Vedic Vatsalya Dham completed in tribal area of Gujarat

25 Feb 2018
Gujarat, India
आर्य समाज नेत्रंग

आर्य समाज नेत्रंग द्वारा संचालित आदिवासी पछात वर्ग विकास मण्डल द्वारा भरूच जिले के नेत्रंग गांव में 25 फरवरी 2018 को आयोजित ‘‘वैदिक वात्सल्य धाम’’ का शिलान्यास गुजरात के विधायक श्री महेश भाई वसावा तथा सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान श्री सुरेशचन्द्र आर्य के करकमलों द्वारा किया गया। समारोह में भवानीपुर, कच्छ से स्वामी शान्तानन्द सरस्वती, दर्शनयोग महाविद्यालय, रोजड़ के आचार्य दिनेश जी तथा भटार रोड सूरत से योग शिक्षक श्री उमाशंक आर्य भी उपस्थित थे। गुजरात प्रान्तीय आर्य प्रतिनिधि सभा के महामंत्री श्री हंसमुखभाई परमार, उपप्रधान श्री रणजीत सिंह तथा जामनगर, आणंद, बड़ौदा, सूरत, भरूच, बेसना आदि आर्यसमाजों के पदाधिकारी व सदस्यगण भी इस कार्यक्रम में भारी संख्या में उपस्थित हुए।

कार्यक्रम में गुजरात के विधायक श्री महेश भाई वसाना ने कहा कि मैं खुद को बड़ा सौभाग्यशाली मानता हूं कि ‘मुझे इस प्रकल्प का शिलान्यास करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। मैं उन सभी महानुभावों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने बड़े पुरुषार्थ से इस प्रकल्प का आयोजन किया है। मैं मानता हूं कि सभी के सहयोग से यहां बहुत जल्द विशाल भवन साकार हो जाएगा और स्थानीय आदिवासी गरीब लोगों को अन्न, वस्त्र, निवास और उत्तम शिक्षा प्राप्त होगी। हम सब  मिलकर ऐसा प्रयास करें जिससे यहां के लोग श्रेष्ठ मानव बनें, जात-पांत के भेदभाव से ऊपर उठें तथा उत्तम शिक्षा ग्रहण करके अच्छी रोजगारी प्राप्त करें।’

श्री सुरेश चन्द्र अग्रवाल प्रधान सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, दिल्ली ने इस पवित्र भूमि को 40 वर्ष से सुरक्षित रखने वाले वयोवृ( श्री केसरी सिंह को नमन करते हुए कहा कि ‘जिस प्रकल्प का आज शिलान्यास हुआ है वह इन्हीं महानुभाव की बदौलत सम्पन्न हो सका है। उन्होंने कहा ‘‘भारत के समस्त आदिवासी तथा वनवासी क्षेत्रों में स्थिति बड़ी भयावह तथा विस्फोटक बनी हुई है। ईसाई मिशनरी तरह-तरह के प्रलोभन देकर निरन्तर धर्म परिवर्तन में लगी हुई है। रोटी, कपड़ा, मकान, चिकित्सा और शिक्षा के अभावों से त्रस्त व्यक्ति को धर्म से कोई लेना-देना नहीं होता उसे तो पेट भरने के लिए रोटी चाहिए, तन ढंकने के लिए कपड़ा और रहने के लिए छत चाहिए। इलाज के लिए और पढाई के लिए अस्पताल और स्कूल चाहिए। दुर्भाग्य है कि आदिवासी क्षेत्रों में हम यह सुविधाएं आवश्यकतानुसार उपलब्ध नहीं करा सके हैं जिसका परिणाम आज हम अपनी आंखों से देख रहे हैं। लेकिन निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब जागो तभी सबेरा।’ श्री आर्य ने आगे बताया कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा तथा पूर्वाचंल के आदिवासी क्षेत्रों में आर्य समाज द्वारा काफी कार्य किये जा रहे हैं। गुजरात के इस आदिवासी क्षेत्र पछात वर्ग विकास मण्डल के जिन पदाधिकारियों तथा समर्पित कार्यकर्त्ताओं ने यह साहसिक कदम उठाया है उसके लिये मैं उन सभी का हृदय से अभिनन्दन करता हूं तथा आश्वासन देता हूं कि आपने जो साहसिक कदम उठाया है उसमें आप निश्चित रूप से सफल होंगे। गुजरात की सभी आर्य समाजें आपके इस भागीरथी कार्य में आपके साथ हैं। उपस्थित विद्वानों के आशीर्वचनों के पश्चात् कार्यक्रम सहभोज के साथ सम्पन्न हुआ।

 

-संयोजक 

 

 

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