सामवदेà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° आचारà¥à¤¯ रामनाथ वेदालंकार का महान वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ
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Manmohan Kumar AryaDate
08-Jul-2016Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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14-Jul-2016Download PDF
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ऋषि दयाननà¥à¤¦ की वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की शिषà¥à¤¯ मणà¥à¤¡à¤²à¥€ में आचारà¥à¤¯ रामनाथ वेदालंकार जी का मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। अपने पिता की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² कागड़ी, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में शिकà¥à¤·à¤¾ पाकर और वहीं à¤à¤• उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° के रूप में अपनी सेवायें देकर तथा अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨, वेदों पर चिनà¥à¤¤à¤¨ व मनन करके आपने देश व संसार को अनेक मौलिक वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की है। आचारà¥à¤¯ रामनाथ वेदालंकार जी के साहितà¥à¤¯ के अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ उनके साहितà¥à¤¯ के महतà¥à¤µ को जानते हैं। हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि हमें उनके जीवनकाल में कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक उनका सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ मिलता रहा और उनके पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤¨à¥‡ का सà¥à¤…वसर à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° की कृपा से मिला हे। अपने जीवन पर विचार करने पर हमें लगता है कि हमारा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जीवन मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ ऋषि दयाननà¥à¤¦ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के अतिरिकà¥à¤¤ आचारà¥à¤¯ रामनाथ वेदालंकार जी और कà¥à¤› अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– वैदिक आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की संगति व उनके गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का ही परिणाम है। अतः हम आरà¥à¤¯à¤œà¤—त के इन सà¤à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के ऋणी व कृतजà¥à¤ž हैं और इसके लिठईशà¥à¤µà¤° का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करते हैं।
आचारà¥à¤¯ रामनाथ वेदालंकार जी 102 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ 7 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, 1914 को बरेली में जनà¥à¤®à¥‡à¤‚ थे। उनकी शिकà¥à¤·à¤¾-दीकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² कांगड़ी के गंगापार के जंगलों में हà¥à¤ˆ थी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी के आपने साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨ किये थे। à¤à¤• बार बचपन में उनको à¤à¤• पतà¥à¤° à¤à¥€ लिखा था। उसका उतà¥à¤¤à¤° उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² के आचारà¥à¤¯ के माधà¥à¤¯à¤® से आया था जिसमें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वैदिक साहितà¥à¤¯ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने और गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ की सेवा करने का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ व पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ थी। आचारà¥à¤¯ जी ने गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² से अपनी शिकà¥à¤·à¤¾ पूरी कर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° अपना शेष जीवन गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² को ही समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया। वेदों व वैदिक विषयों के वह देश में जाने माने मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। उनका जीवन वैदिक मूलà¥à¤¯ व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का जीता-जागता उदाहरण था। वह सरलता व सादगी की मूरà¥à¤¤à¤¿ थे। सेवानिवृति के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अधिकांश समय आरà¥à¤¯ वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ आशà¥à¤°à¤®, जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾à¤ªà¥à¤° के निकट गीता आशà¥à¤°à¤®, जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾à¤ªà¥à¤° में निवास कर वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ किया। वह अपने निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आने वाले सà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से पूरी संजीदगी, सहृदयता व आदर के साथ मिलते थे। उनसे वारà¥à¤¤à¤¾ करते थे। किसी पारिवारिक जन व मितà¥à¤° विशेष के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उनका कà¥à¤› नाम मातà¥à¤° राग होने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ हो सकती है परनà¥à¤¤à¥ दà¥à¤µà¥‡à¤· उनका किसी से नहीं था। वह नकारातà¥à¤®à¤• किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की कोई बात कà¤à¥€ नहीं करते थे। हमने अनेक वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक यदा कदा उनके पास जाकर आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के हित से जà¥à¥œà¥€ अनेक बातें उनसे की थी। वह हमारी पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• बात सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ थे और उसका संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ उतà¥à¤¤à¤° देते थे। पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ व समय समय पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होने वाले उनके गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हम उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते थे। वेदों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उनकी निषà¥à¤ ा निराली थी। उनकी वेद वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤“ं को पॠकर लगता है कि जैसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों के मरà¥à¤® को जान लिया था। उनकी सरल व सà¥à¤¬à¥‹à¤§ वेद वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤•à¤° उनका रहसà¥à¤¯ पाठक के हृदय पर अंकित हो जाता था। उनके सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पठनीय व पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• होने के साथ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤•à¤° लगता है कि वेद दà¥à¤°à¥à¤¬à¥‹à¤§ नहीं अपितॠसरल व सà¥à¤¬à¥‹à¤§ हैं। पाठक हमारी तरह संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤²à¥‡ ही न जानते हों परनà¥à¤¤à¥ उनकी मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤•à¤° उसका रहसà¥à¤¯ व गूà¥à¤¾à¤°à¥à¤¥ हृदयगंम हो जाता है। आचारà¥à¤¯à¤œà¥€ ने सामवेद का संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤µà¤‚ हिनà¥à¤¦à¥€ में विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ किया है जिसकी सà¤à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने मà¥à¤•à¥à¤¤ कणà¥à¤ से पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा की है। इसके अतिरिकà¥à¤¤ आपके अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ वेदों की वरà¥à¤£à¤¨ शैलियां, वैदिक वीर गरà¥à¤œà¤¨à¤¾, वैदिक सूकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, वेद मंजरी, वैदिक नारी, यजà¥à¤ž मीमांसा, वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की वेदारà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤‚, महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के शिकà¥à¤·à¤¾, राजनीति और कला-कौशल संबंधी विचार, वैदिक शबà¥à¤¦à¤¾à¤°à¥à¤¥ विचारः, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, आरà¥à¤· जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, वैदिक मधॠवृषà¥à¤Ÿà¤¿ तथा उपनिषद दीपिका आदि। आचारà¥à¤¯ जी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ व कृतितà¥à¤µ पर आपके पà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ डा. विनोदचनà¥à¤¦à¥à¤° विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤‚कार जी के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में ‘शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ मनà¥à¤¥à¤¨’ नाम से à¤à¤• विशालकाय गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ हà¥à¤† है। आचारà¥à¤¯ जी के इन सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤•à¤° वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ किया जा सकता है।
आचारà¥à¤¯ रामनाथ वेदालंकार जी ने गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² कांगड़ी से सनॠ1976 में सेवा निवृति के बाद चणà¥à¤¡à¥€à¤—ॠमें पंजाब विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में 3 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के लिठ‘महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ वैदिक अनà¥à¤¸à¤‚धान पीठ’ के आचारà¥à¤¯ व अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· बनाये गये थे। यहां सनॠ1979 तक रहकर आपने अनेक शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को शोध कराया जिनमें से à¤à¤• डा. विकà¥à¤°à¤® विवेकी जी à¤à¥€ हैं। अनà¥à¤¯ अनेक शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने à¤à¥€ आपके मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ में समय समय पर शोध उपाधियां पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कीं।
आचारà¥à¤¯ जी समय-समय पर अनेक समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व पà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ आदृत हà¥à¤ हैं। पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में आपको संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ निषà¥à¤ ा के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ जी की ओर से देश के संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ के रूप में समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया। इसके अतिरिकà¥à¤¤ सानà¥à¤¦à¥€à¤ªà¤¨à¤¿ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ वेद विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ सानà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤°à¥‚ज, मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ के वेद वेदांग पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° से à¤à¥€ आप समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ अनà¥à¤¯ अनेक संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं ने à¤à¥€ समय समय पर आपको समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया।
आज उनके जनà¥à¤® दिवस पर हम आचारà¥à¤¯ रामनाथ वेदालंकार जी को अपने हृदय में उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ से शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚लि देते हैं। आज उनके जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ पर आरà¥à¤¯ वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ आशà¥à¤°à¤®, जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤ªà¥à¤° में मधà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¥à¤¨ 2.30 बजे से ‘वेदमूरà¥à¤¤à¤¿ आचारà¥à¤¯ रामनाथ वेदालंकार 102 वां जयंती महोतà¥à¤¸à¤µ’ à¤à¥€ आयोजित किया गया है। हम इस कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® की सफलता की à¤à¥€ कामना करते हैं।
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