‘सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ और ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¸à¤¨à¤¾â€™
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Manmohan Kumar AryaDate
26-Dec-2016Category
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26-Dec-2016Download PDF
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आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हैं जिनके पास सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ उपलबà¥à¤˜ हैं
सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ का ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¸à¤¨à¤¾ से कà¥à¤¯à¤¾ कोई समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है? इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पर विचार करना आवशà¥à¤¯à¤• है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जीवन से इसका गहरा समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है। पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मतों के लोग ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ करते हैं परनà¥à¤¤à¥ सदà¥à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से पृथक रहते हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ परिवार व अनà¥à¤¯à¤¤à¥à¤° जो उपासना बता दी जाती है, उसी को वह अपना लेते हैं। इन बनà¥à¤§à¥à¤“ं में अपनी कोई ऊहा व चिनà¥à¤¤à¤¨ नहीं होता कि वह जो करते हैं वह उचित है या नहीं? विगत à¤à¤• दो दशकों में देश में अनेक नये मत उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ हैं। बहà¥à¤¤ से मत पहले से à¤à¥€ हैं। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में नये नये मतों की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का कà¥à¤°à¤® जारी है और आगे à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही चलता रहेगा। सà¤à¥€ मतों में कà¥à¤› पदà¥à¤§à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ समान हैं और कà¥à¤› में परसà¥à¤ªà¤° अनà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ हैं। सà¤à¥€ में यह परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि उनके गà¥à¤°à¥ जी ने जो कह दिया अथवा दो चार पीà¥à¥€ से जो होता आ रहा है, वही ठीक है, उसे बदला नहीं जा सकता। à¤à¤¸à¥‡ बनà¥à¤§à¥à¤“ं में अपना विवेक नहीं होता कि वह उपासना जैसे विषय में अपनी कोई सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° राय व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कर सकें। हमें लगता है कि à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सà¥à¤§à¤¾à¤° होना कठिन है। यदि मूल में जाते हैं तो इसका कारण इन बनà¥à¤§à¥à¤“ं की अविदà¥à¤¯à¤¾ तो सिदà¥à¤§ होती ही है, इसके साथ ही इनके मतों के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की अविदà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ सिदà¥à¤§ होती है। यदि सबकी अविदà¥à¤¯à¤¾ दूर हो जाये तो फिर à¤à¤• उपासना पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ करने में कठिनाई नहीं होगी। मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ यही है कि उपासना विषयक अविदà¥à¤¯à¤¾ को किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° दूर किया जाये?
अविदà¥à¤¯à¤¾ को सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के नाम से जाना जाता है। अविदà¥à¤¯à¤¾ को दूर करने के लिठसबसे आवशà¥à¤¯à¤• गà¥à¤£ यह है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होना चाहिये। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ यह मान बैठा है कि वह जो कर रहा है वह ठीक है तो फिर à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¤¾ कठिन है। अविदà¥à¤¯à¤¾ व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ दूर करने का सबसे सरल व सारà¥à¤¥à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ उपाय किसी वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ से उपदेश गà¥à¤°à¤¹à¤£ करना है à¤à¤µà¤‚ सदà¥à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करना है। पहला कारà¥à¤¯ तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ को पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होना होगा। दूसरा कारà¥à¤¯ यह करना है कि उसे वेद व वैदिक साहितà¥à¤¯ का निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· व जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ के रूप में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना। अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हà¥à¤ जिस बात को पà¥à¤¾ जाये उस पर पकà¥à¤· विपकà¥à¤· के रूप में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर उसका उतà¥à¤¤à¤° जानने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना चाहिये। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से यदि सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ वा अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करेंगे, तो धीरे धीरे मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सà¥à¤µà¤°à¥‚प सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होता जायेगा। उदाहरण के लिठहम ‘सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶’ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हैं जिसमें सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की धारà¥à¤®à¤¿à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हà¥à¤ वेदमत à¤à¥€ दिया गया है तथा इसकी पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ में पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ à¤à¥€ दिये गये हैं। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° इसके कà¥à¤› समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में अनà¥à¤¯ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर उन पर विचार किया गया है और उनकी सतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ वा असतà¥à¤¯à¤¤à¤¾ की परीकà¥à¤·à¤¾ निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· à¤à¤¾à¤µ से, सतà¥à¤¯ के निरà¥à¤£à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ की गई है। इन सबको पà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हम अपने मन में सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में पà¥à¤·à¥à¤Ÿ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं पर विपकà¥à¤·à¥€ बन कर à¤à¥€ विचार कर सकते हैं। यदि हम सफल होते हैं तो हमें अपने विचार व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को वैदिक व आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के समà¥à¤®à¥à¤– रखकर अपने विचारों का मणà¥à¤¡à¤¨ करना चाहिये और सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ समरà¥à¤¥à¤¿à¤¤ व सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ विचारों का खणà¥à¤¡à¤¨ करना चाहिये। यहां हमारा यह दायितà¥à¤µ है कि हम निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· à¤à¤¾à¤µ से अपनी बात कहें व आरà¥à¤¯ व वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की बातें व सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¥€à¤•à¤¾à¤°à¤£ à¤à¤µà¤‚ समाधानों को धैरà¥à¤¯ व निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· à¤à¤¾à¤µ से सà¥à¤¨ कर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ का निरà¥à¤£à¤¯ करें। हमें यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिये कि à¤à¤• ही विषय में में दो परसà¥à¤ªà¤° मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कदापि सतà¥à¤¯ नहीं हो सकती। जैसे यदि ईशà¥à¤µà¤° निराकार है तो इसका विरोधी विचार साकार सतà¥à¤¯ नहीं हो सकता। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• पदारà¥à¤¥ à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€ नहीं हो सकता। असीम असीम ही रहेगा, ससीम नहीं हो सकता। यदि ईशà¥à¤µà¤° नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ है तो फिर वह नियमों को तोड़ कर किसी के पाप व गà¥à¤¨à¤¾à¤¹ मà¥à¤†à¤« व कà¥à¤·à¤®à¤¾ नहीं कर सकता। यदि कà¥à¤·à¤®à¤¾ कर देता है तो वह नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ सिदà¥à¤§ नहीं होगा। ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ है। उसने यह संसार बनाया है। संसार बनाने के लिठउसे अवतार लेने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं पड़ी तो संसार बनाने के बाद किसी दà¥à¤·à¥à¤Ÿ को मारने व पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¤ करने के लिठà¤à¥€ उसे अवतार की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है। वह अपने नियमों व सामथà¥à¤°à¥à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उसका वध कर सकता है। आजकल देश व संसार में दà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ की कà¥à¤¯à¤¾ कोई कमी है? फिर अवतार कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं हो रहे हं? कà¥à¤¯à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° ने अवतार लेने की शकà¥à¤¤à¤¿ समापà¥à¤¤ हो गई है? वसà¥à¤¤à¥ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ यह है कि ईशà¥à¤µà¤° जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° किसी जीव को जनà¥à¤® देता है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° उसे मार à¤à¥€ सकता है और मारता आ रहा है। à¤à¤• दिन में विशà¥à¤µ में लाखों लोग मरते हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कौन मारता है। हमारा तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के शरीरों से उनकी आतà¥à¤®à¤¾à¤“ें को कौन पृथक करता है। इसका à¤à¤• ही उतà¥à¤¤à¤° है कि ईशà¥à¤µà¤° करता है। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ योनियों में करोड़ों आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं को ईशà¥à¤µà¤° जनà¥à¤® देता है और उतनों की ही मृतà¥à¤¯à¥ उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उसके विधान के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° होती है। अतः à¤à¤• दिन में लाखों करोड़ों मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मारने वाले ईशà¥à¤µà¤° को किसी à¤à¤• दà¥à¤·à¥à¤Ÿ व महादà¥à¤·à¥à¤Ÿ को मारने के लिठअवतार लेना पड़ता हो, यह मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ नहीं होती।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ (1825-1883) के समय में वेद की तो बात ही कà¥à¤¯à¤¾, उपनिषद, दरà¥à¤¶à¤¨, मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ कहीं सà¥à¤²à¤ नहीं थे। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद पहली बार वेदों के सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये। उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के बाद उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने à¤à¥€ वेदों के हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ तैयार कर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ कराये। दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ व उपनिषदों के अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने इन पर टिकायें लिखी। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ व रामायण पर à¤à¥€ अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने तैयार कर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ कराये। वेदों के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ की पà¥à¤°à¤šà¥à¤° सामगà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ विषयों व नामों से अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तैयार होकर पà¥à¤°à¤•à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ विगत लगà¤à¤— à¤à¤• से डेॠशताबà¥à¤¦à¥€ से आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने हिनà¥à¤¦à¥€, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤, उरà¥à¤¦à¥‚ व अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ ने पà¥à¤°à¤à¥‚त वैदिक साहितà¥à¤¯ का सृजन कर सामानà¥à¤¯ पाठकों तक पहà¥à¤‚चाया जिसका सà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤£à¤¾à¤® सामने है। आज जो बातें अनà¥à¤¯ मतों के बड़े बड़े पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ नहीं जानते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का à¤à¤• साधारण पाठक व अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ जानता है व अपने जीवन में उसका वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ करता है। घर घर में हवन होते हैं। सामूहिक सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ होने के साथ आरà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ à¤à¥€ होता है। ईशà¥à¤µà¤° की उपासना का अरà¥à¤¥ है कि ईशà¥à¤µà¤° के यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जानकर मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर उसके अनेकानेक उपकारों को सà¥à¤®à¤°à¤£ कर कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ व धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करना। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ के लिठ“सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾” नाम की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखी है जिसमें आचमन, इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤¶, मारà¥à¤œà¤¨, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, अघमरà¥à¤·à¤£, मनसा परिकà¥à¤°à¤®à¤¾, उपसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, गायतà¥à¤°à¥€, समरà¥à¤ªà¤£ और नमसà¥à¤•à¤¾à¤° मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का विधान कर सà¤à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के हिनà¥à¤¦à¥€ में अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ व इनके अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤•à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¤à¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ व उपासक ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ से पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ परिचित हो जाता है। योगदरà¥à¤¶à¤¨ पर à¤à¥€ महातà¥à¤®à¤¾ नारायण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€, आचारà¥à¤¯ उदयवीर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, पं. राजवीर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पं. आरà¥à¤¯à¤®à¥à¤¨à¤¿ आदि अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में टीकायें लिखी हैं जिनका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर उपासना के विषय में परिचित हà¥à¤† जा सकता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने संसà¥à¤•à¤¾à¤° विधि में सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासनों के आठमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ सहित सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤šà¤¨ व शानà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का जो विधान किया है वह à¤à¥€ उपासना में सहायक होता है। इन सबके साथ वेदों का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व वैदिक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वेदमंजरी, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, वैदिक विनय, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ सनà¥à¤¦à¥‹à¤¹, शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ सौरà¤, सोमसरोवर सहित सामवेद पर विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤‚कार à¤à¤µà¤‚ आचारà¥à¤¯ रामनाथ वेदालंकार आदि विदà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर à¤à¥€ उपासना व à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का पूरà¥à¤£ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विधि जानी जा सकती है। इनसे अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से ईशà¥à¤µà¤° की उपासना करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ उपासना के फल ईशà¥à¤µà¤° से पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿, दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ का छूटना, सदà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ का आधान, ईशà¥à¤µà¤° के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ आदि अनेक लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने उपासना का फल बताते हà¥à¤ यह à¤à¥€ कहा है कि इतना ही नहीं अपितॠउपासना से अनेक लाठहोते हैं। यथा अगà¥à¤¨à¤¿ के समीप जाने से जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से शीत की निवृतà¥à¤¤à¤¿ होती है उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ से से मनà¥à¤·à¥à¤¯ के दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£, दà¥à¤µà¥à¤°à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¨ आदि छूटकर उसके सदà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। आतà¥à¤®à¤¾ का बल इतना बà¥à¤¤à¤¾ है कि पहाड़ के समान दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर à¤à¥€ वह घबराता नहीं है, कà¥à¤¯à¤¾ यह छोटी बात है? उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यह à¤à¥€ बताया है कि जो ईशà¥à¤µà¤° की उपासना नहीं करता वह कृतघà¥à¤¨ और महामूरà¥à¤– होता है। à¤à¤¸à¤¾ इसलिये कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° के उपकारों को à¤à¥à¤²à¤¾ देने से वह कृतघà¥à¤¨ व महामूरà¥à¤– सिदà¥à¤§ होता है। बिना सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व सतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶ के उपासना का मरà¥à¤® नहीं जाना जा सकता। इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हैं जिनके पास सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ उपलबà¥à¤˜ हैं और पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ ऋषि à¤à¤•à¥à¤¤ आरà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करते हैं।
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