: Grihasth
: Married
: Dead
: 07-07-1914
: Faridpur, Bareli, Uttar Pradesh
: 08-04-2013
: Ved Mandir, Geeta Ashram, Jawalapur
: Natural

Father :

Mahashay Lala Gopalram

 à¤¡à¥‰. रामनाथ वेदालंकार अपनी विदवतता से महान यशस‍वी बने। सौम‍यमूरतति, सामवेद भाष‍यकरतता, विदयामारततण‍ड अनेक परस‍कारों से परस‍कृत, पैतृक आरय थे। आप परारम‍भ से ही मेधावी वं परतिभा संपन‍न छातर थे। अपनी असाधारण योग‍यता से आपने गरजनों का मन मोह रखा था न केवल अध‍ययन में, वरन लेखन और भाषणादि में भी आपकी विशेष रचि थी। आप सरवथा निरभिमान और सरल व‍यक‍तित‍व के धनी थे।

      आपको परारम‍भ से ही वेदों के परति अगाध शरदधा तथा वैदिक विषयों पर शोध करने में रचि थी। अत: आपने पी.च.डी. उपाधि के लि शोध का विषय ‘’वेदोंकी वरणन शैलियां’’ चना और आगरा विश‍वविदयालय से उपाधि पराप‍त की।

      १९६६ में आपने डी..वी. कालेज देहरादून में संस‍कृत-विभागाध‍यकष डॉ. धरमेन‍दरनाथ जी शास‍तरी के निरदेशन में शोधपूरण परबन‍ध परस‍तत करके पी.च.डी. की उपाधि पराप‍त की। डॉ. मंगलदेव शास‍तरी, पं. धरमदेव विदयामारतण‍ड, आचारय परियवरत वेदवाचस‍पति आदि विदवानों ने आपके शोध-परबन‍ध को आदयोपान‍त देखा और आपकी भूरि-भूरि परशंसा की।

      आपका विशदध सातत‍विक जीवन, सरल व‍यवहार, मितभाषिता, माधरय, विशदध बराहमणव़तति से वेदों का गम‍भीर अनशीलनवं विशिष‍ट अध‍ययन शैली अनकरणीय है। आपके नाम के आगे आचारय पद वस‍तत: सारथक है। विदवज‍जगत आपसे गौरवान‍वित हो गया। आपके दवारा सरल, सबोध परवाहदयी भाषा में लिखी वेदमंजरी भक‍ति  की धारा बहा रही है। 


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