à¤à¤—वान आरयों को पहली लगन लगा दे
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08-Sep-2014Top Articles in this Category
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à¤à¤—वान आरयों को पहली लगन लगा दे |
वैदिक धरम की खातिर मिटना इनहें सिखा दे ||
फिर राम कृषण निकलें घर-घर गली-गली से |
अरजन व करण जैसे योदधा रणसथली से ||
à¤à¥€à¤·à¤® से बरहमचारी और à¤à¥€à¤® महाबली से |
गौतम कणाद जैमिनी ऋषिवर पतंजलि से ||
फिर से कोई दयानंद जैसा ऋषि दिखा दे |
à¤à¤—वान आरयों को पहली लगन लगा दे ||
से हों लाल पैदा खेलें जो गोलियों से |
à¤à¥‚मि को तृपत करदें शरदधा की ोलियों से ||
गूंजे यह देश मेरा शेरो की बोलियों से |
बिसमिल गर à¤à¤—त सिंह वीरों की टोलियों से ||
इन को वतन की खातिर फांसी पे à¤à¥€ हसा दे |
à¤à¤—वान आरयों को पहली लगन लगा दे ||
कोई लेखराम जैसा गरदतत सा आज होवे |
कोई शरदधाननद होवे कोई हंसराज होवे ||
बढती बीमारियों का फिर से इलाज होवे |
नेतृतव जिनका पाकर उननत समाज होवे ||
बेधड़क लाजपत सा फिर से पथिक बना दे |
à¤à¤—वान आरयों को पहली लगन लगा दे ||
वैदिक धरम की खातिर मिटना इनहें सिखा दे ||
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