Shri Ashok Kaushik

आपने वयाकरण-मधयमा (वाराणसी), बी. . (पंजाब विशवविदयालय), म. . (मेरठवि. विदयालय) की परीकषां उततीरण कीं।
आरमठमें आप ‘राषटरीय सवयं सेवक संघ’ के परचारक रहे। पशचात सेवाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ साहितयकार संघ, शाशवत संसकृति परिषद, संसकृत-सेवा संघ, आरय-समाज आदि संसथाओं के सदसय वं पदाधिकारी रहे।
आपने अनेक महापरषों की जीवनियां लिखी हैं। जैसे-योगिराज शरी कृषण, पं. म. मो. मालवीय, यगपरष सावरकर, ईशवरचनदर विदयासागर, रामकृषण परमहंस, विनोबा à¤à¤¾à¤µà¥‡, सवामी दयाननद, सवामी शरदधाननद, महातमा हंसराज, करानतिवीर सà¤à¤¾à¤·, आरयसमाज के सौ रतन, आरय समाज की पांच विà¤à¥‚तिया, लौह ललन इनदिरा गांधी, राजीव गांधी, महातमा बदध, छतरपति शिवाजी इतयादि। घरेलू नसखे, हृदय रोग, कैंसर, रकतचाप, मधमेह इतयादि आयरविजञान की पसतकें लिखीं।
बाल-साहितय में आपने बोध कथां, वेताल पचचीसी, सिंहानसन बततीसी, पशलोक, मूरखपराण, हितोपदेश, हंसो हंसाओं, हरिसिंह नलवा इतयादि पसतकें लिखीं।
आपने रघवंश, १०८ उपनिषद, कौटिलय अरथशासतर आदि दो दरजन से अधिक संसकृत-गरनथों का हिनदी में अनवाद किया है। सवेट मारडन आदि की अनेक अंगरेजी पसतकों का à¤à¥€ हिनदी में अनवाद किया है।
आपने महावरा कोष, लोकोकतिकोष, पी.टी. आदि पसतकें à¤à¥€ लिखी हैं। अनेक गरनथों का शदध समपादन किया है। जैसे-गरदतत अà¤à¤¿à¤¨à¤¨à¤¦à¤¨ गरनथ, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज शासतर, गरदतत शरदधांजलि अंक, गरदतत गरनथावली (१० खणडों में) , परकाशवीर शासतरी समृतिगरनथ (दो खणड) ।
वरतमान में आप ‘शाशवतवाणी’ (मासिक पतर) के समपादक हैं। सन १९८५ से १९९ॠतक ‘आरयजगत’ (सापताहिक)का समपादन करते रहे। आपको ‘परजञासममान’, ‘आ. चतरसेन शासतरी सममान’ आदि सममानों से सममानित वं परसकृत किया जा चका है।