: Married
: Dead
: 31-07-1881
: Gram Bajvada District Hoshiyarpur
: 09-12-1939
: Kanya Gurukul Dehradun

Father :

Lala Chandulal

 à¤—रकल कांगड़ी विश‍वविदयालय के यशस‍वी आचारय कन‍या गरकल देहरादून के संस‍थापक, à¤­à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास के मरमजञ विदवान, à¤ªà¤°à¤­à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ भाषणकरतता, à¤¤‍यागी वं तपस‍वी, à¤“जस‍वी व‍यक‍तित‍ववान आचारय रामदेव का जन‍म संवत १९३८ व निधन संवत १९९६ में हआ। वस‍तत: गरकल रूपी महायजञ में जिन महानभावों ने अपने जीवन की पवितर आहति परदान की उनमें परात:स‍मरणीय कलपिता स‍वामी शरदधानन‍द जी के बाद दूसरा स‍थान आचारय रामदेव जी का ही है।  

      वे सन १९०५ में गरकल आ थे और गरकल ही नही, à¤…पित आरयसमाज के भी पराण बन ग। क अंगरेजी पराध‍यापक से मख‍याध‍यापक, à¤‰à¤ªà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¤¯, à¤†à¤šà¤¾à¤°à¤¯ वं मख‍याधिष‍ठाता के पदों को उन‍होंने गौरवान‍वित किया। गरकलीय इतिहास के अनसार वे गरकल के वरतमान स‍वरूप के शिल‍पकार थे।

      आचारय जी आंग‍लभाषा (अंगरेजी) के तो परकाण‍ड पण‍डित थे ही, à¤µà¤¿à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ तक में उनके पाण‍डित‍य की धाक थी बड़े-बड़े अंगरेजी जानने वालेउ नके जञान के आगे अवाक रह जाते थे। यह सब होते ह भी गरकल की रीति नीतियों का संपादन करने में उन‍होंने अपना बहमूल‍य योगदान दिया। पठन पाठन की व‍यवस‍था को सन‍दर स‍थिति परदान की। वरतमान गरकल तो उनके तप का परिशरम का जीता जागता उदाहरण है। गरकल के उददेश‍यों, à¤¸à¤¿à¤¦à¤§à¤¾à¤¨‍तों और इसके परचार-परसार के लि, à¤‰à¤¨‍होंने जो अथक परिशरम किया, à¤‰à¤¸à¤•à¤¾ गणगान करें तो पन‍ने के पन‍ने भर जा। धन‍य थे वे आचारय गरव और सौभाग‍य की बात है कि कन‍या गरकल देहरादून का संचालन उनकी सपतरी आचारया दमयन‍ती जी करती रहीं।