Professor Satyvrat Siddhantalankar
Father :
Pandit Lal Ram
Mother :
Ishwari Devi
Spouse :
Chandravati
जिस समय सतयवरत जी का जनम हआ। उस समय पंजाब में आरयसमाज की विचारधारा का शिखर यग था। जिस समय उनका गरकल में परवेश हआ, परथम ककषा से दशम ककषा तक उनकी सतरह वरष का वय हो चका था। पिता की मृतय के बाद दश रूपये मासिक की वयवसथा à¤à¥€ नही हो पाने से वे गरकल छोड़ने वाले थे। किनत महातमा मंशीराम ने ‘पतर तम लौट आओ, तमसे कोई फीस नही ली जायेगी’’ कहकर बला लिया। उस सनेह का ऋण आचारय सतयवरत सिदधानतालंकार के जीवन à¤à¤° तक बना ही रहा।
पं. सतयवरत लिखने पढ़ने में परतिà¤à¤¾à¤¶à¤¾à¤²à¥€ थे, उनहोंने महाविदयालय में पढ़ते ह क शबदकोश तैयार किया था। जिसमें अनेक शबदों के सामने ततसम शबदो का निरमाण किया था। अंगरेजी के अनेक शबदों के साथ उनकी जनमदाता धातओं को लिखा। जब वे गरकल के सनातक बने, तो उसके पशचात गरकल में ही उपाधयाय के रूप में नियकत हो गये। उनहोंने सरवपरथम सरवधरम सममलेन में गजरांवाला में ‘वेद ईशवरीय जञान है’ इस विषय पर परथम शासतरारथ किया।
सनातक हो जाने के बाद सरवपरथम बाहर पूना में गये। वहा उपदेशक के रूप में काम करने लगे। पन: गरकल वापस आकर अनेक दायितव संà¤à¤¾à¤²à¤¾à¥¤