Swami Samarpananand Saraswati
Father :
Pandit Ram Chand
Mother :
Shrimati Yasho Devi
Spouse :
Shrimati Shushila Devi
आप आरयजगत के परसिदध वैदिक विदवान के रूप में विखयात हैं। इनके पूजय पिता ने इनहें सवामी शरदधाननद के चरणों में समरपित कर दिया आप बहत मेधावी थे। चौदह वरष तक आपने सवामी शरदधाननद जी के छतरछाया में रहकर वैदिकसाहितय का गहन अधययन किया। पं. शालगराम जी से साहितय और पं. सूरयदेवजी से ‘शतपथ बराहमण’पढ़े। वे सवामी दयाननद को अपना गर मानते थे। आप संसकृत मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ की तरह बोल व लिख सकते थे वं आंगलà¤à¤¾à¤·à¤¾ पर à¤à¥€ पूरा अधिकार था।
क परगलठविदवान होने के साथ-साथ आप क बहत अचछे ओजसवी वकता वं रहसयोदधाटक लेखक à¤à¥€ थे। कवितव शकति वं अलौकिक परतिà¤à¤¾à¤¨à¥‡ आपके आरयजगत में ही नहीं अपित à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¤· के विदवनमणडल में चमक रखा था।
आपने à¤à¤¾à¤·à¤£à¥‹à¤‚, शासतरारथों वं वैदिक साहितय के लेखन दवाराआरयजगत की बहत बड़ी सेवा की। वैदिक जगतआपके परà¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ वयकतितव से संसार में गौरवानवित हआ।
आप उचचकोटि के लेखक वं ओजसवी वकता होने के साथ-साथ सवामी दयाननद जी दवारा परतिपादित वैदिक सिदधातों के परति अटूट निषठावान तथा वैदिक आदरशों पर पूरी तरह से चलने वाले थे। आपने वरणाशरम वयवसथा के अनरूप ही विधिवत, बरहमचारयाशरम, गृहसथाशरम, वानपरसथाशरम और संनयासाशरम की करमश: दीकषा ली। अनेक महततवपूरण गरनथ रतन आपने संसार को दिये। पूजय सवामी जी ने गरकल परà¤à¤¾à¤¤ आशरम मेरठकी सथापना की।