Dr. Somdev Shastri

Father :
Bhavaniram Sharma

आरमà¤à¤¿à¤• शिकषा के पशचात आरषगरनथों के अधययन की रचि जागृत होने पर १९६४ में गरकल जजर में परविषट ह। ततपशचात परà¤à¤¾à¤¤ आशरम (जिला-मेरठ), गरकल देवरिया तथा पाणिनि महाविदयालय वाराणसी में रहकर आपने अषटाधयायी, महाà¤à¤¾à¤·à¤¯, निरकतादि का अधययन किया। वाराणसी से शासतरी वं आचारय की परीकषां दीं। सन १९à¥à¥ में विकरम विशवविदयालय उजजैन (म.पर.) से म. . किया और १९८५ में राजसथान विशवविदयालय जयपर से पी-च. डी. की उपाधि परापत की। सन १९८८ से आप पनरवस आयरवेद महाविदयालय ममबई में संसकृत के वयाखयाता रहे।
आप के हृदय में आरय समाज के लि क विशेष तड़प है। वयाखयान वं लेखन दवारा आप वैदिक धरम के परचार-परसार में संलगन रहते हैं। साधारण आरयों को सिदधानत-जञान के लि आप अनेक वरष से पतराचार-पाठयकरम चला रहे हैं। आपका वाणी तथा लेखनी पर समान अधिकार है।
आरष पाठविधि के परति आपकी विशेष शरदधा है। आप परतिवरष अपनी ओर से, आरष-पाठविधि की सेवा में लगे क विदवान का ११०००/-से सममान à¤à¥€ करते हैं। विदवतता के साथ-साथ आप सरल, साततविक वं शरदधाल हैं।
आपने सरल संसकृत-शिकषक, सवरसिदधानत, शंकर सनदेश, समृति-सनदेश, सतयारथ-सनदेश, गीता-सनदेश, दरशन-सनदेश, रामायण-सनदेश, वैदिक-सनदेश, ऋगवेदादि-सनदेश, पूना-परवचन-सार, शरीराम, शयाम जी कृषणवरमा का जीवन आदि पसतकें लिखकर परकाशित कराई हैं। ‘निषकाम परिवरतन’ पतरिका के समपादक रहे ।
आप परोपकारी-सà¤à¤¾ अजमेर के सदसय वं आरयसमाज सानताकरज ममबई के परधान रहे ।