Swami Vidhyanand Sarswati

Spouse :
Shrimati Shakuntala Devi

आरयसमाज के परखयात विदवान, लेखक, विचारक तथा शिकषाशासतरी सवामी विदयाननद सरसवती ने सन १९४४ में ‘आरयकेनदरीय सà¤à¤¾ दिलली’ की सथापना की तथा समसत आरयसमाजों को क सूतर में पिरोया। सन १९५६ तक आप इस संसथा के मंतरी रहे। बाद में à¤à¥€ अनेक वरषों तक उपपरधान वं अनतरंग सदसय रहे। सन १९४ॠसे १९५२ तक आप सारवदेशिक आरयपरतिनिधि सà¤à¤¾ के संयकत मनतरी रहे। इसी परकार आप आरयपरतिनिधि सà¤à¤¾ उततरपरदेश, पंजाब तथा हरियाणा की अनतरंग सà¤à¤¾à¤“ं के सदसय à¤à¥€ रहे।
आरयसमाज दवारा समय-समय पर चलाये गये आनदोलनों में à¤à¥€ आपने à¤à¤¾à¤— लिया। सन १९३९ में आपने हैदराबाद सतयागरह में à¤à¤¾à¤— लेने के लि सेवा से तयागपतर दिया और विवाह को सथगित कर सतयागरह में à¤à¤¾à¤— लिया तथा कारावास की यातनां सहन की। सन १९४४ में ‘सतयारथपरकाश रकषा समिति’ दिलली के मनतरी निरवाचित ह। १९५६ में पंजाब में चलाये गये, हिनदी-रकषा आनदोलन के संचालनारथ नियकत ‘केनदरीय संघरष समिति’ तथा ‘पंजाब-हिनदी-रकषा समिति के आप सकरिय सदसय रहे।