: Kamajit
: Brahmcharya
: Single
: Alive
: 01-10-1961
: Akupur, Jhajjar, Haryana
: Shrimad Dayanand Kanya Gurukul, Chotipura

Father :

Shri Rajendra Singh

Mother :

Smt. Ved Kaur

      à¤†à¤ªà¤•à¥€ आरम‍भिक शिकषा घर पर ही हई। ८ वरष की आपका कन‍या-गरकल नरेला (दिल‍ली) में परवेश हआ। वहा से आपने शरीमददयानन‍दारष विदयापीठ ज‍जर की शास‍तरी व‍याकरणाचारय वं वेदाचारय की परीकषां उततीरण की। सन १९८२ में गरकल कांगड़ी विश‍वविदयालय हरिदवार से म.. (संस‍कृत) किया। सन १९८७ में महरषि दयानन‍द के वेदभाष‍य के परिपरेकष‍य में वैदिक इन‍दर देवता विषय पर पी. च. डी. की उपाधि पराप‍त की, जिसका परकाशन सन १९९९ में कसमलता आरय परतिष‍ठान साहिबाबाद दवारा हआ।

      कन‍या गरकल नरेला में आपने अनेक वरषों तक सयोग‍य वं सफल शिकषिका के रूप में आपने अनेक वरषों तक उच‍च शरेणी की छातराओं को शिकषित किया। वहीं पर छातरा वाग‍वरदधिनी सभा की मंनतरी वं पस‍तकालयाध‍यकषा भी रहीं।

      गरकल-शिकषा काल में डाले गये ससंस‍कारों को मूरततरूप देने के लि आपने आजीवन बरहमचरय वरत धारण कर विदया संबंधिनी बहिन समेधा जी के साथ मिलकर गरकल-पदधति के उत‍थान को अपने जीवन का परमख लकष‍य बनाया तथा १९८८ में उततरपरदेश के ज‍योतिबा फलेनगर जिले के चोटीपरा गराम में शरीमददयानन‍द कन‍या गरकल का शभारम‍भ किया। संपरति दिनरात गरकल की सेवा ही आपका परमख कारयकषेतर है आप यथावसर विभिन‍न कषेतरों में वैदिक-संस‍कृति के परचारारथ भी जाती रहती हैं।

      आपके व‍यक‍तित‍व और करततृत‍व से परभावित होकर विकरम परतिष‍ठान मानव सेवा परतिष‍ठान दिल‍ली आदि संस‍थाओं ने हृदय से सम‍मानित किया है।