: Sanyas
: Single
: Dead
: 10-06-1918
: 15-05-2003
: Delhi

 à¤†à¤šà¤¾à¤°à¤¯ कृष‍ण आरम‍भिक शिकषा के पश‍चात उपदेशक विदयालय लाहौर में परवेश लिया। आपके परमख गर पं बदधदेव विदयालंकार (स‍वामी समरपणानन‍द) थे। कछ दिनों तक आप गरकल भटिण‍डा में आचारय पद पर रहे। संन‍यास गरहण करने से पूरव आप आचारय कृष‍ण के नाम से जाने जाते थे। आचारय कृष‍ण ने १९७५ में आरयसमाज के शताब‍दी समारोह में स‍वामी सत‍यपरकाश जी से संन‍यास की दीकषा ली। संपतति समरपण शोध संसथान दवारा बहत से महतत‍वपूरण गरनथों का परकाशित हो रहे हैं।

      आपके दवारा लिखित परमख गरन‍थ मृत‍यञजय सरवस‍थ, उपनयन-सरवस‍व, अग‍निहोतर सरवस‍व, उपहार सरवस‍व, A Loving Token वाल‍मीकि के परषोततम राम आदि हैं। इनके अतिरिक‍त आपने समरपण शोध संस‍थान के माध‍यम से दरजनों पस‍तकों का संपादन वं परकाशन किया है। आपने देश के विभिन‍न परान‍तों में वैदिकधरम के परचार-परसार के वं सारगरभित ढंग से यजञ संपन‍न कराने के साथ-साथ, मॉरिशस, दकषिण-अफरीका, डरबन, नैरोबी, केनया, पूरवी अफरीका आदि देशों में जाकर वेद-परचार की दन‍दभि बजायी। आप परभावपूरण अदवितीय वैदिक परवक‍ता हैं। अपनी बात को शरोता के हृदय में बिठा देते है। (२६-२८ फरवरी २००० में सत‍यारथपरकाश न‍यास, उदयपर (राज.) के वारषिकोत‍सव पर आपको ३१ लाख र. की राशि से सम‍मानित किया गया। वह राशि आपने उक‍त न‍यास को ही समरपित कर दी। आप याजञिक विश‍लेषण में बड़े कशल और यशस‍वी ह।