¥à¤° को अपनी सà¤à¥€ धन समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ सौंप देता है, à¤à¤¸à¤¾ ही अकà¥à¤·à¤¯ धन व समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ईशà¥à¤µà¤° à¤à¥€ करता है। वह à¤à¥€ पिता की à¤à¤¾à¤‚ति हमें इन सब समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं। इसके लिये हमें अपने मन की पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ के साथ ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करनी ही अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ है। à¤à¤¸à¤¾ कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ नहीं है जो सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯, à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ व दीघारà¥à¤¯à¥ आदि समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को न चाहता हो। अतः सबको वेदमारà¥à¤— का अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करके हम सà¥à¤–ी, समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨, दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ हो सकते हैं व धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकते हैं। इति ओ३मॠशमà¥à¥¤
ALL COMMENTS (0)