Acharya Ramnath Vedalankar

Father :
Mahashay Lala Gopalram

डॉ. रामनाथ वेदालंकार अपनी विदवतता से महान यशसवी बने। सौमयमूरतति, सामवेद à¤à¤¾à¤·à¤¯à¤•रतता, विदयामारततणड अनेक परसकारों से परसकृत, पैतृक आरय थे। आप परारमठसे ही मेधावी वं परतिà¤à¤¾ संपनन छातर थे। अपनी असाधारण योगयता से आपने गरजनों का मन मोह रखा था न केवल अधययन में, वरन लेखन और à¤à¤¾à¤·à¤£à¤¾à¤¦à¤¿ में à¤à¥€ आपकी विशेष रचि थी। आप सरवथा निरà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ और सरल वयकतितव के धनी थे।
आपको परारमठसे ही वेदों के परति अगाध शरदधा तथा वैदिक विषयों पर शोध करने में रचि थी। अत: आपने पी.च.डी. उपाधि के लि शोध का विषय ‘’वेदोंकी वरणन शैलियां’’ चना और आगरा विशवविदयालय से उपाधि परापत की।
१९६६ में आपने डी..वी. कालेज देहरादून में संसकृत-विà¤à¤¾à¤—ाधयकष डॉ. धरमेनदरनाथ जी शासतरी के निरदेशन में शोधपूरण परबनध परसतत करके पी.च.डी. की उपाधि परापत की। डॉ. मंगलदेव शासतरी, पं. धरमदेव विदयामारतणड, आचारय परियवरत वेदवाचसपति आदि विदवानों ने आपके शोध-परबनध को आदयोपानत देखा और आपकी à¤à¥‚रि-à¤à¥‚रि परशंसा की।
आपका विशदध साततविक जीवन, सरल वयवहार, मितà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤à¤¾, माधरय, विशदध बराहमणव़तति से वेदों का गमà¤à¥€à¤° अनशीलनवं विशिषट अधययन शैली अनकरणीय है। आपके नाम के आगे आचारय पद वसतत: सारथक है। विदवजजगत आपसे गौरवानवित हो गया। आपके दवारा सरल, सबोध परवाहदयी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में लिखी ‘वेदमंजरी’ à¤à¤•ति की धारा बहा रही है।