: Grihasth
: Married
: Alive
: 10-10-1933
: Lidi, Ajmer, Rajasthan
: ई-१, सैक��टर- ३०, नो�डा-२०१३०१ (उ. प�र.)
: (०१२०)-४४५१७८९

Father :

Shri Onkar Singh Arya

Mother :

Shrimati Sugani Bai

Spouse :

शरीमती समितरा

      आरम‍भिक शिकषा लीडी में होने के पश‍चात सन १९४३ में स‍वामी वरतानन‍द जी के गरकल चिततौड़गढ़ में परवेश लिया। यहा आपने निरन‍तर १४ वरष तक पाणिनीय व‍याकरण (महाभाष‍य-परयन‍त), निरक‍त, छन‍द, दरशन वं वेदादि शास‍तरों की आरष विदया का अध‍ययन किया और वेदवागीश की उपाधि पराप‍त की। आपके परमख गरकल पं. शोभित मिशर, पं. शंकरदेव जी, पं. भीमसेन जी आदि थे। गरकलीय शिकषा के पश‍चात आपने म. . आदि की राजकीय परीकषां उततीरण कीं।

      १९६३ में शरीमती समितरा जी से विवाह हआ। आपके शरतिधर और उदयन दो पतर हैं। आपने विभिन‍न शिकषण-संस‍थाओं में अध‍यापन कारय किया। साथ ही जिजञास छातरों को अष‍टाध‍यायी-महाभाषय की पदधतिसे पढ़ानेकी परकरिया सतत बनी रही। कल काल तक परोपकारिणी सभा में ऋषि दयानन‍द के गरन‍थों के संशोधन वं सम‍पादन का दायित‍व भी सम‍भाला।

      आप संस‍कृतव‍याकरण के परौढ़ विदवानवं उततम वकता है। आजकल आप स‍वतन‍तर रूप से धरमोपदेश तथा संस‍कारदि कृत‍य करते कराते हैं। आचारय निरञजनदेव (शंकराचारय) आदि से आपके अनेक शास‍तरारथ ह।

      आपने नामनिधि, अन‍त‍येष‍टि संस‍कार, पाणिनीय शब‍दानशासनम, दयानन‍द वेदभाष‍य-भावारथपरकाश (दो खण‍ड), बदधिनिधि, दयानन‍द-दृष‍टान‍तनिधि, सूकतिनिधि, भकति-सत‍संग-कीरतन, वेदसाहाययनिधि आदि गरन‍थ लिखें हैं। आपने अनेक महतत‍वपूरण गरन‍थों का सम‍पादन भी किया है।