Swami Dikshanand Saraswati

आचारय कृषण आरमà¤à¤¿à¤• शिकषा के पशचात उपदेशक विदयालय लाहौर में परवेश लिया। आपके परमख गर पं बदधदेव विदयालंकार (सवामी समरपणाननद) थे। कछ दिनों तक आप गरकल à¤à¤Ÿà¤¿à¤£à¤¡à¤¾ में आचारय पद पर रहे। संनयास गरहण करने से पूरव आप आचारय कृषण के नाम से जाने जाते थे। आचारय कृषण ने १९à¥à¥« में आरयसमाज के शताबदी समारोह में सवामी सतयपरकाश जी से संनयास की दीकषा ली। संपतति समरपण शोध संसथान दवारा बहत से महततवपूरण गरनथों का परकाशित हो रहे हैं।
आपके दवारा लिखित परमख गरनथ मृतयञजय सरवसथ, उपनयन-सरवसव, अगनिहोतर सरवसव, उपहार सरवसव, A Loving Token वालमीकि के परषोततम राम आदि हैं। इनके अतिरिकत आपने समरपण शोध संसथान के माधयम से दरजनों पसतकों का संपादन वं परकाशन किया है। आपने देश के विà¤à¤¿à¤¨à¤¨ परानतों में वैदिकधरम के परचार-परसार के वं सारगरà¤à¤¿à¤¤ ढंग से यजञ संपनन कराने के साथ-साथ, मॉरिशस, दकषिण-अफरीका, डरबन, नैरोबी, केनया, पूरवी अफरीका आदि देशों में जाकर वेद-परचार की दनदà¤à¤¿ बजायी। आप परà¤à¤¾à¤µà¤ªà¥‚रण अदवितीय वैदिक परवकता हैं। अपनी बात को शरोता के हृदय में बिठा देते है। (२६-२८ फरवरी २००० में सतयारथपरकाश नयास, उदयपर (राज.) के वारषिकोतसव पर आपको ३१ लाख र. की राशि से सममानित किया गया। वह राशि आपने उकत नयास को ही समरपित कर दी। आप याजञिक विशलेषण में बड़े कशल और यशसवी ह।