: Alive
: 06-12-1950
: Mandsoor, Madhya Pradesh
: D-309, Miltan Aparts, Azad Road, Juhu Loliyawada, Mumbai
: 022-6606107

Father :

Bhavaniram Sharma

       आरम‍भिक शिकषा के पश‍चात आरषगरन‍थों के अध‍ययन की रचि जागृत होने पर १९६४ में गरकल ज‍जर में परविष‍ट  à¤¹à¥¤ तत‍पश‍चात परभात आशरम (जिला-मेरठ), गरकल देवरिया तथा पाणिनि महाविदयालय वाराणसी में रहकर आपने अष‍टाध‍यायी, महाभाष‍य, निरकतादि का अध‍ययन किया। वाराणसी से शास‍तरी वं आचारय की परीकषां दीं। सन १९७७ में विकरम विश‍वविदयालय उज‍जैन (म.पर.) से म. . किया और १९८५ में राजस‍थान विश‍वविदयालय जयपर से पी-च. डी. की उपाधि पराप‍त की। सन १९८८ से आप पनरवस आयरवेद महाविदयालय मम‍बई में संस‍कृत के व‍याख‍याता रहे।

      आप के हृदय में आरय समाज के लि क विशेष तड़प है। व‍याख‍यान वं लेखन दवारा आप वैदिक धरम के परचार-परसार में संलग‍न रहते हैं। साधारण आरयों को सिदधान‍त-जञान के लि आप अनेक वरष से पतराचार-पाठयकरम चला रहे हैं। आपका वाणी तथा लेखनी पर समान अधिकार है।

      आरष पाठविधि के परति आपकी विशेष शरदधा है। आप परतिवरष अपनी ओर से, आरष-पाठविधि की सेवा में लगे क विदवान का ११०००/-से सम‍मान भी करते हैं। विदवतता के साथ-साथ आप सरल, सातत‍विक वं शरदधाल हैं।

      आपने सरल संस‍कृत-शिकषक, स‍वरसिदधान‍त, शंकर सन‍देश, समृति-सन‍देश, सत‍यारथ-सन‍देश, गीता-सन‍देश, दरशन-सन‍देश‍, रामायण-सन‍देश, वैदिक-सन‍देश, ऋग‍वेदादि-सन‍देश, पूना-परवचन-सार, शरीराम, श‍याम जी कृष‍णवरमा का जीवन आदि पस‍तकें लिखकर परकाशित कराई हैं। निष‍काम  परिवरतन पतरिका के सम‍पादक रहे ।

      आप परोपकारी-सभा अजमेर के सदस‍य वं आरयसमाज सान‍ताकरज मम‍बई के परधान रहे ।