Swami Ritaspati Parivrajak

Father :
Shree Vijay Singh

Mother :
Shrimati Janak Rani

आपने बी.. तक आधनिक शिकषा के पशचात सतयारथपरकाश के अधययन से परेरणा पाकर १३/५/१९à¥à¥¬ को आरष गरकल होशंगाबाद में अधययन परारमठकिया। गरकल कालवा वं बहालगढ़ में महाà¤à¤¾à¤·à¤¯, निरकत आदि का अधययन किया। सन १९८८ में आचारय बलदेव जी से ‘नैषठिक’ दीकषा ली। आरय वन रोजड़ से दरशनाचारय वं योगविशारद की उपाधि परापत की।
आप १/८/१९८८ से आरष-गरकल नरमदापरम, होशंगाबाद के पराचारय हैं।
१४ अकटूबर २००१ से आरय पर. सà¤à¤¾ म.पर., विदरठवं छततीसगढ़ के परधान पद पर कारयरत हैं। साथ ही सारवदेशिक आरयवीरदल, नई दिलली के उपपरधान संचालक; सारवदेशिक आरय परतिनिधि सà¤à¤¾ के उपमनतरी वं विशवकलयाण धरमारथ नयास दिलली के नयासी हैं।
वैदिक परचारारथ आपने कई आरय-समाजों की सथापना वं आरयवीरदल की चालीस शाखाओं का गठन करवाया। अनेक योगशिविर वं आरयवीर-परशिकषण शिविर आयोजित किये हैं। देश के १६ परानतों में वैदिक धरम का परचार किया। नैपाल मौरीशस आदि में à¤à¥€ परचार किया।
आपकी वैदिक सिदधानतों वं करियातमक-योग के गूढ रहसयों को जानने-जनाने की विशेष रचि है।
आपके अनेक शिषय à¤à¥€ परचार में संलगन हैं।
पता- आरष-गरकल, नरमदापरम, होशंगाबाद-४६९००१ (म.पर.)