Dr. Devvrat Aacharya

Father :
Mahasay Umrab Singh

आपका जनम १३.०२.४३ को हरियाणा में महाशय उमराब सिंह के घर हआ।
आपने मैटरिक-(पंजाब विशवविदयालय), वयाकरणाचारय-(महरषि दयाननद विशवविदयालय रोहतक), पी-च.डी.-(राषटरीय संसकृत-संसथान, दिलली), वयायाम-पारंगत, वयायाम-विशारद (हनमान-वयायाम-मणडल, अमरावती), डी. वाई. जू.-(कैवलयधाम, लोनावाला), पंजीकृत वैदय, वेदवागीश की उपाधिया परापत की हैं।
आप गत ३६ वरषों से नवयवकों को वयायाम शिविरों, योगशिविरों के माधयम से विविध à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वयायाम, योग और आतमरकषा के लि असतर-शसतर तथा नियदधम (जूडो-कराटे) का परशिकषण दे रहे हैं। आपके दवारा शिकषित हजारों यवक देश-विदेश में इस विदया का परचार-परसार कर रहे हैं। सामानय जनता में à¤à¥€ आप परामाणिक परवचन करते हैं।
आप १९८८ से १९९० तक सारवदेशिक आरयवीरदल के उपपरधान संचालक रहे। अब सन १८९१ से सारवदेशिक आरयवीर दल के परधानसंचालक हैं। आपने बहत सी पसतकें à¤à¥€ लिखी है। जैसे-आसन-पराणायाम वैजञानिक विवेचन वं चिकितसा: योगासन (विदयारथियों के लि), योगशिकषा (४ à¤à¤¾à¤—, ककषा ॠसे १० तक के लि), सनतलित-à¤à¥‹à¤œà¤¨, पराथमिक चिकितसा, धनरवेद (शोधपरबनध), नियदधम, आरय-वीर दल का बौदधिक पाठयकरम आदि। आप ‘आदरश आरयवीर’ पतरिका के परधान समपादक à¤à¥€ हैं। आपसे आरय यवकों को बहत आशां हैं।
पता-११९, गरकल गौतम नगर, नई दिलली-११००४९