गांडीव उठाओं राजन अब शांति का समय नहीं है
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Rajeev ChoudharyDate
20-Feb-2019Category
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धरो कवच आà¤à¥‚षण तजकर, नयनों में अब कà¥à¤°à¥‹à¤§ à¤à¤°à¥‹à¤‚, किस उलà¤à¤¨ में पड़े हो राजन, ततà¥à¤•à¤¾à¤² कटी कृपाण धरो बजने दो अब रणà¤à¥‡à¤°à¥€ तà¥à¤® रणचंडी का आहवान करो।
दà¥à¤ƒà¤– की इस असहनीय घड़ी में पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¥€ है कि कब तक हमारे सैनिक इस लाकà¥à¤·à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ में जलते रहेंगे, उठो राजन! अब सहन मत करो, बन अरà¥à¤œà¥à¤¨ इतिहास को पà¥à¤¨: गांडीव की टंकार सà¥à¤¨à¤¾ दो। देश को हिला देने वाले पà¥à¤²à¤µà¤¾à¤®à¤¾ हमले में जिस माठने बेटा खोया है उस माठकी छाती जरà¥à¤° फटी होगी, दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ उस बाप की à¤à¥€ उजड़ी होगी, जिसने अपना सहारा खोया है। दरà¥à¤¦ के चाबà¥à¤• पतà¥à¤¨à¥€ और उस संतान के तन मन में पड़े होंगे, जिनकी मांग का सिंदूर और जिसके सर से बाप का साया छिना है, आज इनका दरà¥à¤¦ देखकर देश के अनà¥à¤¤à¤¸à¥ से अथाह पीड़ा और आकà¥à¤°à¥‹à¤¶ की लहर उठरही है। आखिर कैसे मजहबी à¤à¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने कशà¥à¤®à¥€à¤° को कबà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ बना डाला। वो किस तरह दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ देश से मिलकर देश की संपà¥à¤°à¤à¥à¤¤à¤¾, अखंडता पर चोट कर रहे है। à¤à¤• कथित मजहबी आजादी का सपना पाले वो लोग बार-बार ललकार रहे है और हम सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ और अहिंसा के सिदà¥à¤¦à¤¾à¤‚तों का पालन करते-करते कायरता का आवरण ओà¥à¤•à¤° कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¤ और जमà¥à¤¹à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤ का गाना गा रहे है।
à¤à¤• तरफ हम लोग विशà¥à¤µ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¤¾à¤°à¤¤ की साथ तà¥à¤²à¤¨à¤¾ करते नहीं थकते, दूसरी और देखे तो हम इतने कमजोर राषà¥à¤Ÿà¥à¤° बन चà¥à¤•à¥‡ है कि अपने हितों पर होती चोट पर निंदा से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कà¤à¥€ कà¥à¤› नहीं कर पाते। बेशक किसी की धारà¥à¤®à¤¿à¤• आसà¥à¤¥à¤¾ पर चोट नहीं करनी चाहिठकिनà¥à¤¤à¥ जहाठधरà¥à¤® ही न हो अधरà¥à¤® ही अधरà¥à¤® दिख रहा हो तो आतंक में आसà¥à¤¥à¤¾ रखने वाले इन जहरीले सांपो के फन कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न कà¥à¤šà¤²à¥‡ जाये? शायद à¤à¤¸à¤¾ न करना तो हमारे किसी धरà¥à¤® शासà¥à¤¤à¥à¤° में नहीं लिखा हैं।
पठानकोट के बाद उरी इसके बाद अब पà¥à¤²à¤µà¤¾à¤®à¤¾ देश के सैनिक à¤à¤•-à¤à¤• कर à¤à¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के चोरी छिपे हमलों का निवाला बन रहे है और हम सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿ संपनà¥à¤¨ होते हà¥à¤ à¤à¥€ सिवाय आंसू पोछने, पीड़ा की कविता गाने के अलावा कà¥à¤› नहीं कर पा रहे है। कम से कम हमें राषà¥à¤Ÿà¥à¤° रकà¥à¤·à¤¾ में तो अपने गà¥à¤°à¤‚थो का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करना चाहिठकि जब दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ बार-बार अटà¥à¤Ÿà¤¹à¤¾à¤¸ करता है जैसे अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ वध के उपरांत अरà¥à¤œà¥à¤¨ को आतà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤¹ करते देखने के लिठजयदà¥à¤°à¤¥ कौरव सेना के आगे आकर अटà¥à¤Ÿà¤¹à¤¾à¤¸ करने लगा था तब जयदà¥à¤°à¤¥ को देखकर शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ बोले थे पारà¥à¤¥! तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ शतà¥à¤°à¥ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ सामने खड़ा है। उठाओ अपना गांडीव और वध कर दो इसका। आज à¤à¥€ समय वही मांग दोहरा रहा है गांडीव उठाओं कलयà¥à¤— के राजन कर दो दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ का विनाश।
आखिर हम कब तक अपनी à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता के वीर सपूतों के शवों पर आंसू बहाते रहेंगे। जबकि दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ हर बार हमें घाव देकर चला जाता है। इन 40 जवानों बलिदान से देश के किस नौजवान का खून नहीं खोला होगा। किस माठकी आà¤à¤–े नम नहीं हà¥à¤ˆ होगी, 40 घरों के चिराग बà¥à¤ गये, आखिर हम कब तक शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि देते रहेंगे? हर दिन, हर सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹, हर महीना, हर साल हमारे जवान मरते रहते है और राजनेता आरोप पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤ª लगाकर इस खून सनी जमीन पर मिटटी डालते रहते है। जो लोग आज इन मजहबी à¤à¥‡à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का साथ दे रहे शà¥à¤°à¥‚ उनसे करना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में यà¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान कई बार कृषà¥à¤£ ने अरà¥à¤œà¥à¤¨ से परंपरागत नियमों को तोड़ने के लिठकहा था जिससे धरà¥à¤® की रकà¥à¤·à¤¾ हो सके। जो अधरà¥à¤® के रासà¥à¤¤à¥‡ पर चलेगा उसका सरà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¶ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है, फिर चाहे वह कोई à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना हो। करà¥à¤£ गलत नहीं थे सिरà¥à¤« उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गलत का साथ दिया था। इस कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मौत मिली। समà¤à¤¨à¥‡ के लिठयही काफी है। अब केवल अकरà¥à¤®à¤£à¥à¤¯ बने रहने का खतरा देश कब तक उठाता रहेगा।
हमे शà¥à¤°à¥€à¤²à¤‚का जैसे छोटे देश से à¤à¥€ सीखना चाहिठकि किस तरह उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिटà¥à¤ े जैसे मजबूत आतंकी नेटवरà¥à¤• के ढांचे को नेसà¥à¤¤à¤¨à¤¾à¤¬à¥‚द किया, हमें इजराइल से सीखना चाहिठकि अपने दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच रहकर अपना सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ कैसे बचाया जाता है। मà¥à¤¯à¥‚निख ओलिंपिक खेलों के दौरान 11 इजराइली à¤à¤¥à¤²à¥€à¤Ÿà¥‹à¤‚ को बंधक बनाया और बाद में सबकी हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी। बंधकों को छà¥à¥œà¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश में वेसà¥à¤Ÿ जरà¥à¤®à¤¨à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤ˆ में 5 आतंकी मारे गठथे। लेकिन इसके बाद बाकी बचे तीन आतंकियों, जिनमें इस साजिश का मासà¥à¤Ÿà¤°à¤®à¤¾à¤‡à¤‚ड à¤à¥€ शामिल था, को वहां की खà¥à¤«à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤œà¥‡à¤‚सी मोसाद ने सिरà¥à¤« à¤à¤• महीने के अंदर ही ऑपरेशन ‘रैथ ऑफ गॉड’ चलाकर न सिरà¥à¤« खोजा बलà¥à¤•à¤¿ मार à¤à¥€ गिराया। इजराइल ने हमले की निंदा नही की थी बस पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤° किया था। जिसकी जरà¥à¤°à¤¤ आज हमें à¤à¥€ हैं।
अà¤à¥€ तक जो चल रहा था वह à¤à¤• राजनितिक गलती हो सकती है। अगर आगे à¤à¥€ यही होगा तो इतिहास इसे सरà¥à¤µà¤¦à¤²à¥€à¤¯ गलती कहने से गà¥à¤°à¥‡à¤œ नहीं करेगा। आज राजनेताओं को समà¤à¤¨à¤¾ होगा धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ सामाजिक समरसता का विषय हो सकता है किनà¥à¤¤à¥ यदि शतà¥à¤°à¥ धरà¥à¤® के सहारे ही हमला करता रहेगा तो कैसी धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾à¥¤ यह बात सà¤à¥€ को समà¤à¤¨à¥€ चाहिठकि कोई à¤à¥€ देश वीरता के साथ जनà¥à¤® लेता है और कायरता के साथ मर जाता है, अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• शांति à¤à¥€ कायरता का रूप होती है। अंत में सिरà¥à¤« इतना कहना चाहूà¤à¤—ा कि आतà¥à¤®à¤¾ ही नहीं दिल à¤à¥€ रोता है जब सरहद पर कोई जवान शहीद होता है। सà¤à¥€ वीर बलिदानी सैनिकों को आरà¥à¤¯ समाज शत-शत नमन
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