हम बंदरों की नहीं ऋषियों की संतान है
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Rajeev ChoudharyDate
27-Jul-2019Category
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कà¥à¤› समय पहले महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के औरंगाबाद में आयोजित ऑल इंडिया वैदिक समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में मानव के कà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• विकास के चारà¥à¤²à¥à¤¸ डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त को वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• रूप से गलत कहने वाले à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ सासंद सतà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² सिंह ने फिर से उस थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ पर सवाल उठाया है, जिसमें कहा गया था कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ पहले बंदर की तरह दिखते थे। हाल ही में लोकसà¤à¤¾ में à¤à¤• विधेयक पर बहस में हिसà¥à¤¸à¤¾ लेते हà¥à¤ बागपत से सांसद सतà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² सिंह ने कहा, मानव पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की खास रचना है। हमारा मानना है कि हम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ ऋषियों की संतान हैं। किनà¥à¤¤à¥ हम उनकी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को ठेस à¤à¥€ नहीं पहà¥à¤‚चाना चाहते हैं जिनका कहना है कि वे बंदरों की संतान हैं।
किनà¥à¤¤à¥ इस बार à¤à¥€ इस गंà¤à¥€à¤° विषय पर शोध के लिठसमरà¥à¤¥à¤¨ मिलने के बजाय राजनीति और विरोध हà¥à¤†à¥¤ टीà¤à¤®à¤¸à¥€ सांसद महà¥à¤† मोइतà¥à¤°à¤¾ ने कहा, यह बयान डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त के खिलाफ है। तो वहीं दà¥à¤°à¤®à¥à¤• सांसद कनिमोई जी को तो इसमें à¤à¥€ वोटबेंक नजर आया और ये कहते हà¥à¤ विरोध किया कि मेरे पूरà¥à¤µà¤œ ऋषि नहीं हैं। मेरे पूरà¥à¤µà¤œ बंदर हैं और मेरे माता-पिता शूदà¥à¤° हैं। कमाल देखिये अपने लाखों साल पहले वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• रूप सिदà¥à¤§ वैदिक दरà¥à¤¶à¤¨ के विरोध में यह लोग डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आसà¥à¤¥à¤¾ जताठबैठे है।
असल में डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ ने 1859 में à¤à¤• सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त दिया था। जिसके मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• 40 लाख साल पहले इंसान ऑसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¥‹à¤ªà¤¿à¤¥à¥‡à¤•à¤¸ से पैदा हà¥à¤† था। जिसके बाद कई चरणों में इंसान का विकास होने लगा। पहले वह बनà¥à¤¦à¤° बना फिर इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨à¥¤ आज विशà¥à¤µ के लगà¤à¤— सà¤à¥€ पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में इसी सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त को रटाया जाता है। विरोध का कारण à¤à¥€ यही कि अगर कोई बचà¥à¤šà¤¾ अपनी परीकà¥à¤·à¤¾ में इस सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त को नहीं मानेगा तो उसे परीकà¥à¤·à¤• अंक नहीं देगा। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अंक पाने है तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बंदरों को ही अपने पूरà¥à¤µà¤œ मानना पड़ेगा। जबकि विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ में कोई खोज या जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अंतिम नहीं है। यह à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° है, जहां धारणाà¤à¤‚ और शोध हमेशा परिवरà¥à¤¤à¤¨ करते रहते हैं। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की à¤à¤• परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ ये à¤à¥€ है कि जिस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ दी जा सके, वही विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। जब कोई जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤° हो जाये उसे विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से बाहर मान लेना चाहिà¤à¥¤
हालंकि सतà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² सिंह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यह कोई पहला खंडन नहीं है इससे पहले वरà¥à¤· 2008 में विकासवाद के समरà¥à¤¥à¤• जीव-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ सà¥à¤Ÿà¥‚अरà¥à¤Ÿ नà¥à¤¯à¥‚मेन ने à¤à¤• साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° में कहा था कि नà¤-नठपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के जीव-जंतॠअचानक कैसे उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो गà¤, इसे समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठअब विकासवाद के नठसिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त की जरूरत है। जीवन के कà¥à¤°à¤®-विकास को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठहमें कई सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों की जरूरत होगी, जिनमें से à¤à¤• होगा “डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त” सà¥à¤Ÿà¥‚अरà¥à¤Ÿ नà¥à¤¯à¥‚मेन ने उदाहरण देते हà¥à¤ कहा था कि, चमगादड़ों में धà¥à¤µà¤¨à¤¿ तरंग और गूà¤à¤œ के सहारे अपना रासà¥à¤¤à¤¾ ढूà¤à¥à¤¨à¥‡ की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ होती है। उनकी यह खासियत किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ जीव-जंतॠमें साफ नजर नहीं आती, à¤à¤¸à¥‡ में हम जीवन के कà¥à¤°à¤®-विकास में किस जानवर को उनका पूरà¥à¤µà¤œ कहेंगे?
बेशक आज सतà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² सिंह का विरोध राजनितिक कारणों और à¤à¤• बनी बनाई धारणा को बचाने के लिठअनेकों लोग खड़ें हो जाये। कहे कि डॉ सतà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² सिंह थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ ऑफ नेचà¥à¤°à¤² सिलेकà¥à¤¶à¤¨ पर निरà¥à¤®à¤® पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° कर रहे हैं। बेशक आज सतà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² सिंह को अति राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ कहा जाये। इसे वà¥à¤¯à¤‚गातà¥à¤®à¤• à¤à¥€ लिया जाये किनà¥à¤¤à¥ यदि किसी में जरा à¤à¥€ वैदिक दरà¥à¤¶à¤¨ की समठऔर वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• चेतना है तो वह कतई नहीं मानेंगे कि डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ का सिदà¥à¤¦à¤¾à¤‚त अंतिम सतà¥à¤¯ है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कल अगर दूसरा शोध हà¥à¤† तो डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अखाड़े में à¤à¥€ धूल चाटता नजर आ सकता है।
कहा जाता है किसी à¤à¥€ सतà¥à¤¯ को समà¤à¤¨à¥‡ के लिठउसके अंत तक जाना होता है। डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ ने जो सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त दिया वो बाइबल को पà¥à¤•à¤° उसके विरोध में दिया था। किसी à¤à¥€ इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ के दिमाग में पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ खड़े होना लाजिमी है à¤à¤• समय डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ के दिमाग में à¤à¥€ कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ खड़े हà¥à¤ कि हम कौन हैं? कहां से आये हैं? सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में इतनी विविधता कैसे और कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆ? कà¥à¤¯à¤¾ इस विविधता के पीछे कोई à¤à¤• सूतà¥à¤° है? जब à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ ने डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ को कà¥à¤°à¥‡à¤¦à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बाइबल में इनका उतà¥à¤¤à¤° खोजने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। अब बाइबिल के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• तो ईशà¥à¤µà¤° ने à¤à¤• ही सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना कर दी थी जिसमें उसने चाà¤à¤¦, सूरज पेड़-पौधे, जीव-जंतà¥, पहाड़-नदियां और मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अलग-अलग छह दिन में बनाया था। यह सब पà¥à¤•à¤° डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ को घोर निराशा हाथ लगी कि छ: दिन में यह सब नहीं हो सकता सब कà¥à¤› धीरे-धीरे हà¥à¤† होगा। इस कारण उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विकासवाद की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ कर दी। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनके लिखे कई पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और उनकी कई किताबों में ईसाइयत के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उनके विरोधी विचार साफ नजर आते हैं। अपनी जीवनी में डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ ने लिखा था जिन चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का समरà¥à¤¥à¤¨ ईसाइयत करती है उन पर यकीन करने के लिठकिसी à¤à¥€ समà¤à¤¦à¤¾à¤° आदमी को पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ जरूर महसूस होगी।
जहाठपूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त बाइबल का विरोधी सिदà¥à¤¦à¤¾à¤‚त मानना था उनमें से अनेकों लोग अब डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ के सिदà¥à¤¦à¤¾à¤‚त को अंतिम सतà¥à¤¯ मानकर बैठगये। आज अनेकों वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥€ इसे आसà¥à¤¥à¤¾ का सवाल बनाकर बैठगये। यह जानते हà¥à¤ कि यह अंतिम थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ नहीं है। नये शोध और विचारों को पà¥à¤¨à¤¾ और अपनी चेतना के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ के निकट जाने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ आज विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देनी होगी। इसलिठआज हमें अपनी उरà¥à¤œà¤¾ सतà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² सिंह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कही गई बात के विरोध में नहीं लगानी चाहिà¤à¥¤ इस विषय पर वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• तरीके से शोध होना चाहिà¤, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि डारà¥à¤µà¤¿à¤¨ की जगह दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में जब यह संदेश जायेगा कि कà¥à¤°à¤®à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤¸ का सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ का ही है, तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ का गौरव बà¥à¥‡à¤—ा, इसलिठबहस à¤à¤¾à¤°à¤¤ का गौरव बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ की दिशा में होनी चाहिà¤à¥¤ वरना हम हमेशा अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ की बनाई शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में जीते रहेंगे और मानते रहेंगे कि महान ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संतान के बजाय बंदरों की संतान है।
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