फिर लाशों पर सरकारी लीपापोती
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Rajeev ChoudharyDate
17-Aug-2016Category
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HindiTotal Views
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amitUpload Date
23-Aug-2016Download PDF
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सरकार की लापरवाही से जब कोई अधिकारी मरता है तो अखबार से लेकर सड़क तक नाम छप जाता है| लेकिन बिहार का गोपालगंज जिला तो बेनाम लाशें गोद में लिठरो रहा है जो की सरकार की ही घोर लापरवाही का नतीजा है| à¤à¤• बार फिर हमेशा की तरह वो ही घिसे पिटे सरकारी बयान आ रहे है कि दोषी कोई à¤à¥€ हो बकà¥à¤¶à¤¾ नहीं जायेगा, कड़ी कारवाही की जाà¤à¤—ी आदि-आदि| बहà¥à¤¤ पहले हिंदी फिलà¥à¤® के आखिर में लगà¤à¤— à¤à¤• डायलाग जरà¥à¤° होता था कि अपने हथियार फेंक दो पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ चारों तरफ से घेर लिया है| इसी तरह कà¥à¤› दिन पहले बिहार सरकार à¤à¥€ अचानक शराबबंदी कर मानों कह रही थी कि बोतले फेंक दो सरकार तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¤¾ चाह रही है! लत तो लत होती हैं चाहें वो सरकारी महकमे में रिशà¥à¤µà¤¤ के लेन-देन की हो या किसी अमीर-गरीब आदमी की शराब पीने की| à¤à¤²à¤¾ इतनी जलà¥à¤¦à¥€ कैसे छà¥à¤Ÿ जाà¤à¤—ी? बस रासà¥à¤¤à¥‡ बदल जाते है मà¥à¤¸à¤¾à¤«à¤¿à¤° वो ही रहते है|
अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ यह कि यह लोग शराब पीते कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है? आज हम सब सà¥à¤¤à¤‚à¤à¤•à¤¾à¤°, विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤•, सामाजिक मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर विचार विमरà¥à¤¶ करने वाले जब à¤à¥€ लिखने बैठते हैं तो हमारा फरà¥à¤œ बनता है कि विषय की गहराई में जरà¥à¤° जाये! इस बात को कोई à¤à¥€ नजरअंदाज नहीं कर सकता कि शराब का चाहें कम सेवन किया जाय या अधिक, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में वो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सिरà¥à¤« और सिरà¥à¤« हानि ही पहà¥à¤‚चाती है| वह न केवल वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के शारीरिक-मानसिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ को दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करती है, वरन उसके सामाजिक, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• व पारिवारिक ढांचे को à¤à¥€ तहस-नहस कर देती है| शराब कà¤à¥€ अमीरी और शान-ओ-शौकत का पेय पदारà¥à¤¥ समà¤à¤¾ जाता था और कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹ पहले तक तो मधà¥à¤¯à¤®, गरीब वरà¥à¤— में तो इसका नाम à¤à¥€ लेना अपराध जैसा था| जबकि शराब का वरà¥à¤£à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ कà¥à¤› इसी तरह किया गया कि देवता अकà¥à¤¸à¤° सोमरस का पान किया करते थे| यहाठतक की लिखने वालों ने तो समà¥à¤‚दà¥à¤° मंथन में à¤à¥€ इनके निकलने का वरà¥à¤£à¤¨ किया| कà¥à¤°à¤¾à¤¨ की जनà¥à¤¨à¤¤ में तो इसकी नदी बहती बताई जाती है| फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ में नायक का दिल टूट जाये या कोई खà¥à¤¶à¥€ की बात हो अकà¥à¤¸à¤° जाम छलकते दिखाठजाते है| à¤à¤²à¤¾ जब इतना सब कà¥à¤› बता दिया तो à¤à¤• गरीब आदमी इससे महरूम कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रहे? सà¥à¤–- दà¥à¤ƒà¤– का अहसास तो उसे à¤à¥€ होता होगा वो à¤à¥€ तो इस सोमरस के आलोकिक आनंद को पाना चाहता होगा जिसे अमीर से लेकर देवता और फरिसà¥à¤¤à¥‡ तक पाते बताये गये है? में कोई शराब का पकà¥à¤·à¤§à¤° नहीं हूठकिनà¥à¤¤à¥ देश में आजादी से लेकर à¤à¤²à¥‡ ही किसी राजà¥à¤¯ सरकार पर गाà¤à¤µ-गाà¤à¤µ सडक का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ ना हà¥à¤† हो शिकà¥à¤·à¤¾ का बà¥à¤¨à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ ढांचा à¤à¤²à¥‡ ही किसी गाà¤à¤µ में ना खड़ा हà¥à¤† हो, बिजली पानी तो बहà¥à¤¤ दूर की बात है पर आबकारी विà¤à¤¾à¤— की मेहनत की बदोलत शराब जरà¥à¤° गाà¤à¤µ-गाà¤à¤µ पहà¥à¤à¤š गयी| इसके बाद जब लोग इसके आदी हो गये तो शराबबंदी शà¥à¤°à¥‚ कर दी आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? पहले उनके हाथ में बोतल दी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ थी, जब दी तो अब छीनी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? या फिर सरकारों को अब पता चला कि यह चीज खराब और सेहत से लेकर पैसो तक का नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ करती है|
कोई बता सकता कि इतने सालों की बà¥à¤°à¥€ आदत à¤à¤• दिन में कैसे ठीक हो जाà¤à¤—ी? जो देश पिछले 69 सालों से अपने कागजी सिसà¥à¤Ÿà¤® को नहीं सà¥à¤§à¤¾à¤° पाया वो à¤à¤²à¤¾ à¤à¤• दिन में à¤à¤• गरीब, अशिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ शराब के लती को कैसे सà¥à¤§à¤¾à¤°à¥‡à¤—ा? जबकि सब जानते कि सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अकानूनी, अमरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ गैर जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ की कथा इसी देश में छपती है| अगर शराबी को शराब नहीं मिलेगी तो कà¥à¤¯à¤¾ वह नशा मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जायेगा? शायद नहीं! पहले तो वह इधर उधर तलाश करेगा इसके बाद यदि नहीं मिलेगी या जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ महंगी मिलेगी तो अनà¥à¤¯ ससà¥à¤¤à¥‡ नशे की तलाश करेगा| पिछले दिनों बिहार से ही खबर आई थी कि शराबबंदी के बाद अब नशेड़ी गांजा, à¤à¤¾à¤‚ग चरस व अफीम की लत मे फंसा हैं। मतलब शराब के आदी अब नशे के लिठदूसरे विकलà¥à¤ª ढूंà¥à¤¨à¥‡ लगे हैं।
इस बिहार चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में जब में नितीश कà¥à¤®à¤¾à¤° के सà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ के होरà¥à¤¡à¤¿à¤‚ग बेनर देखता था तो सोचता था कि जरà¥à¤° इस पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में दूध और वà¥à¤¹à¤¿à¤¸à¥à¤•à¥€ की नदियां बहती होगी दूध वाले दूध पियों और वà¥à¤¹à¤¿à¤¸à¥à¤•à¥€ के दीवाने वà¥à¤¹à¤¿à¤¸à¥à¤•à¥€| यहाठके सेठऔर साहूकार, गरीब और मजदूरों के घर पानी à¤à¤°à¤¤à¥‡ होंगे और सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ जाति के लोग दलितों पिछड़ों से अपने घरों में पूजा पाठकरातें होंगे! खैर सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ सबके सामने है और सà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ से à¤à¥€ शायद हर कोई वाकिफ हो गया होगा! अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ यह है कि इन लाशों के लिठजिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° किसको ठहराà¤? वहां के पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ को या मीडिया को? जो मीडिया देश à¤à¤° में होने वाले छोटे मोटे à¤à¤—ड़ों में अपरधियों और पीड़ितों की जाति तलाश लेती है कà¥à¤¯à¤¾ उस मीडिया को नहीं पता था कि यहाठखà¥à¤²à¤•à¤° शराब की बिकà¥à¤°à¥€ हो रही है? जबकि à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ अखबार का दफà¥à¤¤à¤° तो वहां से थोड़ी दूर पर ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और मरने वाले सà¤à¥€ लोग दलित व अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• बताये जा रहे है! हर à¤à¤• मामले को जाति और धरà¥à¤® से जोड़ने वाले नेता अब कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मौन है या आतंकवादी की तरह शराबी की à¤à¥€ जाति धरà¥à¤® नहीं होती? शायद इन गरीब शराबियों की लाशों में मसाला नहीं इस वजह से कोई कथित पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° और नेता इस मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को चखने को तैयार नहीं है|
जहरीली शराब से मौत की यह घटना जिस जगह हà¥à¤ˆ वहां से थाना और पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के बड़े अधिकारीयों के ऑफिस जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूरी पर नहीं है सारा गोपालगंज जानता था कि शराबबनà¥à¤¦à¥€ के बाद यहां धड़लà¥à¤²à¥‡ से नकली शराब बिकती है| नहीं जानता था तो सिरà¥à¤« वह पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨, जिसके अधिकांश सिपाही उसी जगह बैठकर कर शराब पीते थे| अब à¤à¤²à¥‡ ही सरकारी आंकड़े 20 के आसपास हो, लेकिन गोपालगंज के लोगों की खà¥à¤¸à¤°à¤«à¥à¤¸à¤° बता रही है कि यह आà¤à¤•à¤¡à¤¾ उससे कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है| कारण अधिकतर लोगों को पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• अमले ने कà¥à¤› इस तरह डराया कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बिना रिपोरà¥à¤Ÿ दरà¥à¤œ किये ही अपने सगो को जला दफना दिया कि कहीं शराब पीने पर मामला उलà¥à¤Ÿà¤¾ न पड़ जाà¤à¤| अब जो लोग सोचते है कि इस मामले की जाà¤à¤š होकर और सब कà¥à¤› सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हो जायेगा इसके बाद लोग शराब पीना छोड़ देंगे और ठेकेदार बेचना, तो उनका सोचना गलत होगा कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ सरकार ने शराब पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धित की थी, शराबी और ठेकेदार नहीं| वो अब à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° है, ठेकेदार बेचते रहेंगे, शराबी पीकर मरते रहेंगे, कारवाही होती रहेगी इसके बाद à¤à¥€ सरकारे बदलती रहेगी और लाशों पर सरकारी लीपापोती होती रहेगी| यदि कà¥à¤› नहीं होगा तो वो है नशे के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सरकारी सà¥à¤¤à¤° पर जागरूक अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨| कà¥à¤¯à¤¾ मातà¥à¤° बोतल और दीवार पर गंà¤à¥€à¤° चेतावनी लिख देने से देश नशा मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जायेगा| यदि हाठतो फिर नोटों पर लिख देना चाहिठकि रिशà¥à¤µà¤¤ लेना-देना क़ानूनी जà¥à¤°à¥à¤® है|
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