मूलनिवासियों की थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ का लगा धकà¥à¤•à¤¾
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Vinay AryaDate
09-Sep-2019Category
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RajeevUpload Date
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कई सालों से मूलनिवासी और आरà¥à¤¯à¤¨ थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ गà¥à¤•à¤° जो लोग अपनी इतिहास और राजनीती की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ चला रहे थे। अब हरियाणा के हिसार जिले के राखीगà¥à¥€ में मिले कंकालों पर किये गये डीà¤à¤¨à¤ शोध से आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के आकà¥à¤°à¤®à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ होने की थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ मनघडंत साबित हà¥à¤ˆà¥¤ 2015 में राखीगà¥à¥€ सिंधॠघाटी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में मिले कंकालों के डीà¤à¤¨à¤ सैंपल की जांच पूरी गई है। पà¥à¤£à¥‡ के डेकà¥à¤•à¤¨ कॉलेज के पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कंकालों के डीà¤à¤¨à¤ मधà¥à¤¯ à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¨ लोगों के जीन से नहीं मिलते हैं।
असल में साल 2015 में राखीगà¥à¥€ में हजारों साल पहले कà¥à¤› कंकाल मिले थे। पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µà¤µà¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤¾ वसंत शिंदे की अगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ में इन कंकालों पर किठगठअधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किये गये। शà¥à¤°à¥‚आत में कहा गया कि ये कंकाल ईरानी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ से काफी मिलते जà¥à¤²à¤¤à¥‡ है। लेकिन हाल ही पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤ शोध से पता चलता है कि दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ में खेती किसानी का जो काम शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† था वो यहां के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† था न कि पशà¥à¤šà¤¿à¤® से लोग यहां आठथे।
इस शोध में सामने आया है कि 9000 साल पहले à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लोगों ने ही कृषि की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की थी। इसके बाद ये ईरान व इराक होते हà¥à¤ पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में पहà¥à¤‚ची। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के विकास में यहीं के लोगों का योगदान है। कृषि से लेकर विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तक, यहां पर समय समय पर विकास होता रहा है। इस अधà¥à¤¯à¤¨ को पूरा करने में 3 साल का समय लगा है। अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने वाली टीम में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦ और हारवरà¥à¤¡ मेडिकल सà¥à¤•à¥‚ल के डीà¤à¤¨à¤ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¤°à¥à¤Ÿ शामिल हैं. इस टीम ने साइंटिफिक जनरल (सेल अंडर द टाइटल) नाम से रिपोरà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ की है।
राखीगà¥à¥€ में खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ करनेवाले पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, यà¥à¤—ल कंकाल का मà¥à¤‚ह, हाथ और पैर सà¤à¥€ à¤à¤• समान है। इससे साफ है कि दोनों को जवानी में à¤à¤• साथ दफनाया गया था। बता दें के ये निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· हाल ही में अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾, à¤à¤¸à¥€à¤¬à¥€ जरà¥à¤¨à¤² ऑफ अनैटमी और सेल बायॉलजी में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किठगठथे।
निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· में आगे कहा कि कंकाल, जिनकी उमà¥à¤° 21 से 35 वरà¥à¤· के बीच आंकी गई थी, को विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ के लिठपà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—शाला में ले जाया गया था। जहाठजाà¤à¤š कंकाल में किसी तरह के आघात या घाव के कोई सबूत नहीं मिले हैं। इस अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ ने साबित किया कि आरà¥à¤¯à¤¨ आकà¥à¤°à¤®à¤£ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤£ और à¤à¥à¤°à¤¾à¤®à¤• था और वैदिक यà¥à¤— का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का विकास सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ लोगों के माधà¥à¤¯à¤® से हà¥à¤† था। 5000 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ कंकालों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के बाद जारी की गई रिपोरà¥à¤Ÿ में यह बात à¤à¥€ सामने आई है कि हड़पà¥à¤ªà¤¾ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ में हवन और सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ पूजा होती थी। à¤à¤¸à¥‡ में जाहिर आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के बाहर से आने की थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ ही गलत साबित होती है। वैसे पहले à¤à¥€ कई इतिहासकारों का कहना था कि वामपंथियों की आरà¥à¤¯à¤¨ थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ मनगढंत कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ पर आधारित है। जिसकी परतें इस नठशोध से उघड़ती नजर आ रही हैं।
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस रिपोरà¥à¤Ÿ में तीन बिंदà¥à¤“ं को मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से दरà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤¾ गया है। पहला, पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कंकाल उन लोगों से तालà¥à¤²à¥à¤• रखता था, जो दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ˆ लोगों का हिसà¥à¤¸à¤¾ थे। दूसरा, 12 हजार साल से à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ का à¤à¤• ही जीन रहा है। तीसरा, à¤à¤¾à¤°à¤¤ में खेती करने और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ करने वाले लोग बाहर से नहीं आठथे, अगर हड़पà¥à¤ªà¤¾ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के बाद आरà¥à¤¯à¤¨ बाहर से आठहोते तो वह जरà¥à¤° अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ साथ लाये होते।
इस रिपोरà¥à¤Ÿ के निषà¥à¤•à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ तौर से देखें तो यह अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ मैकà¥à¤¸ मूलर, विलियम हंटर और लॉरà¥à¤¡ टॉमस बैबिंगà¥à¤Ÿà¤¨ मैकॉले इन तीन लोगों के मà¥à¤‚ह पर तमाचे जैसा है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इन तीनों के कारण ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ का इतिहास विकृत हà¥à¤†à¥¤ विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ देखिये कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा और हमारे देश इतिहासकारों ने मान लिया कि आरà¥à¤¯ बाहर से आये थे।
इनकी थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ में आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को घà¥à¤®à¤‚तू या कबीलाई बताया जाता है। बताते है यह à¤à¤¸à¥‡ खानाबदोश लोग थे जिनके पास वेद थे, रथ थे, खà¥à¤¦ की à¤à¤¾à¤·à¤¾ थी और उस à¤à¤¾à¤·à¤¾ की लिपि à¤à¥€ थी। मतलब यह कि आरà¥à¤¯ पà¥à¥‡-लिखे, सà¤à¥à¤¯ और सà¥à¤¸à¤‚सà¥à¤•à¥ƒà¤¤ खानाबदोश लोग थे। यह दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का सबसे अनोखा बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का नमूना है कि खानोबदोश लोग पà¥à¥‡ लिखे थे और नगर सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में रहने वाले लोग अनपॠगंवार थे। दूसरी विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ ये à¤à¥€ देखिये कि मैकà¥à¤¸ मूलर की थà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥€ को सच मानकर हमारे ही देश के इतिहाकारों ने धीरे धीरे यह पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करना शà¥à¤°à¥ किया कि सिंधॠलोग दà¥à¤°à¤µà¤¿à¥œ थे और वैदिक लोग आरà¥à¤¯ थे। सिंधॠसà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के आगमन के पहले की है और आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने आकर इस नषà¥à¤Ÿ कर दिया और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को à¤à¥€ यही पढाया जाने लगा।
हालाà¤à¤•à¤¿ कà¥à¤› सालों पहले à¤à¥€ आईआईटी खड़गपà¥à¤° और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ विà¤à¤¾à¤— के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने सिंधॠघाटी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤¾ को लेकर नठतथà¥à¤¯à¤ª सामने रखे थे कि यह सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ 5500 साल नहीं बलà¥à¤•à¤¿ 8000 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ थी। यानि यह सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ मिसà¥à¤° और मेसोपोटामिया की सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ से à¤à¥€ पहले की है। मिसà¥à¤° की सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ 7,000 ईसा पूरà¥à¤µ से 3,000 ईसा पूरà¥à¤µ तक रहने के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ मिलते हैं, जबकि मोसोपोटामिया की सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ 6500 ईसा पूरà¥à¤µ से 3100 ईसा पूरà¥à¤µ तक असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में थी। जबकि हड़पà¥à¤ªà¤¾ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ से 1,0000 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ की सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ à¤à¥€ खोज निकाले हैं।
à¤à¤²à¥‡ इतिहास आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को लेकर कई दावे किठगठलेकिन फिर à¤à¥€ सवाल जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रहा कि आरà¥à¤¯ बाहर से आठथे या यहीं à¤à¤¾à¤°à¤¤ ही निवासी थे। बेशक इसे लेकर वामपंथियों ने कई दावे किठजिसका मकसद à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को शायद हीन साबित करना रहा हो लेकिन अब इस सवाल का जवाब सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ नजर आने लगा है। अब वामपंथी इतिहासकारों अपना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ अपडेट कर लेना चाहिठऔर मूलनिवासियों के नाम पर चल रही दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर ताला जड़ देना चाहिà¤
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