अगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¤¿à¤–ा के समान था वो महान सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€
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Vinay AryaDate
22-Oct-2019Category
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RajeevUpload Date
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निरà¥à¤µà¤¾à¤£ दिवस पर विशेष
हर वरà¥à¤· की à¤à¤¾à¤‚ति इस वरà¥à¤· à¤à¥€ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤¨ नà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जोधपà¥à¤° में 136 वां ऋषि सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ मनाया जा रहा था। यूठतो इस कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में देश à¤à¤° की आरà¥à¤¯ विà¤à¥‚तियों, विशà¥à¤µ आरà¥à¤¯ रतà¥à¤¨, पदमà¤à¥‚षण महाशय धरà¥à¤®à¤ªà¤¾à¤² जी समेत à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° की अनेकों सà¤à¤¾à¤“ं के पदाधिकारियों, आरà¥à¤¯ महानà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ थी। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने 31 मई 1883 से 16 अकà¥à¤¤à¥‚बर 1883 लगà¤à¤— अपने जीवन के अंतिम लगà¤à¤— साà¥à¥‡ चार मास इसी à¤à¤µà¤¨ में रहकर अंतिम समय में वैदिक धरà¥à¤® की विशà¥à¤µ विजयी पताका फहराई थी। आरà¥à¤¯ समाज से जà¥à¥œà¥‡à¤‚ लोगों का à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से विशेष जà¥à¤¡à¤¾à¤µ रहा है इस à¤à¥‚मि पर पहà¥à¤‚चकर पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• आरà¥à¤¯ का मन à¤à¤• पल को जरà¥à¤° दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¤ à¤à¥€ होता है।
यहाठपहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही मन में à¤à¤•-à¤à¤• कर मन में सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ जागने लगी कि 1883 ई० में जब महरà¥à¤·à¤¿ का आगमन जोधपà¥à¤° नगर में हà¥à¤† तब महाराजा यशवंत सिंह (दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯) यहाठके शासक थे। यशवंत सिंह तखत सिंह के सबसे बड़े पà¥à¤¤à¥à¤° थे और यà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ थे। पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª सिंह तीसरे पà¥à¤¤à¥à¤° थे। तखत सिंह की मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ 1 मारà¥à¤š 1873 को यशवंत सिंह (दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯) महाराजा बने, सर पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª इनके अनà¥à¤œ थे और दोनों à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ में बड़ा सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ था। ऋषि दयानंद का जोधपà¥à¤° आगमन इनà¥à¤¹à¥€ दोनों के काल में हà¥à¤† था।
जोधपà¥à¤° के महाराज यशवंत सिंह ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ को आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ वहां गà¤à¥¤ निरà¥à¤à¥€à¤• और सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¤µà¤¾à¤¦à¥€ होने के खतरों से उनके कà¥à¤› शà¥à¤à¤šà¤¿à¤‚तकों ने आगाह à¤à¥€ किया। लेकिन सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने कहा कि फिर तो जाना और à¤à¥€ जरूरी है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद जोधपà¥à¤° गठयही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दूध में विष मिलाकर पिला दिया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ पर उसका तà¥à¤°à¤‚त असर दिखाई दिया। उनके पेट में à¤à¤¯à¤‚कर कषà¥à¤Ÿ होने लगा। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने वमन-विरेचन की योग कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं से दूषित पदारà¥à¤¥ को निकाल देने की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ की, पर विष तीवà¥à¤° था और अपना काम कर चà¥à¤•à¤¾ था।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी à¤à¤¾à¤°à¤¤ की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ से अंतà¥à¤¯à¤‚त वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ही सबसे पहले सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ और सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ का उदà¥à¤˜à¥‹à¤· किया था, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहाऔ विदेशी सà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ से सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ शासन ही सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯ और उतà¥à¤¤à¤® है। उनकी सबसे बड़ी विशेषता उनका राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ होना है। वह à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• महापà¥à¤°à¥à¤· थे। परनà¥à¤¤à¥ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जो धरà¥à¤® की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की वह अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸, पाखणà¥à¤¡ और संकीरà¥à¤£ सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ से हट कर बताई कि मानव के सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण विकास में सहायक गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का समावेश है जिसके कारण सचà¥à¤šà¥€ मानवता का विकास होता है। उनकी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में मनà¥à¤·à¥à¤¯ वही है जो अपने तà¥à¤²à¥à¤¯ अनà¥à¤¯ को à¤à¥€ समà¤à¥‡ तथा सबके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सतà¥à¤¯, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तथा धरà¥à¤® का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करे।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का यह अटूट विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ था की वेदों में सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ है और वेदों का पढना पà¥à¤¾à¤¨à¤¾ तथा सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾ ही परमधरà¥à¤® है। इस वेद के बिना कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ नहीं कर सकती। आज à¤à¤¾à¤°à¤¤ जिन समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से जूठरहा है सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने उनका समाधान पहले ही बता दिया था। आज पà¥à¤°à¥à¤· और सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ में अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ का बढना जोकि à¤à¥à¤°à¥‚ण हतà¥à¤¯à¤¾ का फल है, समाज के लिठकलंक है। परनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ने नारी जाति के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ की बात की। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मनॠजी के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कहा कि जहाठनारी की पूजा होती है वहाठदेवता रमण करते है। तथा ये माताà¤à¤‚ ही जगत जननी है, यदि यह शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं होगी तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ कà¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं हो सकता। न वो अपनी इन गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ की बेड़ियों को काट सकता।
आज à¤à¤²à¥‡ ही बड़े बड़े सà¥à¤•à¥‚ल कॉलिज देश में खà¥à¤²à¥‡ हो लेकिन आज की शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ दिशा हीन है। सिरà¥à¤« नौकरी पाने और अरà¥à¤¥ कमाने तक सिमित है। इस शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की तो कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं की जा सकती। इसलिठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के दà¥à¤¸à¤°à¥‡ समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में बचà¥à¤šà¥‹ की शिकà¥à¤·à¤¾ किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° होनी चाहिà¤, उसका मारà¥à¤— दिखाया है। मूलà¥à¤¯à¤ªà¤°à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ और जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤ªà¤°à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ में समावेश होना चाहिà¤à¥¤ शिकà¥à¤·à¤¾ का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ निषà¥à¤ à¥à¤° à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ मानव न बनकर आदरà¥à¤¶ मानव बनना होना चाहिà¤à¥¤ आज मूलà¥à¤¯à¤ªà¤°à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ की बेहद आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने इस सोये समाज को बेहद पहले परख लिया था। इसीलिठवह à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ सामजिक, आरà¥à¤¥à¤¿à¤•, धारà¥à¤®à¤¿à¤•, आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• और राजनितिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को समाज में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना चाहते थे जिस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ बलà¥à¤•à¤¿ सारा संसार सà¥à¤µà¤°à¥à¤— बन जाà¤, सतà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° हो और सतà¥à¤¯ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° हो। सतà¥à¤¯ का à¤à¤¾à¤·à¤£ हो, मनà¥à¤·à¥à¤¯ जाति के उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लिठजहां सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶‘ जैसे गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की रचना à¤à¥€ की जिसमे जात-पात, वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° जीव पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, आचार विचार आचरण, पाखंड अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ समेत अनेकों मत मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹ का खंडन मंडन à¤à¥€ किया।
परनà¥à¤¤à¥ जब जगनà¥à¤¨à¤¾à¤¥ ने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के बहकावे में आकर ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी को दूध में जहर मिलाकर दे दिया, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की हालत बिगड़ने लगी, डॉ अलीमरदान ने दवा के बहाने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के शरीर में जहर से à¤à¤°à¤¾ इंजेकà¥à¤¶à¤¨ लगा दिया और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के शरीर से जहर फूटने लगा अतः रसोईये को अपनी गलती महसूस हà¥à¤ˆ, तो उसने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के पास जाकर माफी मांगी। मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤·à¤®à¤¾ कर दिजिà¤, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी। मैने à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• पाप किया हैं, आप के दूध में शीशायà¥à¤•à¥à¤¤ जहर मिला दिया था।
ये तà¥à¤¨à¥‡ कà¥à¤¯à¤¾ किया? समाज का कारà¥à¤¯ अधà¥à¤°à¤¾ ही रह गया। अà¤à¥€ लोगों की आतà¥à¤®à¤¾ को और जगाना था, सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ की कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति लानी थी। पर जो होना था हो गया तॠअब ये पैसा ले और यहां से चला जा नहीं तो राजा तà¥à¤à¥‡ मृतà¥à¤¯à¥ दंड दे देगें। à¤à¤¸à¥‡ थे हमारे देव दयाननà¥à¤¦ जी, दया के à¤à¤‚डार,करà¥à¤£à¤¾ के सागर आकाश के समान विशाल हà¥à¤°à¤¦à¤¯ जो अपने हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ को à¤à¥€ कà¥à¤·à¤®à¤¾ कर गये थे। जिसका दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा। दीपावली की रात लाखो दिठजलाकर यà¥à¤— पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤•, पà¥à¤°à¤šà¤£à¥à¤¡ अगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¤¿à¤–ा के समान तपोबल से पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤, वेदविदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और दया का दीप खà¥à¤¦ बà¥à¤ गया। जिसका दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा। दीपावली के दिन उस महान आतà¥à¤®à¤¾ का महापलायन हà¥à¤†à¥¤ आरà¥à¤¯à¤œà¤¨ इस परà¥à¤µ को ऋषि निरà¥à¤µà¤¾à¤£ दिवस के रूप में मनाते है। आओ आज मिलकर संकलà¥à¤ª करे की हम à¤à¤¾à¤°à¤¤ को अंधकार मà¥à¤•à¥à¤¤, अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ मà¥à¤•à¥à¤¤, नशा मà¥à¤•à¥à¤¤ समाज और राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करें यही उस महान आतà¥à¤®à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की सचà¥à¤šà¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤²à¤¿ होगी
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