दया याचिका का औचितय कया था
Author
Rajeev ChoudharyDate
01-Sep-2015Category
गीतLanguage
HindiTotal Views
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SaurabhUpload Date
30-Nov-2015Download PDF
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12 ï€ à¤®à¤¾à¤°à¤š 1993 रोजाना की तरह ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आरथिक राजधानी कहे जाने वाला ममबई शहर अपनी दनिया में वयसत था। लोग अपने कामकाज में लगे थे मां अपने बचचो को लिये खाना बना रही थी ï€ à¤¬à¥‡à¤‚à¤•à¥‹ में बाबूओ को गराहक जलदी-जलदी कहकर काम निपटवाने में लगे थे कà¤à¥€ फिर मधयाहन à¤à¥‹à¤œà¤¨ का अवकाश हो जाये ï€ à¤¹à¥‹à¤Ÿà¤²à¥‹ से लेकर रेलवे सटेशन तक हर क जगह जीवन अपनी दनिया में मसत था पर अचानक ये हंसता-खेलता शहर चीख-पकार में बदल गया ï€ à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ तरफ बम धमाकों से ममबई दहल उठी लोग सम नहीं पा रहे थे कि अपनों की लाशे उठायें या खद को बचायें बेंको से रेलवें सटेशन ï€ ï€ à¤¤à¤• सकूल ï€ à¤¬à¤¸, सटेनड़ हर जगह धमाकों के साथ इंसानों की चीखें सनाई दे रही थी। लगà¤à¤— दो घंटे के अंतराल में करीब तेरह जगह बम धमाके ह जिनमें करीब 265ï€ à¤²à¥‹à¤— मौत की नींद सो गये 800ï€ à¤²à¥‹à¤—à¥‹à¤‚ के करीब लोग घायल ह और 27 करोड़ के करीब समपतति का नकसान हआ ये सब सरकारी आंकडे थे यदि लोगों की बातो पर विसवास किया जाये तो मृतकों और घायलो की संखया इस से कहीं अधिक थी। पलिस जांच शरू हई और क समपरदाय विषेश के लोगों के साथ कछ अपने à¤à¥€ शरीक पाये गये जिनहें ये नहीं पता था कि आखिर माजरा कया है! गिरफतार अà¤à¤¿à¤¯à¤•à¤¤à¥‹ ने जो बताया वो समची मानवता के कान खोलने वाला था कि हमने बाबरी मसजिद विधवंष का बदला लिया है। चलो मान लिया कछ लोगों ने पतथर के कछ टकडें गिरा दिये पर तमने तो इंसानियत को ही रोंद दिया तम तो धरम के अंधे होकर समूची मानव जाति की नजरों मे ही गिर गये! आखिर उन पतथरो के टकडों का बदला इन मांओ की ममता से कयों ? तमहें तनिक à¤à¥€ दया नहीं आई, ï€ à¤”à¤° आज तम कानून से दया की à¤à¥€à¤– पर मांग रहे हो किस आधार पर ?ï€ ï€ à¤¯à¤¦à¤¿ तम दया की à¤à¥€à¤– अपने परिवार का नाम लेकर मांग रहे हो तो ये à¤à¥€ सोचना कि वो तकरीबन 1000 ï€ à¤˜à¤¾à¤¯à¤² मृतक à¤à¥€ किसी ना किसी परिवार का हिससा होगें। और देश की शांति सदà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को à¤à¤‚ग करने वाले अपनी मजहबी मानसिकता के पोशण के लिये निदरोश लोगों को मौत नींद सलाने वाले अपराधियो ï€ à¤†à¤¤à¤‚à¤•à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹ पर दया à¤à¤¾à¤µ कैसा ?ï€ à¤…à¤•à¤¸à¤° इन मामलों में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मिडि़या और मानवाधिकार आयोग को मानवता याद आ जाती है जिस कारण इस बार खद सपरीम कोरट ने सखत रख अपनाते हये कहा- कि शहीदों के परिवारो की किसी मानवाधिकार आयोग को कोई चिनता à¤¨à¤¹à¥€à¤‚ï€ à¤¶à¥€à¤°à¤· अदालत ने ये à¤à¥€ सवाल उठाया कि आखिर मानवाधिकार आयोग उन लोगों के परति संवेदनशील कयूं नही होता जो à¤à¥‚ख से दम तोडते है कया मानवाधिकार आयोग के पास आतमहतया करने वाले किसानों शहीद होने वाले जवानो के परिवारो के लिये समय नहीं है!! ï€ à¤•à¤¯à¤¾ मानवाधिकार आयोग सिरफ अपराधियो का पेरोकार बनकर रह गया? ï€ à¤¯à¤¾à¤•à¥‚à¤¬ मेनन को विशेष टाडा अदालत ने 2007 में फांसी की सजा सनायी थी सजा के खिलाफ याकूब की अपील हाईकोरट ï€ à¤¸à¤ªà¤°à¥€à¤® कोरट में खारिज हई पिछले साल राषटरपति परणव मखरजी à¤à¥€ याकूब की दया याचिका खरिज कर चूके है नौ अपरैल को याकूब की पनरविचार याचिका खरिज होने के बाद महाराषटर सरकार ने टाडा कोरट की इजाजत लेकर याकूब की फांसी पर काम करना शरू कर दिया। बात क याकब की नहीं निठारी कांड के आरोपी सरेनदर कोली समेत ना जाने कितने दरिंदे दया याचिका लेकर बैठे है। आज इनहें मानवाधिकार आयोग के साथ मिलकर दया चाहिये किनत निदरोश लोग और शहीद ह जवानों के परिवारो के à¤à¥€ मानव अधिकार को ये कयू à¤à¥‚ल जाते है ।
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