Acharya Ramdev

Father :
Lala Chandulal

गरकल कांगड़ी विशवविदयालय के यशसवी आचारय कनया गरकल देहरादून के संसथापक, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास के मरमजञ विदवान, परà¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤£à¤•रतता, तयागी वं तपसवी, ओजसवी वयकतितववान आचारय रामदेव का जनम संवत १९३८ व निधन संवत १९९६ में हआ। वसतत: गरकल रूपी महायजञ में जिन महानà¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ ने अपने जीवन की पवितर आहति परदान की उनमें परात:समरणीय कलपिता सवामी शरदधाननद जी के बाद दूसरा सथान आचारय रामदेव जी का ही है।
वे सन १९०५ में गरकल आ थे और गरकल ही नही, अपित आरयसमाज के à¤à¥€ पराण बन ग। क अंगरेजी पराधयापक से मखयाधयापक, उपाचारय, आचारय वं मखयाधिषठाता के पदों को उनहोंने गौरवानवित किया। गरकलीय इतिहास के अनसार वे गरकल के वरतमान सवरूप के शिलपकार थे।
आचारय जी आंगलà¤à¤¾à¤·à¤¾ (अंगरेजी) के तो परकाणड पणडित थे ही, विदेशों तक में उनके पाणडितय की धाक थी बड़े-बड़े अंगरेजी जानने वालेउ नके जञान के आगे अवाक रह जाते थे। यह सब होते ह à¤à¥€ गरकल की रीति नीतियों का संपादन करने में उनहोंने अपना बहमूलय योगदान दिया। पठन पाठन की वयवसथा को सनदर सथिति परदान की। वरतमान गरकल तो उनके तप का परिशरम का जीता जागता उदाहरण है। गरकल के उददेशयों, सिदधानतों और इसके परचार-परसार के लि, उनहोंने जो अथक परिशरम किया, उसका गणगान करें तो पनने के पनने à¤à¤° जा। धनय थे वे आचारय गरव और सौà¤à¤¾à¤—य की बात है कि कनया गरकल देहरादून का संचालन उनकी सपतरी आचारया दमयनती जी करती रहीं।