Pt Indra Vidhyavachaspati

Father :
Lala Munshiram

Mother :
Shiv Devi

गरकल कांगड़ी के संसथापक सवामी शरदधाननद जी के दवितीय पतर पं. इनदर का जनम 7 नवमबर 1889 (1946 वि.) को जालनधर में हआ। उनकी माता का नाम शिवदेवी था। गरकल कांगड़ी के आरमठहोते ही उनके पिता महातमा मनशीराम ने इनदरजी को इसमें परविषट करा दिया। गंगा किनारे कांगड़ी गराम में गरकल की विधिवत चलाने के पूरव परारमà¤à¤¿à¤• ककषा गरकल गजरांवाला मे सथापित की गई थीं। इनदरजी का परवेश à¤à¥€ यहीं हआ। 1912 में पं. इनदर अपने अगरज हरिशचनदर के साथ गरकल कांगड़ी के परथम सनातक बने और ‘वेदालंकार’ तथा ‘विदयावाचसपति’ की उपाधिया गरहण कीं। कछ काल तक गरकल में ही अधयापन करने के अननतर वे इसी संसथा के मखयाधिषठाता, उपकलपति तथा कलपति à¤à¥€ रहे। हिनदी पतरकारिता में उनका योगदान तिहासिक रहा और उनहोंने विà¤à¤¿à¤¨à¤¨ पतरों का समपादन किया। वे देश की सवतनतरता के आनदोलन में à¤à¥€ à¤à¤¾à¤— लेते रहे तथा अनेक बार कारावास का दणड à¤à¥‹à¤—ा। देश के सवतनतर होने पर उनहें राजयसà¤à¤¾ का सदसय मनोनीत किया गया। 23 अगसत 1960 को दिलली में उनका निधन हो गया। यहा उनके आरयसमाज से समबनधित साहितय का ही उललेख किया जा रहा है।
ले. का.-उपनिषदों की à¤à¥‚मिका, वैदिक ईशवरवाद (पं. गंगापरसाद जज, पं. शरीपाद दामोदर सातवलेकर तथा पं. घासीराम के निबनधों का समपादित संगरह, 1916)। आरयसमाज का इतिहास (सवामी शरदधाननद की परेरणा से लिखित परथम खणड-1981 वि.), आरयसमाज का इतिहास परिवरधित दो खणड (1956-57), ईशोपनिषद à¤à¤¾à¤·à¤¯ (2013 वि.), गरकल शिकषा-परणाली के मूल ततव, अधयातम रोगों की चिकितसा, राषटरीयता का मूल मनतर (1914), महरषि दयाननद जीवन चरित (1945) विजय पसतक à¤à¤£à¤¡à¤¾à¤°, गोविनदराम, हासाननद तथा सबोध पाकेट बकस में परकाशित, मेरे पिता (सवामी शरदधाननद के संसमरण 1957), à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥‡à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸: 30 अधयायों में संसकृत का तिहासिक कावय-1970, सवराजय संगराम में आरयसमाज का à¤à¤¾à¤—।