“ईशà¥à¤µà¤° के समीपसà¥à¤¥ होकर उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ आदि करना सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ हैâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
06-Dec-2018Category
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ईशà¥à¤µà¤° के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर अनेक उपकार हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पास बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ है जिससे वह ईशà¥à¤µà¤° के उपकारों को जानता है। जब à¤à¥€ कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ किसी पर उपकार करता है तो उपकृत मनà¥à¤·à¥à¤¯ उपकार करने वाले का कृतजà¥à¤ž होकर उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करता है। उपकृत होने व धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करने से अहंकार में कमी आती है और सजà¥à¤œà¤¨ पà¥à¤°à¥à¤· à¤à¤¸à¤¾ करके अहंकार से मà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¥€ होते हैं। हमें à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के उपकारों के लिये उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करना है। हमारा शरीर ईशà¥à¤µà¤° का हमें व हमारी आतà¥à¤®à¤¾ को दिया गया सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° है। इस शरीर से ही हम देखने, सà¥à¤¨à¤¨à¥‡, चखने, बोलने, पà¥à¤°à¤¾à¤£ वायॠलेने व छोड़ने, सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करने आदि का लाठव आननà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं। हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤£ निरनà¥à¤¤à¤° चल रहे हैं। मृतà¥à¤¯à¥ परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° इनको चलाता रहेगा। सà¤à¥€ इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ रात व दिन काम करती हैं। अतः हमें à¤à¥€ अधिक से अधिक समय तक ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ उसका गà¥à¤£à¤—ान व सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ सहित धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करना चाहिये। इसे à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से कैसे किया जा सकता है, इसके लिये ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी ने उपासना की विधि ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾’ की रचना की है। यह संधà¥à¤¯à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ व गृहसà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये किये जाने वाले पंच-महापà¥à¤£à¥à¤¯ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ का अरà¥à¤¥ होता है ईशà¥à¤µà¤° का à¤à¤²à¥€à¤à¤¾à¤‚ति धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करना। जब हम धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हैं तो ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ तथा सà¥à¤µà¤°à¥‚प को अपने धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं में लाते हैं और उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करते हà¥à¤ उससे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करते हैं। इससे यह à¤à¥€ अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है कि हम ईशà¥à¤µà¤° की जो सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करते हैं उसका à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण उससे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उतà¥à¤¤à¤® उतà¥à¤¤à¤® वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को मांगना व पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने हेतॠसनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ की जो विधि लिखी है वह संसार में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ पूजा व उपासना पदà¥à¤§à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में सबसे पहले आचमन का विधान किया गया है जिसमें हम अपनी दायें हाथ की अजंलि में जल लेकर उसका तीन बार पान करते हैं। इसमें मनà¥à¤¤à¥à¤° बोलकर कहा जाता है कि सबका पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤• और सबको आननà¥à¤¦ देनेवाला सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• ईशà¥à¤µà¤° मनोवांछित आननà¥à¤¦ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤– समृदà¥à¤§à¤¿ के लिये और पूरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिये हमारा कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करे। परमेशà¥à¤µà¤° हम पर सब ओर से सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ सà¥à¤– की वरà¥à¤·à¤¾ करे। इसके बाद जल से इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ का विधान किया गया है जिसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ यह है कि हमारी सà¤à¥€ इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ व शरीर निरोग, सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ à¤à¤µà¤‚ बलवान रहें जिससे हम ईशà¥à¤µà¤° की उपासना तथा अनà¥à¤¯ सांसारिक कारà¥à¤¯ कर सकें। शरीर व इसके सà¤à¥€ अंग पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤‚गों की पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करने के लिये इसके बाद मारà¥à¤œà¤¨ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का विधान है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤® से मन को वश में करने की सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤® से शरीर à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से रहित होता है। अतः मन को वश में करके उसे ईशà¥à¤µà¤° के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में लगाने के लिये पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤® के मनà¥à¤¤à¥à¤° व वचन बोले जाते हैं। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करने से पूरà¥à¤µ हमें अपने जीवन पर à¤à¥€ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डालनी होती है। यह देखना होता है कि हमसे जाने अनजानें में कोई पाप तो नहीं होता है। यदि होता हो तो उसे छोड़ना होता है। ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ के तीन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को बोल कर ईशà¥à¤µà¤° की करà¥à¤®-फल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ कर हम पाप न करने की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ करते हैं। यदि हम पाप करना नहीं छोड़ेंगे तो सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करने का कोई विशेष लाठनहीं होगां। इसके बाद पà¥à¤¨à¤ƒ आचमन मनà¥à¤¤à¥à¤° बोल कर तीन आचमन करने का विधान किया गया है।
अब मनसा परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करते हà¥à¤ हम ईशà¥à¤µà¤° को 6 दिशाओं में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ अनà¥à¤à¤µ कर उसको नमन करते हैं। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपनी दà¥à¤µà¥‡à¤· à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करते हैं और दूसरे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ हमसे जो दà¥à¤µà¥‡à¤· करते हैं उसे ईशà¥à¤µà¤° की नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर देते हैं। अब यदि कोई हमसे दà¥à¤µà¥‡à¤· करेगा तो ईशà¥à¤µà¤° उसका नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ करेगा और हमारी रकà¥à¤·à¤¾ करेगा। à¤à¤¸à¤¾ देखा गया है कि यदि हम किसी सामानà¥à¤¯ शतà¥à¤°à¥ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने दà¥à¤µà¥‡à¤· à¤à¤¾à¤µ को छोड़ देते हैं तो वह à¤à¥€ हमसे दà¥à¤µà¥‡à¤· करना छोड़ देता है। पशॠव पकà¥à¤·à¥€ à¤à¥€ हमारी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को समà¤à¤¤à¥‡ हैं और यदि हम उनसे पà¥à¤°à¥‡à¤® करते हैं तो अधिकांश पशॠआदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ उसका उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¥‡à¤® से ही हमें देते हैं। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में हमें ईशà¥à¤µà¤° से धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· की याचना करनी है। इसके लिये यह आवशà¥à¤¯à¤• हैं कि हम सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पूरà¥à¤£à¤°à¥‚पेण दà¥à¤µà¥‡à¤· से मà¥à¤•à¥à¤¤ हों।
मनसा परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का पाठकरने व अपने मन से सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने दà¥à¤µà¥‡à¤· छोड़ कर हम उपसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ करते हैं व मनà¥à¤¤à¥à¤° के अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प अपनी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ बनाते हैं। गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° सहित उपसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के पांच मनà¥à¤¤à¥à¤° हैं। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के सà¤à¥€ मितà¥à¤° इन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को जानते हैं। हमारे अनà¥à¤¯ मितà¥à¤° à¤à¥€ पंचमहायजà¥à¤ž विधि का पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर इनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करके लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं। हम विसà¥à¤¤à¤¾à¤° à¤à¤¯ से यहां मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– न कर इन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ दे रहे हैं। पहले मनà¥à¤¤à¥à¤° का अरà¥à¤¥ है ‘हम अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° से दूर, पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, पà¥à¤°à¤²à¤¯ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ रहने वाले, दिवà¥à¤¯ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤, चराचर के आतà¥à¤®à¤¾, सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ, ईशà¥à¤µà¤° को सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° देखते हà¥à¤ व उसकी सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¤¤à¤¾ का अनà¥à¤à¤µ करते हà¥à¤ ईशà¥à¤µà¤° के सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होवें।’ दूसरे मनà¥à¤¤à¥à¤° का अरà¥à¤¥ है ‘निशà¥à¤šà¤¯ ही ईशà¥à¤µà¤° उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ है, वह चार वेदों का दाता है, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प ईशà¥à¤µà¤° को हमें दिखाने के लिये संसार के सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥ उसकी पताका व à¤à¤£à¥à¤¡à¥€ के समान है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ यह हमें इन पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के रचयिता ईशà¥à¤µà¤° का पता दे रहे हैं। मानों ये पदारà¥à¤¥ कह रहे हों कि हम सà¥à¤µà¤¯à¤‚ नहीं बने, हमें ईशà¥à¤µà¤° ने बनाया है। तà¥à¤® हमारी रचना को देखों और ईशà¥à¤µà¤° को जानों। à¤à¤¸à¥‡ सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥ सूरà¥à¤¯, चनà¥à¤¦à¥à¤°, पृथिवी, अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, जल, नदी, परà¥à¤µà¤¤, वन, अनà¥à¤¨ आदि हमें इन पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के रचयिता ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤à¥€ करा रहे हैं। इस à¤à¤¾à¤µ को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ कर हम सचà¥à¤šà¥‡ आसà¥à¤¤à¤¿à¤• बनें, यह मनà¥à¤¤à¥à¤° का रहसà¥à¤¯ व अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है।’ उपसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के तीसरे मनà¥à¤¤à¥à¤° में हम ईशà¥à¤µà¤° का अनà¥à¤à¤µ करते हà¥à¤ उसका सà¥à¤®à¤°à¤£ व धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हैं। हम कहते हैं कि ईशà¥à¤µà¤° अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का विचितà¥à¤° बल है। वह अगà¥à¤¨à¤¿, वायॠऔर जल आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤• है। वह दà¥à¤¯à¥à¤²à¥‹à¤•, à¤à¥‚मि तथा आकाश को धारण किये हà¥à¤ है। वही अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ ईशà¥à¤µà¤° चराचर जगतॠका उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ व सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ है। इसके बाद अगला मनà¥à¤¤à¥à¤° बोलकर हम मनà¥à¤¤à¥à¤° के अरà¥à¤¥ पर विचार करते हैं। मनà¥à¤¤à¥à¤° कहता है कि ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤¦à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾, उपासकों का हितकारी तथा परम पवितà¥à¤° है। वह इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के बनने से पहले से विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है और अननà¥à¤¤ काल तक रहेगा। उस महान ईशà¥à¤µà¤° की कृपा से हम सौ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक अपनी आंखों को रोगरहित व सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रखते हà¥à¤ देंखे, सौ वरà¥à¤· तक जीवित रहें, हमारे कानों की शà¥à¤°à¤µà¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ सौ वरà¥à¤· तक बनी रहे, हमारी जिहà¥à¤µà¤¾ व वाणी à¤à¥€ सौ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक पूरà¥à¤£ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रहे और हम वाणी के सà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से कर सकें। हम सौ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° रहें तथा किसी दूसरे पर आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ न हों। सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• और सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ परमेशà¥à¤µà¤° की कृपा से हम सौ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बाद à¤à¥€ पूरà¥à¤£ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ व सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° रहें।
इसके बाद गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ कर हम मनà¥à¤¤à¥à¤° के अरà¥à¤¥ पर विचार करते हैं। गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° का अरà¥à¤¥ है कि ओ३मॠनामी ईशà¥à¤µà¤° हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£ है, वह दà¥à¤ƒà¤– विनाशक और सà¥à¤–सà¥à¤µà¤°à¥‚प है। उस सकल जगत के उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने योगà¥à¤¯ विशà¥à¤¦à¥à¤§ तेज व गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को हम धारण करें। वह परमेशà¥à¤µà¤° हमारी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— में चलने व आचरण की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करें। गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° के बाद समरà¥à¤ªà¤£ का मनà¥à¤¤à¥à¤° बोला जाता है जिसका अरà¥à¤¥ है ‘हे दयानिधे ईशà¥à¤µà¤°! आपकी कृपा से जप व उपासना आदि करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को कऱके हम धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· की सिदà¥à¤§à¤¿ को शीघà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होंवे।’ हम दैननà¥à¤¦à¤¿à¤¨ अनेक करà¥à¤® करते हैं। इन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ में जप व उपासना अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व यजà¥à¤ž आदि का करना à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• है। यदि à¤à¤¸à¤¾ करेंगे तो हम धारà¥à¤®à¤¿à¤• बनेंगे, हमें सातà¥à¤µà¤¿à¤• अरà¥à¤¥ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होगी, हमारी सà¤à¥€ कामनायें व इचà¥à¤›à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पवितà¥à¤° होंगी व पूरà¥à¤£ होंगी तथा इसके साथ ही मृतà¥à¤¯à¥ होने पर हमें मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगी। इसी उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ के लिये हम सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करते हैं। इसके बाद हम ईशà¥à¤µà¤° को नमसà¥à¤•à¤¾à¤° करते हैं। इसके लिये नमसà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤° मनà¥à¤¤à¥à¤° का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ कर उसकी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को अपने मन में बनाकर हमारी सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ पूरà¥à¤£ हो जाती है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के बाद हम वेद व वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ कर अपना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बà¥à¤¾ सकते हैं जिससे हमारा à¤à¤¾à¤µà¥€ जीवन अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से रहित तथा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से सनà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ हो।
सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ को हम ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना सहित धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ का à¤à¤• अनà¥à¤·à¥à¤ ान कह सकते हैं। सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ के विषय में ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी ने लिखा है कि सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ ईशà¥à¤µà¤° का गà¥à¤£ कीरà¥à¤¤à¤¨, शà¥à¤°à¤µà¤£ और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होना है। इसका फल ईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ आदि होते हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ के विषय वह लिखते हैं कि अपने सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ के उपरानà¥à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ से जो विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ आदि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं, उनके लिये ईशà¥à¤µà¤° से याचना करना और इसका फल निरà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ होना आदि होता है। उपासना कà¥à¤¯à¤¾ है? इस विषयक ऋषि दयाननà¥à¤¦ का कथन है कि जैसे ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£, करà¥à¤®, सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ पवितà¥à¤° हैं वैसे अपने करना, ईशà¥à¤µà¤° को सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, अपने को वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¯ जान के ईशà¥à¤µà¤° के समीप हम और हमारे समीप ईशà¥à¤µà¤° है, à¤à¤¸à¤¾ निशà¥à¤šà¤¯ योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ से साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ करना उपासना कहाती है। इस का फल जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ आदि हैं। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤• ओर जहां ईशà¥à¤µà¤° के उपकारों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करना है वहीं इससे धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ होती है। अतः हम सबको पूरी निषà¥à¤ ा व विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ से नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ अवशà¥à¤¯ करनी चाहिये। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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